जल्द जारी होने वाली नई शिक्षा नीति में स्नातक तक सभी कोर्स की पढ़ाई मातृभाषा में होगी। सरकार ने बीच में पढ़ाई छोड़ने की समस्या को दूर करने के लिए शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी और हिंदी के अलावा मातृभाषा को भी बनाया है। इससे पहले नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा में मातृभाषा शामिल नहीं थी। इसमें मेडिकल और इंजीनियरिंग सहित स्नातक स्तर के सभी पाठ्यक्रमों को शामिल किया गया है। मेडिकल और इंजीनियरिंग की पुस्तकों को मातृभाषा में रूपांतरित किया जा रहा है।
एक अधिकारी ने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक की पढ़ाई मातृभाषा में होगी। राज्य बीए, बीकॉम, बीएससी की पढ़ाई मातृभाषा में करवा सकेंगे। उच्च शिक्षा में ग्रॉस एनरोलमेंट रेशो करीब 27 फीसदी है। इसका मकसद 2023 तक 40 फीसदी करना है। गौरतलब है कि भाषा के कारण अधिकतर छात्र उच्च शिक्षा में दाखिला नहीं लेते हैं या फिर बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं। उच्च शिक्षा में भी मातृभाषा का विकल्प होने पर छात्र उसे अपनी सुविधानुसार उसमें पढ़ाई कर सकेंगे। इसके अलावा भारतीय भाषाओं के लेखकों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।