नई दिल्ली। एआईएमआईएम चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। अब तक कुल मिलाकर 12 संगठनों ने इस नए कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया है। ओवैसी ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा था कि भारत में इस तरह का कानून बनाकर आप जिन्ना को जिंदा कर रहे हैं।
ओवैसी का विरोध
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘मौलाना अबुल कलाम आजाद ने कहा था कि मैं एक हिंदुस्तानी मुसलमान हूं और मेरे मजहब का इस देश से एक हजार साल का रिश्ता है और हिंदुइज्म का चार हजार साल से ज्यादा का रिश्ता है। जब मेरा इस मुल्क से एक हजार साल का रिश्ता है तो वो रिश्ता कहां पर चला गया। ओवैसी ने कहा कि आप पर्लियामेंट में बैठ कर पैगाम दे रहे हैं कि हम मुसलमान हैं इसलिए आपको उसमें (सीएबी) में नही लाएंगे। आखिर आप हिंदुस्तान की सबसे बड़ी पंचायत से क्या मैसेज देना चाह रहे हैं।
क्या है इस कानून में?
संशोधित नागरिकता कानून के अनुसार 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ्गानिस्तान से भारत आये हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्यों को अवैध शरणार्थी नही माना जायेगा और उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान की जायेगी। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने बृहस्पतिवार की रात नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को अपनी सहमति दी और इसके साथ ही ये विधेयक कानून बन गया।
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कई याचिका
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा सहित कई याचिकाकर्ताओं ने नागरिकता संशोधन कानून की वैधता को चुनौती देते हुये सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को याचिकायें दायर कीं। इन सभी याचिकाओं में कहा गया है कि नागरिकता कानून में संशोधन संविधान के बुनियादी ढांचे और समता के अधिकार सहित मौलिक अधिकारों का हनन करता है।
शीर्ष अदालत में इस कानून की वैधानिकता को चुनौती देते हुये याचिका दायर करने वाले अन्य व्यक्तियों और संगठनों की पूरी लिस्ट
- तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा
- कांग्रेस सांसद जयराम रमेश
- आल असम स्टूडेन्ट्स यूनियन
- पीस पार्टी
- गैर सरकारी संगठन ‘रिहाई मंचÓ
- सिटीजन्स अगेन्स्ट हेट
- अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा और
- कानून के छात्र (सिम्बॉयसिस लॉ स्कूल)
- एहताम हाशमी
- प्रद्योत देब बर्मन
- जयराम रमेश
- एआईएमआईएम चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी