रायपुर : संभागायुक्त श्री जी.आर. चुरेन्द्र ने शासन की मंशानुरूप स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए जारी दिशा-निर्देशों के अतिरिक्त व्यवहारिक रूप में भी कार्य किए जाने के संबंध में संभाग के सभी जिला कलेक्टरों को आवश्यक निर्देश जारी किए है। इस संबंध में उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारियों की संभागीय बैठक लेकर इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा है।
श्री चुरेन्द्र ने कहा है कि पहले कि तुलना में विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या बढ़ी है, पठन सामग्री बढ़ने के साथ शिक्षकों का समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे है। शासन स्तर से शिक्षा के क्षेत्र में हर संभव सुविधाएं बढ़ाई जा रही है, लेकिन इसके बावजूद प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में शिक्षा गुणवत्ता के जिस लक्ष्य को प्राप्त करने की अपेक्षाएं रही है, सही मायने में अभी तक अर्जित नहीं किया जा सका है। शिक्षा के विषय पर जन-भागीदारी भी अपेक्षित रूप में नही मिल रहा है। आज विद्यार्थी टी.वी. कम्प्यूटर, लैपटॉप, मोबाईल आदि के दुष्प्रभावों से प्रभावित है।
श्री चुरेन्द्र ने कहा कि स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़े और हम निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर सके इसके लिए आवश्यक है कि जिले में संकुल स्तर पर स्थित सभी विद्यालयों में प्राचार्यों, प्रधान पाठक और शिक्षकगणों की मीटिंग सह कार्यशाला आयोजित कर शिक्षा की गुणवत्ता को प्राप्त करने पर चर्चा की जाए। इस दौरान प्राचार्य ये प्रमाण पत्र लेकर आएं कि विद्यालय के सभी शिक्षकों के द्वारा विषय पाठ्यक्रम पंजी एवं शिक्षक डायरी संधारित कर ली गई हैं तथा विद्यालय में तैयार किए गए समय-सारिणी के अनुसार शिक्षक कार्य कर रहे हैं। इसी तरह क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों एवं उस गांव में पदस्थ सभी शासकीय अमलों को लेकर ग्राम स्तर पर वन महोत्सव आयोजन कराकर शासकीय व निजी भूमियों व परिसरों में वृक्षारोपण कर उन्हें हरा-भरा बनाया जाए।
प्रत्येक विद्यालयों में शाला प्रबंधन समिति की बैठक सभी सदस्यों की उपिस्थिति में अनिवार्य रूप से आयोजित हो। विद्यालयों में विभिन्न गतिविधियों के प्रभारियों यथा खेलकूद, बागवानी, लाईब्रेरी, स्काउट गाईड आदि के द्वारा भलीभांति दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है इसको संयुक्त प्रमाण पत्र संस्था प्रमुख व प्रभारी से लिया जाए। बच्चों को समय पर पुस्तक और गणवेश वितरण हो। सभी स्कूलों में विद्यालयों में विभिन्न विभागों के कर्मचारी, जनप्रतिनिधि, ग्राम कोटवार, ग्राम पटेल व सामाजिक प्रमुखों की उपस्थिति में प्रत्येक दो माह में पालक-बालक सम्मेलन का आयोजन अनिवार्य रूप किया जाए।
शिक्षा गुणवत्ता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए विभागीय अधिकारियों के अतिरिक्त जिला कलेक्टर के स्तर से जिला अधिकारियों एवं अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) की ओर से अनुविभाग स्तरीय एवं विकासखण्ड स्तरीय अधिकारियों को अलग-अलग महीने में अलग-अलग क्षेत्रों के विद्यालयों, छात्रावास और आश्रमों का निरीक्षण करने का जिम्मा सौंपा जाए जो निरीक्षण रिर्पोट जिला कलेक्टर को प्रस्तुत करेंगे।
