राष्ट्र को धर्म,अध्यात्म एवं संस्कृति का सनातन पुंज बताते हुए राजनीति की नई व्याख्या पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने की थी: डॉ विकास दवे

महू पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारत के सबसे तेजस्वी,तपस्वी एवं यशस्वी चिंतक रहे उनके चिंतन के मूल में लोकमंगल एवं राष्ट्र कल्याण का भाव संमाहित था …