चंद्रमा के कक्ष में दो वर्ष पूरा करने पर इसरो ने चंद्रयान-2 के आंकड़े जारी किए

बेंगलुरू . भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन ने चंद्रमा के कक्ष में चंद्रयान-2 के दो वर्ष पूरा करने के उपलक्ष्य में सोमवार को चंद्र विज्ञान कार्यशाला 2021 का उद्घाटन किया. इसरो ने बयान जारी कर बताया कि सिवन ने चंद्रयान-2 आंकड़े एवं विज्ञान दस्तावेजों को जारी किया. साथ ही उन्होंने चंद्रयान-2 के कक्ष पेलोड का डेटा भी जारी किया. सिवन अंतरिक्ष विभाग में सचिव भी हैं. बयान के अनुसार, चंद्रयान-2 के आठ पेलोड चंद्रमा पर सुदूर संवेदी और अवस्थिति प्रौद्योगिकी के माध्यम से वैज्ञानिक प्रयोग कर रहे हैं.

 

इसरो ने कहा, ‘‘वैज्ञानिक आंकड़े शिक्षा जगत एवं संस्थानों के विश्लेषण के लिए उपलब्ध कराये जा रहे हैं ताकि चंद्रयान-2 मिशन में और अधिक वैज्ञानिक भागीदारी हो सके.’’ इसरो द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला को एजेंसी की वेबसाइट और फेसबुक पेज पर लाइव दिखाया जा रहा है, ताकि छात्र, शिक्षा जगत और संस्थानों तक यह पहुंच सकें और चंद्रयान-2 के डेटा का वैज्ञानिक समुदाय विश्लेषण कर सके. इसके अलावा चंद्रयान-2 मिशन, निगरानी, अभियान और डेटा संग्रहण के पहलुओं पर भी व्याख्यान होंगे.

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की जानकारी हासिल करने के लिए चंद्रयान-2 को 22 जुलाई, 2019 को प्रक्षेपित किया गया था. हालांकि इसके लैंडर विक्रम की सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर हार्ड लैंडिंग हुई थी. और 20 अगस्त को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा, ‘हालांकि, उतरने का प्रयास (रोवर ले जाने वाले लैंडर का) सफल नहीं हुआ था. वहीं, आठ वैज्ञानिक उपकरणों से सुसज्जित अंतरिक्षयान ने सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था.’

इसमें कहा गया, चंद्रयान-2 डिजाइन के अनुरूप काम कर रहा है और अहम वैज्ञानिक डेटा लगातार पृथ्वी पर भेज रहा है. चंद्रयान-2 से वैश्विक उपयोग के लिए वैज्ञानिक आंकड़ों को अक्टूबर 2020 से जारी करना शुरू किया जाएगा. चंद्रयान-2 अभियान भारत का पहला ऐसा प्रयास था जिसमें चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में एक रोवर उतारने की प्रक्रिया भी शामिल थी. लेकिन विक्रम नाम का यह लैंडर सही तरह से चंद्रमा की सतह पर नहीं उतर सका. वहीं ऑर्बिटर में हाई रिजोल्यूशन कैमरों ने चंद्रमा का नक्शा बनाने के साथ चंद्रमा के वायुमंडल के बाह्यमंडल का अवलोकन किया है. इन उपकरणों से साल भर तक के आंकड़े इसरो के इंडियन स्पेस साइंस डेटा सेंटर में जमा होते रहे हैं.

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