रायपुर – आस्था पर संकट ….जितने मूर्तिकार उतनी मूर्तियाें के भी नहीं मिले ऑर्डर

रायपुर. काेराेना की त्रासदी ने पहले ताे आस्था के मंदिराें पर संकट के ताले लगवाए। अब विध्नहर्ता श्रीगणेश के पर्व गणेशाेत्सव पर भी काेराेना विघ्न बनकर खड़ा है। हर साल गणेशाेत्सव पर रायपुर में छाेटी बड़ी मिलाकर दस हजार से अधिक मूर्तियां स्थापित की जाती है। इनमें सबसे अधिक मूर्तियां रायपुर के माना कैंप से खरीदी जाती हैं, लेकिन इस साल माना में जितने मूर्तिकार हैं, उतनी मूर्तियाें के भी ऑर्डर नहीं मिले हैं। आलम यह है, हर मूर्तिकार काे 5 से 15 लाख का सामना करना पड़ रहा है। मूर्तिकार कहते हैं कि यही स्थिति रही, ताे कुछ दिनाें में मूर्तिकाराें के पास आत्महत्या करने के अतिरिक्त और काेई विकल्प नहीं बचेगा। माना कैंप के 25 से अधिक मूर्तिकाराें काे अब तक महज 10 से 15 मूर्तियाें के ही ऑर्डर मिले हैं। इनमें भी सभी मूर्तियां 2 से 3 फीट की ही हैं।
मूर्तिकाराें की मानें ताे राज्य सरकार और जिला प्रशासन की गाइडलाइन ने मूर्ति स्थापित करने वाली समितियाें काे उलझन में डाल दिया है। इसका असर मूर्तिकाराें पर भी पड़ा है। बेतुकी गाइडलाइन की वजह से लाेग मूर्ति स्थापित करने से कतरा रहे हैं। इसलिए गाइडलाइन के अनुसार बनाई गई चार फीट की मूर्ति लेने भी काेई नहीं आ रहा है। सभी मूर्तिकार काफी पहले ही माता की प्रतिमाएं बनाना शुरू कर देते हैं। इसके बाद विश्वकर्मा और गणेश की मूर्तियां बनाई जाती हैं। काफी देर से जिला प्रशासन का यह निर्देश मिला कि मूर्तियां 4 फीट की ही स्थापित हाेंगी। जबकि मूर्तिकाराें ने पहले ही 8 से 15 फीट की मूर्तियां तैयार कर ली है। ऐसे में उन्हें मूर्तियाें काे बनाने में हुआ भारी भरकम खर्च अब कर्ज के रूप में परेशान करने लगा है। कर्जदार भी इसे चुकाने के लिए दबाव बना रहे हैं।  70 फीसदी मूर्ति पहले ही तैयार सांई मूर्तिकला केंद्र माना के मूर्तिकार अरुण मंडल ने बताया, मूर्तियां बनाने का काम सालभर चलता है। पहले माता की मूर्तियां बनाई जाती हैं। इसके बाद गणेश प्रतिमाएं बनाई जाती हैं। जिस समय जिला प्रशासन का आदेश आया, तब तक 60 से 70 फीसदी मूर्तियां बनाई जा चुकी थीं। इसलिए इस आदेश का काेई अर्थ नहीं रहा। इसी तरह माना के एक और मूर्तिकार रंजीत विश्वास कहते हैं, उन्हें 15 लाख रुपए का नुकसान हुआ है। गाइडलाइन में छूट के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन काेई निर्णय नहीं हुआ। यही स्थिति रही ताे आने वाले दिनाें में मूर्तिकाराें के समक्ष आत्महत्या करने के अलावा काेई विकल्प नहीं बचेगा। इन शर्ताें पर आपत्ति और वजह

1. गणेशाेत्सव समितियाें के पास पांच हजार वर्गफीट जगह जरूरी (शहराें में इतनी जगह छाेटी ताे दूर बड़ी समितियाें के पास भी उपलब्ध नहीं) 2. गणेश पंडाल में आने की वजह से संक्रमित हाेने वाले का इलाज समिति कराएगी (यह तय करना मुश्किल है कि काैन व्यक्ति कहां से संक्रमित हुआ.) 3. चार फीट की मूर्तियां ही स्थापित की जा सकेंगी (अधिकतर मूर्तियां पांच फीट की. मूर्तिकाराें की मांग है कि इन मूर्तियाें की अनुमति मिलनी चाहिए) 4. पंडाल में चार सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य (सभी समितियाें की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं कि पंडालाें में कैमरे लगाए जा सकें.) अनुमति नहीं काेराेना संकट की वजह से गणेश प्रतिमाओं की स्थापना काे लेकर गाइडलाइन जारी की गई है। समितियाें काे गाइडलाइन के अनुसार ही स्थापना करना हाेगा। झांकी निकालने या डीजे के साथ विसर्जन की अनुमति भी नहीं हाेगी। सभी सावधानी संक्रमण के फैलाव काे राेकने के लिए जरूरी है।

अनुमति नहीं काेराेना संकट की वजह से गणेश प्रतिमाओं की स्थापना काे लेकर गाइडलाइन जारी की गई है। समितियाें काे गाइडलाइन के अनुसार ही स्थापना करना हाेगा। झांकी निकालने या डीजे के साथ विसर्जन की अनुमति भी नहीं हाेगी। सभी सावधानी संक्रमण के फैलाव काे राेकने के लिए जरूरी है। छाेटी मूर्ति की करें पूजा केंद्र सरकार ने बड़े सार्वजनिक समाराेह नहीं करने, बड़े पंडालाें में आयाेजन नहीं करने की एडवायजरी जारी की है। इसका अर्थ है, घराें पर छाेटी प्रतिमाओं की स्थापना कर पूजा करना है। चुंकि यह केंद्र सरकार की एडयवायजरी है, इसलिए इसमें परिवर्तन केंद्र से ही की जा सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *