अमरावती.आंध्र प्रदेश विधानसभा (Andhra Pradesh Legislative Assembly) ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश दिशा विधेयक पारित कर दिया जिसमें महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े मामलों का निपटारा 21 दिन के भीतर करने का नियम है और इसमें दोषी को फांसी की सजा भी दी जाएगी.
इस प्रस्तावित नए कानून का नाम ‘आंध्र प्रदेश दिशा अधिनियम आपराधिक कानून (आंध्र प्रदेश संशोधन) अधिनियम, 2019 रखा गया है. हाल ही में पड़ोसी राज्य तेलंगाना में एक पशु चिकित्सक से बलात्कार के बाद उसकी हत्या का मामला सामने आया था और यह विधेयक पीड़िता को दी गई श्रद्धांजलि है. गृह राज्य मंत्री एम सुचरिता ने यह विधेयक विधानसभा में पेश किया जिसे सत्तारूढ़ पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने ‘क्रांतिकारी’ बताया.
नए कानून के तहत रिकॉर्ड समय सात दिनों के भीतर यौन अपराधों के मामलों की जांच और चार्जशीट दाखिल करने की तारीख से 14 कार्य दिवसों के भीतर मुकदमे को पूरा करने की बात कही गई है. नए पारित कानून के तहत सजा के खिलाफ अपील को छह महीने के भीतर निपटाना होगा. आईपीसी में तीन नए खंड 354E, 354F और 354G जोड़े जाएंगे जो महिलाओं के उत्पीड़न, बच्चों पर यौन उत्पीड़न और क्रमशः बच्चों पर बढ़ रहे यौन हमले को परिभाषित करते हैं.
धारा 376 (बलात्कार), 376D (अस्पताल के किसी भी महिला के प्रबंधन या स्टाफ के किसी भी सदस्य द्वारा संभोग) और 376DA (16 साल से कम उम्र की महिला से सामूहिक बलात्कार) को सूचीबद्ध अपराधों के लिए मृत्युदंड में शामिल किया जाएगा.
क्यों रखा दिशा नाम?
बता दें कि रेप से जुड़े मामलों में पीड़िता का नाम प्रकाशित या प्रसारित करना प्रतिबंधित है. मीडिया में पीड़िताओं का बदला हुआ नाम इस्तेमाल होता है. इसके अलावा पीड़िता की फोटो भी नहीं लगाई जाती. हालांकि पिछले कुछ दिनों से आम लोग न्याय के लिए चलाए जा रहे मुहिम में उनका असली नाम का ही इस्तेमाल कर रहे थे. इसके बाद पुलिस ने सबसे अनुरोध किया है कि वो ‘जस्टिस फॉर दिशा’ नाम से कैंपेन चलाये. पुलिस ने पीड़िता का नाम दिशा रखा जिसके नाम पर यह विधेयक बनाया गया.
आरोपियों का एनकाउंटर
हैदराबाद में पशु चिकित्सक के साथ हुए रेप और फिर जला कर मारने की घटना के बाद देश भर में ऐसी घटनाओं के खिलाफ आक्रोश था. इस मामले में चार आरोपी गिरफ्तार किये गए थे हालांकि जब पुलिस उन्हें सीन रिक्रिएशन के लिए मौका-ए-वारदात पर ले गई तो वह भागने की कोशिश करने लगे.
उन्होंने साथ गए पुलिसवालों के हथियार भी छीनने की कोशिश की और उन पर पत्थर बरसाए. पुलिस ने दावा किया कि आरोपियों ने इस दौरान गोली भी चलाई. अपने बचाव में उन्हें आरोपियों का एनकाउंटर करना पड़ा. तेलंगाना पुलिस की ओर से की गई इस कार्रवाई की देश के कई हिस्सों में प्रशंसा हुई तो कई ने इसकी भर्त्सना की
फिलहाल एनकाउंटर का मामले पर सुप्रीम कोर्ट समेत राज्य सरकार ने अपनी जांच कमेटी बनाई है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया था