शैक्षणिक सुधार का रोडमैप तैयार, छत्तीसगढ़ में शुरू की गई अनेक अभिनव पहल

रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य में नई सरकार आने के तत्काल बाद विगत जनवरी माह में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा एक महत्वपूर्ण कार्यशाला आयोजित कर स्कूली शिक्षा से जुड़े विभिन्न विशेषज्ञों को आमंत्रित कर विचार-विमर्श किया। मंथन के निष्कर्षों के साथ-साथ शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार एवं बच्चों की उपलब्धि में सुधार के लिए रोडमैप तैयार किया गया है। इसी तरह छत्तीसगढ़ राज्य में अनेक अभिनव पहल शुरू की गई है।

राज्य में सबसे पहला और महत्वपूर्ण सुधार आकलन के क्षेत्र में किया गया। पिछले वर्षों की वार्षिक परीक्षा के स्थान पर राज्य शैक्षिक अनुंसधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा लर्निंग आउटकम आधारित प्रश्न तैयार किया गया। इसके तहत सभी विषयों में कक्षा एक से आठवीं तक के तीस लाख बच्चों की परीक्षा व्यवस्थित तरीके से ली गई। प्रत्येक प्रश्न के प्राप्तांक की आनलाइन प्रविष्टि कर विश्लेषण किया गया। परिणामों के आधार पर प्रत्येक बच्चे, शाला एवं शिक्षक के लिए व्यक्तिगत सुधारात्मक योजना तैयार की जा सकेगी। व्यापक स्तर पर आकलन करने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य है।

पाठ्य-पुस्तकों में पहली बार क्यूआर कोड

छत्तीसगढ़ की पाठ्य-पुस्तकों में पहली बार क्यूआर कोड के साथ उपलब्ध कराया जा रहा है। इन पाठ्य-पुस्तकों को अब बच्चे, शिक्षक और पालक अपने मोबाइल या अन्य मल्टी मीडिया के माध्यम से स्केन कर देख सकेंगे। इससे इन पाठ्य पुस्तकों और उनके विषय की बेहतर समझ बनाई जा सकेगी। इस तरह पाठ्य पुस्तकों की पारंपरिक दुनिया से आगे सक्रिय पाठ्य पुस्तक (Energized Text Book) तैयारी के लिए नवीनतम सूचना तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।

राज्य में हिन्दी माध्यम की कक्षा पहली से दसवी तक विभिन्न विषयों की 67 किताबें तैयार कर इनकी दो करोड़ 83 लाख एक हजार 216 प्रतियां मुद्रित कर विद्यार्थियों तक पहंुचाई गई हैं। इन पुस्तकों में तीन हजार चालीस क्यूआर कोड अंकित किए गए है।

बच्चों को उनकी भाषा में पाठ्य सामग्री प्राप्त हो और शिक्षा आनंददायी बन सकें इस उद्देश्य से क्यू.आर.कोड के लिए विशेष आकर्षण बहुभाषा में पाठ्य सामग्री का विकास भी किया गया है। इसके लिए छत्तीसगढ़ी भाषा के अलावा हल्बी, सरगुजिहा, कुडूख, दंतेवाड़ा गोंडी, कांकेर गोंडी में भी वीडियो तैयार किए गए हैं।

सक्रिय पाठ्य पुस्तकों का उपयोग ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीकों से किया जा सकता है। इसका विशेष आकर्षण आकलन भी है। अभ्यास में अंकित क्यू.आर. कोड पर रोचक प्रश्न भी दिए गए हैं, जिससे विद्यार्थी खेल-खेल में सीखने का आकलन कर सके। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित चैम्पियन राज्यों में अग्रणी स्थान बनाकर छत्तीसगढ़ पूरे देश में सबसे ज्यादा पुस्तकों के साथ कार्य कर रहा है। इन पाठ्य पुस्तकों को उपयोग करने के लिए प्ले-स्टोर से दीक्षा एप डाउनलोड कर सकते हैं।

