वैज्ञानिकों का नई रिसर्च: अविवाहित लोगों में कोरोना का ख़तरा ज़्यादा हैं क्यों

आज 10-11 महीनों बाद भी दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। जब से इस जानलेवा महामारी के बारे में पता चला है तब से इस पर लगातार और कई तरह के शोध किए जा रहे हैं। इसी बीच एक नई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि जो लोग शादी नहीं करना चाहते, उनको कोविड-19 संक्रमण का ख़तरा ज़्यादा होता है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि कोरोना से पीड़ित होने के बाद शादीशुदा लोगों की तुलना में अविवाहित लोगों में मौत का ख़तरा भी कहीं ज़्यादा बढ़ जाता है।

क्यों बढ़ जाता है ख़तरा? शोध में देखने को मिला कि अविवाहितों की ख़राब जीवनशैली इसकी मुख्य वजह है। उनकी लाइफस्टाइल की वजह से ही ज़्यादातर अविवाहित लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता शादीशुदा लोगों की तुलना में काफी कम होती है। यानी उनका इम्यून सिस्टम कमज़ोर होता है और इस कारण ये लोग कोरोना वायरस जैसी संक्रामक बीमारियों के संपर्क में बहुत जल्दी आ जाते हैं। क्यों कुछ लोग शादी करना नहीं चाहते? ‘द नेचर’ जर्नल में प्रकाशित हुई रिसर्च में बताया गया कि बार-बार बीमार होने की वजह से अविवाहित लोगों की मानसिक स्थिति प्रभावित होती है। इस कारण इनमें लाइफ पार्टनर को लेकर आकर्षण कम हो जाता है। युवाओं में शादी और रिलेशनशिप में रुचि कम होने की एक वजह ये हो सकती है।

अविवाहित लोगों में कोरोना का ख़तरा ज़्यादा विशेषज्ञों की मानें तो डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रखना टेढ़ी खीर साबित होता है। डायबिटीज के मरीज रोजाना इतने पिस्ता जरूर खाएं, कंट्रोल में रहेगा ब्लड शुगर स्वीडन की यूनिवर्सिटी ऑफ स्टॉकहोम में वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस शोध में कोरोना से संक्रमित लोगों और इससे हुई मौतों की आर्थिक, सामाजिक, मानसिक और शारीरिक स्थितियों सहित जीवन के कई पहलुओं को ध्यान में रखा गया था। इस रिसर्च में कई खुलासे भी हुए:

ऐसे लोगों में बढ़ जाता है मौत का ख़तरा शोधकर्ताओं ने पाया कि शादीशुदा लोगों की तुलना में अविवाहित लोगों में कोरोना की वजह से मौत का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा इस बात का भी खुलासा हुआ है कि कम पढ़े-लिखे और कम आमदनी वाले लोगों में भी कोरोना संक्रमण के बाद मौत का ख़तरा अधिक होता है। हालांकि, इस रिसर्च को पूरी तरह भारत पर लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि हमारे देश में शिक्षा और आय का स्तर कम होने और अविवाहित होने के बावजूद पारिवारिक सहयोग बहुत अधिक रहता है।

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