संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 इस साल मार्च से लागू हो जाएगा। सरकार इसको लेकर जल्द ही अधिसूचना जारी करेगी। इससे संबंधित की शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई होगी। ऑनलाइन बिक्री में भी उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी कंपनियों को भारी पड़ सकती है। उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापन जारी करने पर भी संबधित कंपनी के खिलाफ कार्रवाई हो सकेगी।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के नियमों का अंतिम मसौदा लगभग तैयार है। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के साथ चर्चा के बाद इसे अमली जामा पहनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, अधिसूचना के बाद इस अधिनियम को मार्च से लागू कर दिया जाएगा। नया कानून उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 का स्थान लेगा। नए नियमों की मदद से उपभोक्ता विवादों को समयबद्ध, प्रभावी और त्वरित गति से निपटाने में सहायता मिलेगी।
नए कानून के तहत एक केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) बनाया जाएगा। जिसकी मदद से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा समग्रता और कठोरता से हो सकेगी। साथ ही निर्मित उत्पादों की जांच कई स्तरों पर की जा सकेगी। जैसे खरीदने से पहले और बाद में यदि उत्पाद मानकों के अनुरूप नहीं होता है, तो उत्पाद की खेप बाजार से वापस लेनी होगी।
रुकेगी विक्रेताओं की मनमानी
सीसीपीए अनुचित व्यापार प्रथाओं से उत्पन्न होने वाली परेशानियों और विक्रेताओं की मनमानी को रोकने के लिए हस्तक्षेप करेगा। इसमें प्राधिकरण कार्यवाही शुरू कर सकता है। इसमें वापसी के साथ उत्पाद रिफंड तक किया जा सकेगा। इसके अलावा नए नियमों में वर्तमान विवाद समाधान प्रक्रिया को सरल किया गया है। इसमें मध्यस्थता और वाद की ई-फाइलिंग का भी प्रावधान किया जा रहा है। अब उपभोक्ता अपने निकटवर्ती किसी भी उपभोक्ता न्यायालय में मामला दर्ज कर सकेगा, जहां वह रहता है।