नई दिल्ली। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के बाद इसरो आज फिर अंतरिक्ष में एक बड़ी उड़ान भरने जा रहा है। इसरो आज श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से अंतरिक्ष में भारत की आंख कार्टोसेट-3 को लॉन्च करने वाला है। इसके अलावा वो अमेरिका के 13 नैनो सैटेलाइट भी लॉन्च करेगा। यह लॉन्चिंग बेहद अहम है क्योंकि जो Cortosat-3 लॉन्च किया जा रहा है वो अतंरिक्ष में पहले से मौजूद Cortosat-2 की जगह लेगा। अंतरिक्ष से यह बड़े पैमाने पर शहरों की प्लानिंग, ग्रामीण संसाधन और बुनियादी ढांचे के विकास, समुद्र तटीय भूमि के उपयोग की जरूरतओं में मदद करेगा वहीं सेना की आंख की तरह भी काम करेगा। पाकिस्तान पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक में Cortosat-2 का अहम योगदान था।
यह है Cortosat-3 की खासियतें
ISRO जिस Cortosat-3 को लॉन्च करने जा रहा है उसका कैमरा पहले से कहीं अधिक उन्नत है और दावा तो यह भी किया जा रहा है कि इतना ताकतवर और सटिकता वाला कैमरा आज तक किसी देश ने लॉन्च नहीं किया है। इसकी क्षमता इतनी ज्यादा है कि यह अंतरिक्ष से देखते हुए धरती पर मौजूद शख्स के हाथ में बंधी घड़ी का वक्त भी देख सकेगा। यह धरती पर 9.84 इंच की ऊंचाई तक की तस्वीर ले सकेगा।
फिलहाल अमेरिकी कंपनी डिजिटल ग्लोब का ही सैटेलाइट कैमरा सबसे सटिक है जो 16.14 इंच की ऊंचाई की तस्वीर लेने में सक्षम है। भारत का कार्टोसेट-3 अंतरिक्ष में धरती से 509 किमी की ऊंचाइ पर स्थापित होगा और वहां से हर अपडेट देगा। इसकी मदद से सेना को देश की सीमा पर भी नजर रखने में मदद मिलेगी। खासतौर पर पाकिस्तान और चीन सीमा पर।
इसका निर्माण इसरो ने ही किया है और यह आईआरएस सीरीज की जगह लेगा। बता दें कि कार्टोसेट सीरीज का Cortosat-2 जनवरी 2018 को छोड़ा गया था।
क्या है PSLV
जहां तक इसे ले जाने वाले लॉन्च व्हीकल पीएसएलवी की बात है तो यह भी एक स्वदेशी लॉन्च सिस्टम है जिसे इसरो ने बनाया है।