नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर विपक्षी पार्टियों की तरफ से लगातार विरोध किया जा रहा है। साथ ही पूर्वोत्तर भारत में भी इसको लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। कांग्रेस ने इस विधेयक को असंवैधानिक करार दिया। वहीं, कांग्रेस शासित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि वे इस बिल को लेकर उनकी पार्टी के रुख का समर्थन करते हैं। इस तरह अब तक छह राज्यों के सीएम इसे अपने राज्य में नहीं लागू करने की बात कह चुके हैं।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर कांग्रेस पार्टी ने जो भी रुख अपनाया है, हम उसका पालन करेंगे। उन्होंने कहा कि क्या हम उस प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहते हैं जो विभाजन का बीज बोती है?
दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर हमारा रुख कांग्रेस पार्टी द्वारा लिए गए रुख से बिल्कुल भी अलग नहीं है। हमारा रुख भी उनके जैसा ही है। हम इस बिल का विरोध करते हैं, क्योंकि यह असंवैधानिक है।
कांग्रेस की नीति का पालन करेंगे: बालासाहेब थोराट
वहीं, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट से जब पूछा गया कि क्या महाराष्ट्र सरकार नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू करेगी, तो उन्होंने इसके जबाव में कहा कि हम अपनी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की नीति का पालन करेंगे। हम पूरी तरह पार्टी के रुख के साथ है।
वहीं, महाराष्ट्र के गृह मंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि शिव सेना पर कोई दबाव नहीं है, और होगा भी नहीं। उद्धव ठाकरे जनता के हितों पर फैसला लेने के लिए सक्षम हैं।
6 राज्यों का इनकार
इससे पहले पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल सरकार भी इसे अपने राज्य में लागू नहीं करने का एलान कर चुके हैं। इस तरह से अब ये कानून देश के इन छह राज्यों में लागू नहीं होगा। बंगाल की सीएम ममता बनर्जी शुरुआत से ही इस बिल के विरोध में हैं और किसी भी हाल में इसे लागू नहीं करने की बात कह चुकी हैं। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और केरल के सीएम पिनरई विजयन भी इसपर अपना विरोध जता चुके हैं।
राज्यों के लिए बाध्यकारी
वहीं, सरकार के सूत्रों ने कहा कि नागरिकता का विषय संविधान की सातवीं अनुसूची में आता है इसलिए इससे मानना बाध्यकारी है। सभी राज्यों को नागरिकता बिल संशोधन को मानना ही होगा।