卐 जय महाकाल 卐
प्रिय पाठकों,
पहले की तुलना में इस समय प्रेम विवाह में काफी वृद्धि हुई है, आजकल लड़के और लड़कियो में ऐसा चलन बढ़ गया है कि, हम जिससे प्यार करते हैं वही हमारा जीवन साथी बने कुछ लोगों की तमन्ना तो पूरी हो जाती है पर बहुत से ऐसे लोग हैं जिनका प्रेम विवाह नहीं हो पाता, तो आइए जानते हैं ऐसे क्या कारण है कुंडली में जिसके कारण किसी का प्रेम विवाह तो होता है और किसी का प्रेम विवाह नहीं हो पाता ।
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में लग्नेश पंचमेश और नवमेश का युति संबंध अथवा दृष्टि संबंध बनता है और यह संबंध मजबूत स्थिति में होता है अर्थात इस पर किसी पाप ग्रह का प्रभाव नहीं होता तो व्यक्ति का प्रेम विवाह हो जाता है और पाप प्रभाव में होने के कारण इसमें नाकामी मिलती है आइए जानते हैं कि यह पाप प्रभाव कैसे काम करता है।
कुंडली में राहु केतु शनि मंगल और सूर्य क्रूर ग्रह की श्रेणी में आते हैं जब व्यक्ति के प्रेम विवाह के योग में राहु अथवा शनि की दृष्टि पड़ती है तो यह पाप प्रभाव में होने के कारण तथा अलगाववादी ग्रह होने के कारण प्रेम विवाह में बाधा उत्पन्न करते हैं अगर कोई मजबूत शुभ ग्रह का प्रभाव ना हो तो प्रेम विवाह नहीं हो पाता।
कुंडली में राहु यदि पंचम भाव में स्थित हो अथवा दृष्टि डाल रहा हो अथवा पंचमेश को देख रहा हो या उसके साथ बैठा हो तो प्रेम विवाह नहीं होता।और यदि राहु का शुक्र के साथ युति संबंध अथवा दृष्टि संबंध भी प्रेम विवाह में नाकामी देता है
किसी भी जातक की कुंडली में लग्नेश पंचमेश और नवमेश का स्वतंत्र रूप से युति या दृष्टि संबंध बन रहा है और उस पर शुभ ग्रह का प्रभाव है तो प्रेम विवाह अवश्य होता है।
राहु और केतु प्रेम विवाह में बाधा उत्पन्न करते हैं तथा जातक का प्रेम विवाह नहीं होने देते है।
कुंडली का गहन अध्ययन कर कुछ विशेष ग्रह स्थितियो मे रत्नो के उपयोग या ग्रहो की शान्ती उपाय द्वारा लाभ लिया जा सकता है। आप नीचे लिखे मेरे नंबर पर संपर्क कर समस्त जानकारी मुझसे प्राप्त कर सकते है।
धन्यवाद
Astro Raju chhabra (devendre singh)
“”Kundli specialist”” Falit jyotish
Mb – 07747066452 , 7000029286