रायपुर, 17 दिसंबर 2019। बहरेपन जैसी गंभीर विकृति शिुशओं के जन्म से लेकर सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए यह कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इसके लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अब मितानीनों द्वारा अन्य कार्यक्रतों के साथ ही गृह भ्रमण के दौरान समुदाय के लोगों का चिन्हीकरण करने में अपनी भागीदारी निभाएंगे। मितानीन और आंगनबाड़ी की पहुंच समुदाय में सीधे संपर्क होते हैं। इस लिए ऐसे लोगों की पहचान कर जिला अस्पताल में जांच कर इलाज भी कराने के लिए परामर्श कर सकते हैं। राष्ट्रीय बधिरता रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीपीसीडी) के तहत प्रदेश के सभी जिले के विकासखण्ड स्तर से आरएचओ (महिला एवं पुरूष), आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व मितानीनों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कार्यक्रम अंतर्गत एक दिवसीय विकासखंड स्तरीय प्रशिक्षण का आयोजन रायपुर जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अभनपुर में प्रशिक्षण आज प्रदान किया गया। स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमले के साथ ही टीम के साथ कर्मी गांव-गांव पहुंचकर इस विकृति से पीडि़त बच्चों से लेकर बुजुर्गों का भी व्यापक स्तर पर अभियान चलाकर चिन्हीकरण करेंगे।
बहरेपन से प्रभावितों की तलाश कर चिंहांकित कर स्वास्थ्य विभाग द्वारा निशुल्क इलाज भी करेगा। एनपीपीसीडी के स्टेट नोडल अधिकारी डॉ कमलेश जैन ने बताया, बहरेपन यानी सुनाई नहीं देने की कान संबंधित विकृति की पहचान कर लोगों को इलाज की सुविधाएं प्रदान की जाएगी। डॉ. जैन ने बताया अप्रैल 2019 से लेकर अक्टूबर 2019 तक कान से संबंधित 5663 रोगियों की जांच की गई जिसमें 5225 बधिर रोग से ग्रसित मिले। जांच के बाद 1377 रोगियों की माईनर सर्जरी तथा 116 रोगियों की मेजर सर्जरी किया गया। 2115 लोगों को हियरिंग ऐड तथा 1149 लोगों को स्पीच थैरपी दी गई। उन्होंने बताया प्रदेश चिंहाकित 27 जिला अस्पतालों में कर्ण यानी कान से संबंधित रोग के उपचार के लिए निर्माण कार्य एवं ईयर केयर उपकरण प्रदाय करने की स्वीकृति भारत सरकार से मिली हुई है। प्रदेश के 15 जिलों में ईएनटी कीट , 12 जिलों में बेरा मशीन और 16 जिलों साउंड प्रुफ रुम की सुविधा प्रदान की जा रही है। ताकि लोगों को कान से संबंधित रोगों का इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज स्तर में जाने की जरुरत नही पड़े।
इसके लिए सभी जिलों में एक साथ स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और मितानीनों को भी इस कार्यक्रम से जोड़कर प्रभावित लोगों का इलाज कराया जाएगा। प्रशिक्षण के जरीये मैदानी अमले को जानकारी प्रदान कर एनपीपीसीडी कार्यक्रम के उन्मुखीकरण, बधिरता सम्बन्धी करणों की शीघ्र पहचान एवं निदान के बारे में कार्यशाला आयोजित की जा रही है। साथ ही साथ बच्चों में स्पीच थेरेपी के महत्व संबंधी विषयों पर कार्यशाला में चर्चा की गई।
राष्ट्रीय बधिरता रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए लोगों में जनजागरूकता लाने रैली, सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बीमारी अथवा चोट के कारण सुनने की क्षमता की कमी की रोकथाम, सुनने को कम करने वाली कान की समस्याओं की शीघ्र पहचान एवं उपचार करना, बहरापन से पीड़ित समस्त लोगों का पुनर्वास एवं उपकरण सामग्री उपलब्ध कराने के लिए समाज एवं कल्याण विभाग से समन्वय स्थापित कर हितग्राहियों को प्रदान किया जाता है। तथा ट्रेनिंग देकर संस्थागत क्षमता का विकास करना है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मीरा बघेल के निर्देशानुसार व जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ रवि तिवारी, जिला नोडल अधिकारी डॉ. श्वेता बाखरू, डीपीएम मनीष कुमार मेजरवार के मार्गदर्शन में मास्टर ट्रेनर खुशबू भूआर्य, ऑडियोलॉजिस्ट व ऑडियोमेट्रिक असिस्टेंट विणा के सहयोग से प्रशिक्षण सम्पन कराया गया।
विश्व में 6.3 करोड़ लोग बहरेपन से प्रभावित :
वहीं डब्ल्यूएचओ के अनुसार 6.3 करोड़ लोग इस विकृति से प्रभावित हैं। बहरापन आमतौर पर सेंसरी डिफेक्ट विकृति है। यह जन्म से 14 वर्ष तक के बच्चों में बहुतायत में पाया जाता है। अब ऐसे चिन्हित लोगों को जागरूक एवं स्पीच थैरेपी देकर, बालिका विद्यालय में बधिरता की पहचान कर विकलांगता प्रमाण पत्र जारी कर, अभिभावकों की काउंसलिंग कर, ईएनटी ओपीडी में बधिर रोगियों की पहचान कर एवं बधिरों की सूची बनाकर कार्यक्रम को सफल बनाया जाएगा।
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