नई दिल्ली
राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी मुश्किल में हैं। उनकी पार्टी का क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा छिन चुका है और अब पार्टी के चुनाव चिह्न पर संकट है। ऐसे में जयंत चौधरी ने राज्य निर्वाचन आयोग (एसईसी) को चिट्ठी लिखकर निकाय चुनावों में रालोद उम्मीदवारों के लिए पार्टी का चुनाव चिह्न 'हैंडपंप' आरक्षित करने का अनुरोध किया है। हालांकि आयोग ने अभी तक अनुरोध पर फैसला नहीं किया है।
यूपी में निकाय चुनाव दो चरणों में चार मई और 11 मई को होंगे और मतगणना 13 मई को होगी। पहले चरण के लिए नामांकन मंगलवार को शुरू हुआ। विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन करने वाली रालोद के यूपी विधानसभा में नौ विधायक हैं, उनमें से एक पिछले साल दिसंबर में हुए उपचुनाव में निर्वाचित हुआ था। जयंत ने मंगलवार को राज्य निर्वाचन आयोग को संबोधित अपनी चिट्ठी में कहा, "कृपया रालोद के चुनाव चिन्ह – 'हैंडपंप' को यूपी में होने वाले शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में सभी सीटों पर केवल रालोद उम्मीदवारों के लिए आरक्षित करें।"
रालोद प्रवक्ता अनिल दुबे ने इस बारे में बताया कि पार्टी ने औपचारिक रूप से मंगलवार को राज्य चुनाव आयोग में अपना मामला रखा था, जिसमें पार्टी प्रमुख जयंत चौधरी की इच्छानुसार हैंडपंप चुनाव चिह्न का आग्रह किया गया था। उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि राज्य निर्वाचन आयोग पार्टी की स्थिति के संबंध में यथास्थिति बनाए रखेगा, विशेष रूप से जब चुनाव अधिसूचना पहले ही जारी की जा चुकी है।" उधर, राज्य निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी एसके सिंह ने कहा कि आयोग रालोद के आग्रह पर विचार करेगा और योग्यता के आधार पर निर्णय लेगा। उन्होंने कहा, "हम इस मुद्दे की जांच करने के बाद ही रालोद की याचिका पर फैसला करेंगे, जिसमें नागरिक चुनावों में अपने उम्मीदवारों के लिए अपने प्रतीक के आरक्षण की मांग की गई है।"
श्री सिंह ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग भारत के चुनाव आयोग के नियमों और विनियमों से बाध्य नहीं था। उन्होंने कहा, "नियमों के अलग-अलग सेट के साथ दोनों अलग-अलग निकाय हैं और रालोद को राज्य स्तर की पार्टी के रूप में मान्यता न देने का भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) का फैसला अनिवार्य रूप नागरिक चुनावों में लागू हो यह जरूरी नहीं है।" ईसीआई ने सोमवार को तृणमूल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के लिए इसे वापस लेते हुए आम आदमी पार्टी (आप) को एक राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया। आयोग ने उत्तर प्रदेश में रालोद से राज्य/क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा भी वापस ले लिया क्योंकि रालोद राज्य विधानसभा चुनावों में कुल वोटों का आवश्यक 6% प्राप्त करने में विफल रहा था। यूपी में 2022 के विधानसभा चुनावों में आठ सीटें जीतने के बावजूद, रालोद का वोट शेयर 3% से कम था। आयोग किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए राज्य में पिछले नागरिक चुनावों में रालोद के वोट शेयर की जांच कर सकता है।