रायपुर
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पहली बार आयोजित आम महोत्सव में जबरदस्त भीड़ देखने को मिल रही है। 300 से अधिक आमों की वैरायटी देखने और उसका स्वाद चखने शहरवासी जोरा स्थित पंजाब केसरी भवन पहुंच रहे हैं। प्रदर्शनी में आम की एक ऐसी वैरायटी शामिल हुई, जिसने सभी को अचंभित कर दिया है। उस आम का नाम है "मियाजाकी जापान आम"।
मियाजाकी आम दुनिया का सबसे मंहगा आम है, जो जापान में उगाया जाता है। इसकी कीमत 2 लाख 70 हजार रुपये प्रति किग्रा तक है। प्रकृति की और सोसाइटी के सचिव मोहन वार्ल्यानी ने जानकारी बताया कि प्रदर्शनी में प्रदर्शित आम का वजन 640 ग्राम है, जिसकी कीमत 1,82,000 रुपए है।
उन्होंने बताया कि यह आम आसानी से उत्पादित नहीं किया जा सकता। जापान की मिट्टी और वातावरण मियाजाकी आम के उत्पादन के लिए अनुकूल है। इसलिए आम की कीमत बहुत ज्यादा है। आरपी गुप्ता रिटायर्ड, महाप्रबंधक कोल इंडिया, आम महोत्सव में आयोजन के दूसरे दिन स्वयं अपनी प्रविष्टियां लेकर आए।
सूरजपुर के सिलफिली निवासी आरपी गुप्ता शौकिया रूप से आम की खेती करते हैं। उनके पास मियाजाकी आम के दो पेड़ हैं, जिसमें से एक पेड़ से चौदह आम फले थे। 14 में से बहुत सारे आम वातावरण के अनुकुल नहीं होने के कारण बेकार हो गए। अन्य विदेशी प्रजातियाें की बात करें तो चाइना की नाम डाक मइ, फिलीपींस की आल टाइम मैंगो, अमेरिका की जंबो रेड, थाईलैंड की भस्तारा किस्मों ने भी लोगों को आकर्षित किया।
'मियाजाकी' की क्या है खासियत
ये आम जापान में उगाया जाता है और यहां के शहर 'मियाजाकी' के नाम पर ही इसका नाम रखा गया है। राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने बताया कि उनके पास इस प्रजाती के दो पेड़ हैं और पहला फल वे रायपुर लेकर आए हैं। इस आम की खासियत यह है कि फल का जो हिस्सा सूर्य की रोशनी की ओर होता है, उसका स्वाद अलग और जिस हिस्से पर रोशनी नहीं पड़ती उसका टेस्ट कुछ अलग होता है।
उन्होंने बताया कि कॉर्पोरेट कल्चर में बड़े व्यवसायी और उद्योगपति एक दूसरे को ये महंगा आम गिफ्ट करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 2 लाख 70 हजार रूपए प्रति किलो है। गुप्ता अपने साथ कैलिफोर्निया यूएसए, थाईलैंड, फिलीपींस, चाइना, और बांग्लादेशी प्रजाती के भी आम यहां प्रदर्शनी में लेकर पहुंचे हैं।
प्रदर्शनी में बड़ी संख्या में जुटे लोग
यहां पहुंची प्रकृति प्रेमी शिल्पा नाहर ने बताया कि प्रदर्शनी अपने आप में बेहद खास है। यहां बेर के साइज के सबसे छोटे आम याकुर्ती और सबसे बड़े हाथीझूल देखने को मिले हैं। उनके मुताबिक छत्तीसगढ़ की अपनी खुद की प्रजाती पवन, स्वर्णप्रभा, गौरव, अचार, छत्तीसगढ़ राज और नंदीराज आम उन्हें यहां देखने मिले। साथ ही ये भी पता चला कि पूरे विश्व में आमों की 1500 से 1600 प्रजातियां पाई जाती है, जिनमें 50 प्रतिशत भारत में ही मिलता है।
उद्यानीकी विभाग करा रहा है आयोजन
तीन दिवसीय इस मैंगो फेस्टिवल का आयोजन प्रकृति की ओर सोसाइटी और उद्यानीकी विभाग कर रहा है। आयोजन समिति के सचिव मोहन वर्ल्यानी ने बताया कि यहां छत्तीसगढ़ की विभिन्न किस्मों के आम और अहमदाबाद, लखनऊ, महाराष्ट्र, हैदराबाद, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों से से लगभग 200 वैरायटी के आमों का प्रदर्शन किया जा रहा है।