प्रदूषण दुनिया की सबसे बड़ी समस्या बनता जा रहा है। वायु प्रदूषण की ही तरह ध्वनि प्रदूषण भी घातक हो रहा है, लेकिन इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जबकि ध्वनि प्रदूषण हमारी उम्र कम कर रहा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, वायु प्रदूषण के बाद ध्वनि प्रदूषण बीमारियों की दूसरी सबसे बड़ी वजह है। वठ की रिपोर्ट ने शहरी ध्वनि प्रदूषण को पर्यावरण के लिए उभरते नए खतरों में सबसे ऊपर बताया। पेरिस हेल्थ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, पेरिस में रहने वाले लोगों की ध्वनि प्रदूषण की वजह से 10.7 महीने की औसत उम्र कम हो रही है।
साउंड्स से बीमारियां हो रहीं
ऐसी आवाजें जो हमारी नींद तोड़ती हैं, क्रोनिक साउंड्स कही जाती हैं। ये हमें परेशान करती हैं, लेकिन इससे कहीं ज्यादा ये हमें हाईपर टेंशन, दिल का दौरा जैसी बीमारियों की मरीज बना रही हैं। जो लोग हाईवे के किनारे रहते हैं, दिन भर ट्रैफिक का शोर सुनते हैं, उन्हें इसकी आदत पड़ जाती है। इसलिए ये आवाजें उन्हें बहुत ज्यादा परेशान नहीं करतीं, लेकिन उनका शरीर इन आवाजों से प्रतिक्रिया करता है और शरीर की दूसरी बीमारियों को कई गुना बढ़ा देता है। वहीं, किसी शांत इलाके जैसे कि गांव, शहरों के बाहरी इलाके में रह रहे लोग अचानक कभी-कभी होने वाली तीव्र आवाजों से परेशान होते हैं और उनका शरीर ज्यादा प्रतिक्रिया करता है। जैसे किसी तेज आवाज के साथ जा रही ट्रेन। दरअसल शांत इलाकों में ऐसी आवाजों की तीव्रता और बढ़ जाती है।
तेज आवाजों से हमारे शरीर में कई केमिकल रिलीज होते हैं
अमेरिका के मैसाचुसेट्स जेनरल अस्पताल में अपनी स्टडी में रिसर्चर्स ने पाया कि तेज आवाजों से हमारे शरीर में कई केमिकल रिलीज होने लगते हैं। हमारे नर्वस सिस्टम को प्रभावित करते हैं। हमारे दिल की गति, बीपी बढ़ जाता है। रिसर्चर्स ने बताया कि ट्रैफिक के शोर में ज्यादा समय रहने वाले लोगों को 5 साल के अंदर दिल का दौरा पड़ने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 53 डेसिबल से ज्यादा का ट्रैफिक का शोर और 45 डेसिबल का हवाई जहाज का शोर इंसान को बीमार बना सकता है। अमेरिका की एक तिहाई आबादी हर वक्त इस शोर के बीच रहती है।