सेक्स के दौरान कंडोम निकाल देना भी माना जाएगा रेप, कानून बनाने की हो रही मांग

क्वींसलैंड: भारत ही नहीं दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां रेप और महिलाओं की सुरक्षा सरकार के सामने एक बड़ी समस्या बनी हुई है। कुछ देशों में रेप को लेकर कड़े कानून बनाए गए हैं, तो कुछ देशों में कानून को ही हथकंडा बनाकर आरोपी ऐसी घटनाओं को अंजाम देकर आसानी से बच जाते हैं। इसी बीच ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में रेप से जुड़े अपराधों पर कड़ा कानून बनाने की तैयारी की जा रही है। इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। प्रस्ताव पर लोगों से उनकी राय मांगी जा रही है। कानून के विरोध और प्रस्ताव के समर्थन में कई महिलाएं खुलकर सामने आ रही हैं।

दरअसल क्वींसलैंड में मौजूदा कानून को रेप के आरोपी लगातार चुनौती देते आ रहे हैं। कानून को ताक में रखकर आरोपी ऐसे घिनौने काम को अंजाम देते हैं और आसानी से बच निकलते हैं। प्रस्ताव में लोगों से पूछा गया है कि क्या शारीरिक संबंध बनाने के दौरान कंडोम से छेड़छाड़ करना या उसे निकालना क्या अपराध की श्रेणी में आ सकता है?

वहीं, क्वींसलैंड के मौजूदा कानून में एक प्रावधान यह भी है कि अगर दुष्कर्म के दौरान कोई महिला चिल्लाती या रोती नहीं तो उसे रेप नहीं माना जाता। ऐसे कई मामले में कोर्ट के सामने आए, जब महिलाओं ने दुष्कर्म के दौरान किसी प्रकार की कोई आवाज नहीं की। ऐसे मामलों में भी आरोपी आसानी से कोर्ट से निर्दोष साबित हो गए।

सदियों से चले आ रहे इस कानून की खामियों को सबसे पहले अटॉर्नी जनरल यवेटे डीथ ने उजागर किया था। इसके बाद क्वींसलैंड के कानून सुधार आयोग ने कानून की खामियों को लेकर परामर्श पत्र जारी किया है। मामले को आगे बढ़ाए जाने की अटॉर्नी जनरल की घोषणा के बाद ही खुलासा किया कि फिलहाल सरकार की कानून बदलने की कोई तत्काल योजना नहीं है।

दरअसल कानून की इस गलती का फायदा उठाकर आरोपी ये तर्क देता है कि संबंध बनाने के दौरान पीड़िता ने विरोध जाहिर नहीं किया और उसे लगा कि इसमें महिला की सहमति शामिल है। कानून की इन खामियों के तहत बीते दिनों किंग्स क्रॉस नाइट क्लब के मालिक के बेटे ल्यूक लाजर को कोर्ट से निर्दोष करार दिया गया था। ल्यूक लाजर को 2013 में एक महिला से रेप का दोषी ठहराया गया था।

इस मामले में ल्यूक लाजर को 11 महीने तक जेल में रहना पड़ा था। मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये माना कि महिला ने दुष्कर्म के दौरान न तो चिल्लाया और न ही भागने का प्रयास किया। इस लिहाज से ऐसा माना जा सकता है कि उसकी सहमति थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि भले ही महिला मानसिक तौर पर इसके लिए तैयार नहीं थी, लेकिन उसने अपनी सहमति से संबंध बनाए हैं। इन तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने ल्यूक लाजर को बरी कर कर दिया था।

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