कौन हैं नकाबपोश जो जेएनयू के छात्रों, छात्र नेताओं और शिक्षकों को पीट गए?

भाजपा अध्यक्ष और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गृहमंत्री के तौर पर दिल्ली के उपराज्यपाल से जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार रात हुई हिंसक घटना पर बात की। ताजा हालात से अवगत हुए और उन्हें जेएनयू के छात्रों समेत अन्य से बात करने की सलाह दी है। अनिल बैजल देश के गृह सचिव रह चुके हैं। पुराने नौकरशाह हैं, प्रशासनिक बारीकियों को बखूबी समझते हैं।

दिल्ली पुलिस उपराज्यपाल और केन्द्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करती है, लेकिन अभी किसी के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि विश्वविद्यालय परिसर में घुसकर छात्रों, छात्र नेताओं और शिक्षकों को पीटने वाले नकाबपोश कौन थे? इन्होंने रविवार की रात का समय क्यों चुना? चार घंटे तक यह तांडव चला तो विश्वविद्यालय के कुलपति की क्या भूमिका रही?

पीटने वाले लेफ्ट थे या राइट या फिर अराजक तत्व?

जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष वाम दलों की विचारधारा से ताल्लुक रखती हैं। उनके सिर पर चोट लगी है। जेएनयू की प्रो. सुचित्रा के सिर पर काफी चोट है। चार छात्र के हाथ की हड्डी में फ्रैक्चर है। सफदरजंग अस्पताल पहुंचे छात्र के सिर पर धारदार हथियार से हमला हुआ था। इतना ही चिकित्सीय मदद के लिए पहुंची डा. की टीम, एंबुलेंस भी पथराव की चपेट में आई। यह सब संकेत करता है कि सबकुछ बहुत सुनियोजित था।

आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत अन्य इसे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(एबीवीपी) के विंग की करतूत बता रहे हैं। शिवसेना के प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इसकी तुलना 26 नवंबर को मुंबई में हुए आतंकी हमले से की है। वहीं भाजपा के नेताओं का कहना है कि हमले में लेफ्ट विंग का हाथ है। मीनाक्षी लेखी ने कहा कि छात्राओं के प्राइवेट पार्ट तक पर हमला हुआ। आखिर कौन थे हमलावर। लेफ्ट, राइट या अराजक लोग?

क्या कर रहा था प्रशासन?

-दिल्ली पुलिस के पास इसका जवाब हो सकता है, लेकिन उसका मुंह हमेशा की तरह केन्द्रीय गृहमंत्रालय का रुख देखकर ही खुल पाता है। इस मामले की जांच पुलिस के क्राइम ब्रांच को करनी है। इससे पहले भी जेएनयू में कुछ छात्रों पर देश विरोधी नारा लगाने का देशद्रोह का मामला दर्ज हुआ था। दिल्ली पुलिस ने ही मामले की पूरी जांच की है। तब भी कुछ नकाबपोश नारा लगा रहे थे? यह नकाबपोश कौन थे पता नहीं? दिल्ली पुलिस के पास जेएनयू के गायब हुए छात्र नजीब को लेकर भी अभी कोई जवाब नहीं है?

-एमएचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक लगातार कह रहे हैं कि वह जेएनयू को राजनीति का अड्डा नहीं बनने देंगे। एमएचआरडी मंत्री का यह बयान ही अपने आप में एक सवाल है। वह अभी इसका कोई उत्तर नहीं दे पा रहे हैं कि एक महीने पहले जामिया मिलिया इस्लामिया में और फिर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में हिंसा करने वाले लोग कैसे पहुंच गए?

-कुलपति की भूमिका बड़े सवाल के घेरे में है। हॉस्टल के वरिष्ठ वार्डन राम अवतार मीणा ने सुरक्षा दे पाने में असमर्थता के कारण वार्डन पद से इस्तीफा दे दिया है। सबसे बड़ा सवाल है कि कुलपति जगदीश कुमार की भूमिका को लेकर है। जेएनयू शिक्षक संघ ने भी जगदीश कुमार को उनके पद से हटाने की मांग की है।

सवाल इसलिए भी है कि विश्वविद्यालय में छात्रों, शिक्षकों के सुरक्षा जिम्मेदारी कुलपति की है। वह इसे सुनिश्चित करता है, लेकिन विश्वविद्यालय में चार घंटे तक हिंसक तांडव होता रहा। आखिर कुलपति ने क्या किया? हालांकि कुलपति जगदीश कुमार ने कहा है कि दोषी किसी कीमत पर बख्शे नहीं जाएंगे।

व्हाट्सएप संदेश भी कुछ कह रहे हैं

दिल्ली पुलिस इन व्हाट्सएप संदेशों पर जरूर ध्यान देगी। व्हाट्सएप संदेश में आखिर वह कौन सा समूह है जिसे हिंसक घटना पर मजा आ गया? वह कौन लोग हैं जो विश्वविद्यालय के कुलपति को अपना बता रहे हैं? यह शरारत या सुनियोजित साजिश? जेएनयू हमले को लेकर कोड वर्ड का इस्तेमाल होने की खबर है। यह सुनियोजित हमला कहां से प्रायोजित था?

दिल्ली पुलिस को पहला फोन ढाई बजे किसने करके हमला जैसे अंदेशे की सूचना दी थी? एबीवीपी और वामदलों के छात्रों के बीच दिन में हाथापाई की घटना के बाद बदला लेने का संदेश प्रसारित हुआ, ढाई बजे के बाद से हालात तनावपूर्ण चल रहा था लेकिन प्रशासन इसे भांप नहीं पाया। वाम दल और एबीवीपी दोनों वर्गों के छात्रों का आरोप है कि जब सबकुछ हो रहा था तो पुलिस परिसर में थी, लेकिन मूक दर्शक बनी रही।

शिक्षण संस्थानों की सुरक्षा बढ़ी

लखनऊ, इलाहाबाद, बीएचयू जैसे विश्वविद्यालयों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। दिल्ली में जेएनयू, डीयू, जामिया में सुरक्षा का स्तर बढ़ा है। इसी तरह से कई राज्यों में विश्वविद्यालयों में सुरक्षा बढ़ाने की खबरें आ रही हैं। जेएनयू की इस घटना के बाद देश भर के शिक्षण संस्थानों में विरोध प्रदर्शन का दौर भी शुरू हो गया है।

सबसे बड़ा सवाल,पिटाई करने वालों ने रविवार को क्यों चुना?

हमले में चाहे राइट हो या लेफ्ट, लेकिन जेएनयू की यह घटना कई तरफ इशारा कर रही है। देश में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन अभी जारी है। इसी को लेकर जामिया मिलिया इस्लामिया में भी हिंसक घटना हुई थी। रविवार को ही इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में भाजपा अध्यक्ष और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इसके पीछे आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और विपक्ष के नेताओं को जिम्मेदार बताया।

दंगे के लिए जिम्मेदार ठहराया। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार और भाजपा जनता के बीच में फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने के लिए घर-घर जाएगी, लेकिन टुकड़े-टुकड़े गैंग से दूर रहेगी। इसके ठीक एक दिन बाद दिल्ली में चुनाव की तारीखों की घोषणा हो गई। इससे ठीक पहले रात में जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में हिंसक घटना घटित हो गई।

घटना के तत्काल बाद विपक्षी नेताओं ने अस्पताल दौरा से लेकर भाजपा और केन्द्र सरकार पर अक्रामक रुख अख्तियार कर लिया। राजनीति के जानकार इस टाइम फ्रेम को राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *