रायपुर। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर तालाब समेत अन्य जल स्रोतों के व्यवसायिक उपयोग को लेकर सरकार ने कड़ा फरमान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि तालाब या जल स्रोतों पर व्यवसायिक या अन्य किसी भी प्रयोजन के लिए अनापत्ति, अनुमति किसी भी परिस्थिति में नहीं दिया जाएगा। सरकार ने जिलों को इस निर्देश का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने को कहा है।
विभागीय अफसरों के अनुसार एनजीटी ने जल स्रोतों के संरक्षण को लेकर दाखिल मामले की सुनवाई के बाद केंद्र सरकार समेत सभी राज्यों का आदेश जारी किया है। इसमें तालाबों व जल स्रोतों के व्यवसायिक उपयोग पर तत्काल रोक लगाने और उनके पुर्नस्र्द्धार करने का निर्देश दिया है। इसी आधार पर सरकार ने राज्य में स्थानीय निकायों को यह आदेश जारी किया है।
कभी तालाबों का राज्य था छत्तीसगढ़
प्राचीन काल में रतनपुर रियासत में 1400 तालाब होने के प्रमाण मिलते हैं। अकेले रायपुर में ही 300 से ज्यादा तालाब होना माना गया है। वर्तमान में 126 तालाब हैं। राज्य के ज्यादातर शहरों में तालाब मैदान में तब्दील हो गए हैं, जो बचे हैं वे भी अतिक्रमण का शिकार होते जा रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य के 168 शहरों और कस्बों में 2045 तालाब समेत अन्य जलस्रोत हैं।
नक्सल क्षेत्र में सीआरपीएफ ने भी शुरू तालाब बचाने की पहल
गौरतलब है कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने पानी के प्राकृतिक स्रोतों को बचाने के लिए पहल की है। सीआरपीएफ ने छत्तीसगढ़ के नक्सल क्षेत्र में स्थानीय आदिवासियों के लिए कृत्रिम तालाब बनाने का काम शुरू किया है। सीआरपीएफ अधिकारियों के मुताबिक ताजा सर्वे में पाया गया कि इस जल निकाय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्रामीणों के लिए कुल जल स्रोत का लगभग 95 प्रतिशत भाग हैं इसलिए जल निकाय जो सूख गए हैं उन्हें को बचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इस कार्यक्रम के तहत एक दर्जन गांवों को चुना गया है, जहां प्रकातिक तलाबों को विकसित किया जा रहा है या सीआरपीएफ द्वारा नए तलाबों का निर्माण किए जा रहे हैं।