संयुक्त राष्ट्र,
दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र (संरा) का प्रतिनिधित्व मौजूद रहेगा। प्रवक्ता फरहान हक ने यह बात कही। हक ने एक ब्रीफिंग में कहा कि संयुक्त राष्ट्र दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में उपस्थित रहेगा। उम्मीद है कि संभवत: अगले सप्ताह की शुरुआत में इस बारे में कोई घोषणा होगी।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 22 से 24 अगस्त तक जोहान्सबर्ग में आयोजित किया जाएगा। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के वीडियो लिंक के माध्यम से सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद है।
दक्षिण अफ़्रीकी विदेश मंत्री नलेदी पंडोर ने जुलाई में कहा कि 23 देशों ने आधिकारिक तौर पर ब्रिक्स में शामिल होने में अपनी रुचि व्यक्त की है। मई में बेलारूस ने ब्रिक्स सदस्यता के लिए आवेदन किया था।
अमेरिका में हवाई प्रांत के जंगलों में भीषण आग, मरने वालों की संख्या बढ़कर 110 हुई
हवाई
अमेरिका में हवाई प्रान्त के जंगलों में लगी भीषण आग से मरने वालों की संख्या बढ़कर 110 तक पहुंची। प्रांतीय गवर्नर जोश ग्रीन ने कहा कि अमेरिका के इतिहास में जंगलों में आग लगने की यह सबसे भीषण घटना है। ग्रीन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “एक सौ दस लोगों के मरने की पुष्टि की गई है। हम जंगल की आग पर काबू पाने और लोगों को बचाने के लिए और अधिक आपदा स्थल की तैनात कर रहे हैं।”
गवर्नर ने ट्वीट किया कि अधिकारियों ने करीब 910 लोगों को 369 किराए के कमरों में शरण दी है। उन्होंने कहा कि "हमारे पास दीर्घकालिक किराये के लिए 700 प्रस्ताव हैं और 13 परिवारों को पहले ही रखा जा चुका है।"
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे ने बुधवार को कहा था कि राष्ट्रपति जो बिडेन और प्रथम महिला जिल बिडेन क्षेत्र में सबसे भीषण जंगल की आग से बचाए गए लोगों और अधिकारियों से मिलने के लिए 21 अगस्त को माउ के दौरे पर जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि हवाई में जंगल की आग शुष्क और गर्म मौसम के कारण लगी। इसके अलावा, यहां तूफानी हवाओं से यह आग और अधिक फैल गयी। इस भीषण आग से पर्यटक स्थल लाहिना सहित कई बस्तियां नष्ट हो गईं।
सुरक्षा के मद्देनजर अधिकारियों ने यहां की सड़कों पर आवागमन बंद कर दिया। सैकड़ों स्थानीय लोगों को इलाके से निकाला गया। पिछले सप्ताह, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हवाई में एक बड़ी आपदा की घोषणा की, जिससे द्वीपों पर लगी जंगल की आग से निपटने में मदद के लिए अतिरिक्त संघीय संसाधन उपलब्ध कराए गए।
भारत अपने विकास की प्रगति की जानकारी सीमाओं से परे देशों तक पहुंचा रहा : अमेरिकी राजनयिक
वाशिंगटन
अमेरिका की एक शीर्ष राजनयिक ने कहा है कि भारत ने अपनी खाद्यान्न सुरक्षा की जरूरतों के लिए अमेरिका से मदद प्राप्त करने से लेकर अब एक निर्यातक देश बनने तक लंबा सफर तय किया है और वह अपनी उल्लेखनीय विकास प्रगति को सीमाओं से परे देशों तक पहुंचा रहा है।
फिजी में आयोजित अमेरिका हिंद-प्रशांत रक्षा कमान प्रमुखों (सीएचओडी) के सम्मेलन को संबोधित करते हुए अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए अमेरिकी एजेंसी (यूएसएड) की प्रशासक सामंथा पावर ने कहा कि एक देश में निवेश से अक्सर अन्य देशों को लाभ मिलता है। उन्होंने अन्य देशों की मदद करने के भारत के प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने कहा, ''अगर हम एक देश में निवेश करते हैं तो उससे अक्सर दूसरे देशों को भी फायदा होता है। खाद्यान्न सुरक्षा को ही लें। भारत में 1960 के दशक की शुरुआत में हमने उच्च उपज वाले, टिकाऊ बीज विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों और स्थानीय किसानों के साथ मिलकर काम किया।''
पावर ने कहा, ''अगले दो दशकों में इन बीजों से भारत में धान उत्पादन में 50 प्रतिशत की वृद्धि में मदद मिली और गेहूं का उत्पादन 230 प्रतिशत बढ़ा। इससे बार-बार आने वाले अकाल के चक्र को समाप्त करने और हरित क्रांति को शुरू करने में मदद मिली जिससे दुनिया के अन्य हिस्सों में कृषि उपज को बढ़ावा मिला।''
उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी खाद्यान्न जरूरतों के लिए अमेरिका से मदद प्राप्त करने से लेकर अब अन्य देशों को अनाज निर्यात करने तक लंबा सफर तय किया है। पावर ने कहा, ''अब भारत अपने विकास की प्रगति को सीमाओं से परे अन्य देशों तक पहुंचाने के प्रयासों में विस्तार कर रहा है।''
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है और 2022 में चावल के वैश्विक कारोबार का करीब 40 प्रतिशत भारत से था जिसने 140 देशों को 9.66 अरब डॉलर मूल्य के 2.2 करोड़ टन चावल का निर्यात किया।
भारत सरकार ने अपनी घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने और आगामी त्योहार के मौसम के दौरान खुदरा कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए 20 जुलाई को गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस तरह का चावल देश से निर्यात होने वाले कुल चावल का लगभग 25 प्रतिशत है।
पावर ने कहा कि अमेरिका ने रणनीतिक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को गहरा किया है और अपने निवेश का विस्तार कर रहा है।
अमेरिका, भारत और कई अन्य विश्व शक्तियां वैश्विक व्यापार के लिए महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत की पृष्ठभूमि में एक स्वतंत्र, खुले और समृद्ध हिंद-प्रशांत को सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में चर्चा कर रही हैं।