चर्चा पत्र की अब प्रिंट प्रति भी मिलेगी

शिक्षकों को अकादमिक मुद्दों पर संकुल स्तर पर चर्चा करने के लिए पिछले कुछ वर्षों से राज्य में चर्चा पत्र मोबाइल में तैयार कर भेजा जाता था। कई बार अनेक शिक्षकों को मोबाइल में इसे पढ़ने में तकलीफ होती थी।

अब चर्चा पत्र को मोबाइल के साथ-साथ इसकी मुद्रित प्रतियाँ भी शिक्षकों को उपलब्ध करवाई जाएगी और इनके माध्यम से शालाओं में व्यापक परिवर्तन एवं शिक्षकों में कार्य के प्रति प्रोत्साहन लाने का प्रयास किया जाएगा।

बस्तर संभाग में ‘सरल‘ और दस जिलों में ‘निखार‘ कार्यक्रम शुरू

राज्य में पहली बार पीछे छूट रहे बच्चों के लिए उपचारात्मक शिक्षण की योजना बनाकर इसका क्रियान्वयन किया जा रहा है। प्रथम चरण में प्राथमिक स्तर पर बस्तर संभाग में “सरल” कार्यक्रम और दस जिलों में उच्च प्राथमिक स्तर पर “निखार” कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। इसके माध्यम से बच्चों के सीखने के सत्र में सुधार लाने का प्रयास किया जा रहा है। योजना के द्वितीय चरण में इसका राज्य के और अधिक जिलों में विस्तार किया जाएगा।

शिक्षक पुरस्कार चयन प्रक्रिया एवं मापदंड में परिवर्तन

शासन द्वारा शिक्षकों को पुरस्कार देने हेतु चयन प्रक्रिया एवं मापदंड में भी व्यापक परिवर्तन किया गया है। अब ऐसे शिक्षक जो सतत रूप से सीखाने में ध्यान दे रहे हों और शाला के बच्चों की उपलब्धि में लगातार सुधार लाने हेतु मेहनत कर रहे हों, उनका चयन पुरस्कारों के लिए किया जाएगा।

शिक्षकों को एक दूसरे से सीखने हेतु प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी का भी सहयोग लिया जाएगा और सोशल मीडिया से जुड़कर नवाचारों को साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

शिक्षक-विद्यार्थी के बीच बेहतर संवाद स्थापित करने के लिए आवश्यक है कि छोटे-छोटे बच्चों से शिक्षक उनकी मातृभाषा में बात करें। शिक्षकों के लिए राज्य में बोले जाने वाली विभिन्न स्थानीय भाषाओं के लिए भाषा सेतु सहायिका का निर्माण किया जा रहा है, जिसका उपयोग कर शिक्षक बच्चों से उनकी भाषा में वार्तालाप करने हेतु कर सार्थक प्रयास कर सकेंगे।

शिक्षा में तकनीकी को शामिल करने के लिए भी प्रयास प्रारंभ किए गए हैं। सीजी टीम्स के नाम से विभागीय आंकड़े एक ही स्थान पर एकत्र कर विभिन्न योजनाओं के लिए इनका उपयोग किया जाने लगा है।

इसी तारतम्य में राज्य के उच्चतर माध्यमिक एवं हाई स्कूल के करीब सवा चार हजार शालाओं में स्मार्ट कक्षा की स्थापना करने का कार्य प्रारंभ किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल 26 जून को शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मर्रा में डिजिटल लैब और आईसीटी कक्ष का शुभारंभ करेंगे। इनमें विद्यार्थियों को आधुनिक पद्धति से ना केवल कम्प्यूटर शिक्षा का ज्ञान मिलेगा, बल्कि वे ई-कन्टेंट के माध्यम से अध्ययन-अध्यापन कर सकेंगे।

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