संविधान दिवस: संयुक्त संबोधन में पीएम मोदी बोले- यह हमारे लिए सबसे पवित्र ग्रंथ

संविधान दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए ने कहा कि हमारा संविधान हमारे लिए सबसे बड़े ग्रंथ के रूप में हैं और यह हमारे लिए सबसे पवित्र ग्रंथ हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का संविधान नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों दोनों पर प्रकाश डालता है। यह हमारे संविधान का एक विशेष पहलू है। आइए हम इस बारे में विचार करें कि हम अपने संविधान में उल्लिखित कर्तव्यों को कैसे पूरा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान इतना व्यापक इसलिए है, क्योंकि उसने बाहर के प्रकाश के लिए अपने खिड़कियां खुली रखी हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि अपनी गलतियों की वजह से हमने आजादी भी खोई है और गणतंत्र का चरित्र भी खो दिया था। बाबा साहब ने पूछा था कि हमें आजादी भी मिल गई, गणतंत्र भी हो गए। क्या हम इसे बनाए रख सकते हैं? क्या अतीत से हम सीख ले सकते हैं? बाबा साहब अगर होते तो उनसे अधिक प्रसन्नता शायद ही किसी को होती। भारत ने इतने वर्षों में उनके सवालों का उत्तर दिया और अपने लोकतंत्र को आर समृद्ध किया है।

उन्होंने 26/11 मुंबई हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की। उन्होंने कहा कि मैं उन सभी को श्रद्धांजलि देता हूं जिन्होंने मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमले में अपनी जान गंवाई।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय संविधान ने दो मंत्रों भारतीयों के लिए गरिमा और भारत की एकता को साकार किया है। उन्होंने कहा कि संविधान हमें अधिकारों के प्रति सजग एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाता है, ऐसे में हमें नागरिक के तौर पर अधिकारों एवं कर्तव्यों के बीच संतुलन बनाना होगा।

उन्होंने भारतीय नागरिकों का आह्वान किया कि हम सब देश के नव नागरिक और नेक नागरिक बने। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे संविधान की मजबूती के कारण ही हम एक भारत श्रेष्ठ भारत की तरफ आगे बढ़ पा रहे हैं। भारतीयों के लिए गरिमा और भारत की एकता.. संविधान ने इन दो मंत्रों को साकार किया है।

उन्होंने कहा कि देश के 130 करोड़ लोगों ने संविधान की भावना की सुरक्षा के लिए हमेशा आगे बढ़कर काम किया। अगर इसके विपरीत कुछ प्रयास हुए तब देश के लोगों ने मिलकर उसे विफल करने का काम किया।  मोदी ने कहा कि क्या हम अपने कर्तव्यों को लेकर उतने ही सजग हैं जितनी हमारा संविधान और हमारे देशवासी हमसे अपेक्षा करते हैं।

उन्होंने कहा कि अधिकारों और कर्तव्यों के बीच के इस रिश्ते और इस संतुलन को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बखूबी समझा था। आज जब देश पूज्य बापू की 150वीं जयंती का पर्व मना रहा है तो उनकी बातें और भी प्रासांगिक हो जाती हैं ।

मोदी ने कहा कि हमारा संविधान वैश्विक लोकतंत्र की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि है। यह न केवल अधिकारों के प्रति सजग रखता है बल्कि हमारे कर्तव्यों के प्रति जागरूक भी बनाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *