सार
- निर्भया काण्ड के चार दोषियों को 22 जनवरी को सुबह सात बजे दी जानी है फांसी
- कहते हैं कि गरुण पुराण सुनने से लोग मृत्यु के लिए स्वयं को मानसिक रूप से तैयार करते हैं
विस्तार
संगठन का कहना है कि हिन्दू धार्मिक परम्परा में माना जाता है कि मृत्यु से पूर्व गरुण पुराण सुनने से लोग मृत्यु के लिए स्वयं को मानसिक रूप से तैयार कर पाते हैं।
साथ ही, इससे उन्हें कष्ट कम होता है और उन्हें मौत के बाद सद्गति मिलती है। संगठन ने इसके लिए तिहाड़ जेल के डिजी संजीव गोयल को पत्र लिखकर दोषियों को गरुण पुराण सुनाये जाने की अनुमति देने का निवेदन भी किया है।
कम कष्टकारी होती है मृत्यु
जेल सुधारों के लिए काम कर रही संस्था राष्ट्रीय युवा शक्ति के अध्यक्ष प्रदीप रघुनंदन ने अमर उजाला को बताया कि दोषियों को उनके किये की सजा दिए जाने की सारी प्रक्रियाएं लगभग पूरी कर ली गई हैं। अब जबकि उनका मरना निश्चित हो गया है, उन्हें ऐसी मृत्यु देने की कोशिश की जानी चाहिए जो कम से कम कष्टकारी हो। गरुण पुराण सुनने से मृतक और उसके परिवार मृत्यु के बाद की परिस्थिति के लिए स्वयं को मानसिक रूप से बेहतर ढंग से तैयार कर पाते हैं।
धार्मिक व्यवस्था में माना जाता है कि इससे उनको मृत्यु के बाद बेहतर काल देखने को मिलता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसलिए उनकी मांग है कि मानवीय आधार पर फांसी दिए जाने से पूर्व उन्हें गरुण पुराण सुनाये जाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
16 दिसंबर 2012 को निर्भया के साथ हुई अमानवीय हरकत के बाद 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इस कांड के बाद देशभर में गुस्सा पैदा हो गया था। लंबी सुनवाई के बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने अपराध में शामिल सभी दोषियों के लिए फांसी की सजा सुनाई थी। सभी प्रक्रियाओं से गुजरते हुए 10 जनवरी 2020 को अदालत ने डेथ वारंट जारी किया और इसके लिए 22 जनवरी 2020 सुबह सात बजे का समय निश्चित किया।
क्या है गरुण पुराण?
उन्होंने अपनी मृत्यु को रोकने के लिए उपाय किए, जिसके कारण उनकी मौत नहीं हो पा रही थी। लेकिन गरुण पुराण सुनने के बाद उनका मोह दूर हुआ और वे मृत्यु के लिए सहर्ष तैयार हो गए। माना जाता है कि इस ग्रंथ में शुरू में 19,000 श्लोक थे, लेकिन अब इसमें केवल सात हजार श्लोक ही रह गए हैं।