राजनांदगांव : नरवा, गरवा, घुरवा और बारी : कलेक्टर श्री मौर्य की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समीक्षा बैठक संपन्न

कृषि आधारित ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मजबूत करना योजनाओं का उद्देश्य

    राजनांदगांव 05 जनवरी 2020

कलेक्टर श्री जयप्रकाश मौर्य की अध्यक्षता में आज यहां पùश्री गोविंदराम निर्मलकर ऑडिटोरियम में छŸाीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरवा, घुरवा और बारी योजना की जिला स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। कलेक्टर श्री मौर्य ने बैठक में इन योजनाओं के संबंध में राज्य सरकार के मुख्य उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चारों योजनाओं का क्रियान्वयन मिशन मोड में किया जाना है। प्रदेश सरकार इन योजनाओं के जरिए कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना चाहती है। चारों योजनाओं को आधार बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का एक नया रास्ता बनाने की प्रदेश सरकार की मंशा है। इनके क्रियान्वयन से जुड़े शासकीय अमले को जनभागीदारी के साथ योजनाओं के उद्देश्य को प्राप्त करने में पूरी संवेदनशीलता के साथ जुड़ने की जरूरत हैं।
बैठक में जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती तनुजा सलाम, उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ. मेश्राम, उप संचालक कृषि श्री टीकम सिंह ठाकुर, सहायक संचालक कृषि एवं प्रभारी उद्यानिकी विभाग श्री रंधीर अंबादे, जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिले भर के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी, ग्राम पंचायतों के सचिव, जनपद पंचायतों के तकनीकी सहायक, जिला पंचायत के परियोजना अधिकारी और एनआरएलएम के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।
कलेक्टर श्री जयप्रकाश मौर्य ने बैठक में कहा कि सुराजी ग्राम योजना के अंतर्गत गौठान समितियों को सक्रिय मुख्य कार्य है। गौठान समिति ही तय करेगी कि गौठानों का संचालन कैसे करना है। श्री मौर्य ने कहा कि पशुधन के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए गौठानों को पूरी क्षमता के साथ संचालित करने की जरूरत हैं। हर गांव में परंपरागत गौठान हैं। ऐसे गांव जहां योजना के तहत सुविधायुक्त गौठान बनाए गए हैं वहां मवेशियों को अनिवार्य रूप से लेजाया जाना चाहिए।  प्रदेश सरकार ने फसलों की सुरक्षा के उद्देश्य से भी नई योजना बनाई है। वर्तमान में केवल खरीफ मौसम में मवेशियों को चराने के लिए चरवाहे की व्यवस्था है। इसीलिए खरीफ मौसम की फसल को नुकसान नहीं पहुंचता।
श्री मौर्य ने कहा कि प्रदेश सरकार रबी मौसम में फसलों का रकबा बढ़ाना चाहती है। इसके लिए जरूरी है कि रबी मौसम में भी मवेशियों के लिए चरवाहों की व्यवस्था हो। सभी विभागों के मैदानी कर्मचारी गांवों में चौपाल लगाकर मवेशियों के मालिकों को समझाएं कि रबी मौसम में भी चरवाहे लगाएं। इससे फसलों की सुरक्षा अच्छी तरह से होगी।
कलेक्टर श्री मौर्य ने बैठक में बताया कि प्रदेश सरकार गौठानों को मल्टी एक्टिविटी केन्द्र के रूप में विकसित करना चाहती है। इसके लिए गौठान के पास ही स्व सहायता समूह की महिलाओं के लिए रोजगार मूलक काम-धंधे शुरू करना है। हर गौठान के पास नरेगा से वर्कशॉप शेड बनाया जाना है। महिलाओं को उनकी रूचि के अनुसार दो-दो, तीन-तीन की संख्या में अलग-अलग रोजगार मूलक गतिविधियों जैसे मुर्गी पालन, पशुपालन, गमला बनाना, सिलाई-बुनाई, फाईल पेड आदि कार्यों से जोड़ा जाना है। कुछ महिलाओं को वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के कार्य से जोड़ना चाहिए। श्री मौर्य ने कहा कि सब्जी-भाजी की खेती में रूचि रखने वाली महिलाओं को इस प्रकार का कार्य दिया जाए। गौठानों के आस-पास वृक्षारोपण में फलदार जैसे आम, अमरूद, बेर के पौधे लगाए जाए ताकि आगे चलकर इससे भी आय होने लगे। उन्होंने कहा कि सभी गौठानों में शौचालय जरूर बनाना है।
श्री मौर्य ने कहा कि पशुधन के जरिए ग्रामीणों की आय बढ़ाने के लिए भी पशु चिकित्सा विभाग की ओर से नस्ल सुधार के कार्यक्रम शुरू किए जा रहे हैं। इससे गांवों में दूध का उत्पादन बढ़ेगा। श्री मौर्य ने मैदानी अमले को गांव-गांव चौपाल लगाकर नस्ल सुधार के लिए पशुपालक किसानों को समझाईश देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नये गौठानों वाले गांवों में उन्नत घुरवा विकसित करने के लिए हर घर में नडेप और भू-नडेप बनाएं जाए। घरों और बाड़ी-बखरियों से निकलने वाले कचरे को जलाने के बजाए इससे खाद बनाने के लिए भी लोगों को प्रोत्साहित किया जाए।
श्री मौर्य ने कहा कि फसल अपष्टि प्रबंधन के लिए सामुदायिक जागरूकता लाने की कोशिश की जाए। पैरा को जलाने के बजाए गौठानों के लिए पैरा दान कराया जाए। रबी मौसम में किसानों को धान की बजाए अन्य फसलें लेने के लिए किसानों की सोच में बदलाव लाने की जरूरत हैं। किसानों को बताया जाए कि खेती का आशय केवल धान की खेती करना नहीं है। अन्य नगद फसल लेने से धान से ज्यादा आमदानी मिलेगी। रबी मौसम में धान की खेती का रकबा बढ़ने के कारण भू-जल के गिरते स्तर के कारण आ रही समस्या के बारे में भी लोगों में जागरूकता लाने समझाया जाना चाहिए। श्री मौर्य ने कहा कि किसानों को कम पानी में अधिक रकबे में फसल लेने के लिए स्ंिप्रकलर तथा ड्रीप लगाने के लिए राज्य सरकार की अनुदान मूलक योजनाओं के बारे में भी बताया जाए। उन्होंने कहा कि परंपरागत खेती की प्रवृŸिा में बदलाव लाने के लिए काफी मेहनत और समय की जरूरत है। धीरे-धीरे बदलाव आएगा। लेकिन किसानों के हित में इसके लिए स्पष्ट सोच और लगन के साथ प्रयास शुरू करने की तत्काल जरूरत है।
कलेक्टर ने गांवों के परंपरागत गौठानों की सुरक्षा के लिए घेरा लगाने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि गौठान समितियों के जरिए लोगों को समझाया जाए कि खरीफ मौसम में धान की सुरक्षा के लिए चरवाहे रखने की जरूरत है। हर गौठान में एक व्यक्ति को पूरे गौठान के रख-रखाव की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए। गौठानों से गोबर उठाने के लिए स्व सहायता समूह की एक-दो महिलाओं को जिम्मेदारी देकर वर्मी कम्पोस्ट बनाने का काम भी उन्हें ही दिया जाए। कलेक्टर श्री मौर्य ने राज्य सरकार की ओर से हर महीने गौठान समितियों को मिलने वाली राशि के उपयोग के संबंध में भी जरूरी निर्देश अधिकारियों-कर्मचारियों को दिए।
क्रमांक 20  राजेश

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