रायपुर. शादी के दो साल बाद महासमुंद के काटे दंपती पर इतनी बड़ी आपदा आई कि एक साल के मासूम बच्ची के साथ पति-पत्नी ने आत्महत्या का विचार तक कर लिया था. शादी के दो साल बाद अप्रैल 2017 में ये पता चला कि देवेंद्र काटे की दोनों किडनी लगभग 10 से 20 प्रतिशत ही काम कर रहीं हैं. और डाललिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के अलावा उनका कोई इलाज नहीं है. निराश देवेंद्र काटे ने पत्नी से तलाक लेकर किसी और के साथ नई जिंदगी की शुरुआत करने को तक कहा, पर पत्नी नहीं मानी. पत्नी का कहना था कि उन्होंने हर हालात में साथ देने का वादा किया है. इस हालत में पति को छोड़ा तो ईश्वर को क्या मुंह दिखाएगी. अब उनका छोटा सा परिवार देवेंद्र की जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है.
मूलत: महासमुंद के पास ग्राम झलप के रहने वाले देवेंद्र काटे बागबाहरा के भिखापाली (तेंदुकोना) शासकीय स्कूल में शिक्षक हैं. 2015 में उनकी शादी राजधानी में विधानसभा के पास ग्राम बरौदा की रहने वाली पूनम से हुई थी. बीमारी का पता चलने के बाद शिक्षक दोस्तों और संजीवनी कोष से मिले 1 लाख रुपए के सहारे काटे आज तक डायलिसिस पर हैं. लेकिन अब उनकी हाथ की वह नस खराब हो गई है, जहां से डायलिसिस होता था. मजबूरी में डॉक्टरों ने गले की नस से डायलिसिस शुरू किया, लेकिन अब वह भी खराब होने की कगार पर है. डॉक्टरों का कहना है कि किडनी ट्रांसप्लांट ही अब विकल्प बचा है. इसका खर्च उठाना शिक्षक के बूते के बाहर है. शासकीय नौकरी में होने के बावजूद उन्हें सरकार से इलाज में मदद नहीं मिल रही. संजीवनी कोष से अब और मदद की आस भी छूट गई है. ट्रांसप्लांट में मोवा स्थित श्री बालाजी अस्पताल ने 12 से 15 लाख रुपए का खर्च बताया है. यही कारण है कि अपने सुहाग की रक्षा करने पत्नी पूनम मदद की आस लेकर भटक रहीं हैं.
इसलिए खर्च आ रहा है ज्यादा
पत्नी पूनम काटे ने बताया कि वे अपने पति को अपना किडनी देने के लिए तैयार है, लेकिन उनका ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है. पति का ब्लड ग्रुप ओ पॉजीटिव है. यही कारण है कि इस किडनी ट्रांसप्लांट में 4-5 लाख रुपए केवल ब्लड फिल्टर में खर्च होने की जानकारी उन्हें दी गई है. काटे के पिता का ब्लड ग्रुप मिलता है, लेकिन उनकी उम्र 80 से अधिक होने के कारण डॉक्टरों ने उनकी किडनी लेने से इनकार कर दिया है.
…सोचा बच्ची के साथ आत्महत्या कर लूं
अपना दर्द और मदद की गुहार लगाते हुए देवेंद्र काटे कहते हैं कि इलाज के खर्च को देखकर एक वक्त तो उन्होंने अपनी पत्नी और अब 4 साल की मासूम बेटी जानवी के साथ आत्महत्या करने की सोच लिया था. पर पूनम ने उनको हिम्मत दी. पत्नी ने कहा कि काटे को छोड़कर जाने का तो सवाल ही नहीं था. वे समाज और भगवान के समक्ष क्या चेहरा दिखातीं. ये सोचकर (जैसा पत्नी पूनम ने कहा) हार नहीं मानीं. उन्होंने ये ठाना है कि उनके पति के किडनी का ट्रांसप्लांट कराना ही है.