जिन विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है ऐसे विद्यालयों में ग्राम पंचायत के सहयोग या जनसहभागिता से शिक्षकों की प्रतिपूर्ति के विषय में उस गांव में या आस-पास के गांवों में शिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियों का चिन्हाकन कर शिक्षण कार्य हेतु ग्राम पंचायत या ग्राम सभा से अनुमोदन कराकर तथा उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण देकर विद्यालयों में जनभागीदारी शिक्षक के रूप में कार्य हेतु लगाया जाए। इसके अतिरिक्त शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों में अच्छे जानकार व जिन्हें अध्यापन कार्य का अनुभव है, ऐसे लोक सेवकों को उनसे सहमति लेकर व उनके विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेकर उन्हें उनके मुख्यालय के आस-पास के विद्यालयों में उनके विभागीय कार्य के अतिरिक्त अतिथि शिक्षक के रूप में भी उनकी सेवाएं ली जा सकती है।
गांव व शहरों के शिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियों के द्वारा प्रत्येक शाम दो घंटे विद्यार्थियों के ट्यूशन विशेषकर अंग्रेजी, गणित, विज्ञान विषयों में कराया जाए। यह व्यवस्था जन सहयोग से किया जाए जिसका मुख्य कार्य विद्यार्थियों के होमवर्क करने में सहयोग देना व कमजोर विद्यार्थियों को उपरोक्त विषय में गाईड करना हो। स्कूलों में स्थापित शौचालय परिसर की साफ-सफाई बेहतर रखने का रखने का विशेष रूप से किया जाए। विद्यालय परिसर में इस बार वन महोत्सव कार्यक्रम के तहत फलदार पौधे, वनौषधि, पुष्पपत्र या सौंदर्य बढ़ाने वाले पौधे, अशोक, मुनगा, पपीता आदि पौधे का रोपण अभियान चलाया जाए। विद्यालयों, आश्रम छात्रावासों में कोई भी विद्यार्थी, स्टाफ, शिक्षकगण कोई भी चीज का नशापान नहीं करें इन विषयों में संकल्प कराया जाए। विद्यालय परिसर में कोई अतिक्रमण न रहे इस हल्का पटवारी से नाप-जोख व सीमांकन करवाकर उसे अभियान में हटाए जाने विभाग की ओर से विशेष पहल किया जाए।
श्री चुरेन्द्र ने कहा है कि पहले कि तुलना में विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या बढ़ी है, पठन सामग्री बढ़ने के साथ शिक्षकों का समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे है। शासन स्तर से शिक्षा के क्षेत्र में हर संभव सुविधाएं बढ़ाई जा रही है, लेकिन इसके बावजूद प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में शिक्षा गुणवत्ता के जिस लक्ष्य को प्राप्त करने की अपेक्षाएं रही है, सही मायने में अभी तक अर्जित नहीं किया जा सका है। शिक्षा के विषय पर जन-भागीदारी भी अपेक्षित रूप में नही मिल रहा है। आज विद्यार्थी टी.वी. कम्प्यूटर, लैपटॉप, मोबाईल आदि के दुष्प्रभावों से प्रभावित है।
श्री चुरेन्द्र ने कहा कि स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़े और हम निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर सके इसके लिए आवश्यक है कि जिले में संकुल स्तर पर स्थित सभी विद्यालयों में प्राचार्यों, प्रधान पाठक और शिक्षकगणों की मीटिंग सह कार्यशाला आयोजित कर शिक्षा की गुणवत्ता को प्राप्त करने पर चर्चा की जाए। इस दौरान प्राचार्य ये प्रमाण पत्र लेकर आएं कि विद्यालय के सभी शिक्षकों के द्वारा विषय पाठ्यक्रम पंजी एवं शिक्षक डायरी संधारित कर ली गई हैं तथा विद्यालय में तैयार किए गए समय-सारिणी के अनुसार शिक्षक कार्य कर रहे हैं। इसी तरह क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों एवं उस गांव में पदस्थ सभी शासकीय अमलों को लेकर ग्राम स्तर पर वन महोत्सव आयोजन कराकर शासकीय व निजी भूमियों व परिसरों में वृक्षारोपण कर उन्हें हरा-भरा बनाया जाए।
प्रत्येक विद्यालयों में शाला प्रबंधन समिति की बैठक सभी सदस्यों की उपिस्थिति में अनिवार्य रूप से आयोजित हो। विद्यालयों में विभिन्न गतिविधियों के प्रभारियों यथा खेलकूद, बागवानी, लाईब्रेरी, स्काउट गाईड आदि के द्वारा भलीभांति दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है इसको संयुक्त प्रमाण पत्र संस्था प्रमुख व प्रभारी से लिया जाए। बच्चों को समय पर पुस्तक और गणवेश वितरण हो। सभी स्कूलों में विद्यालयों में विभिन्न विभागों के कर्मचारी, जनप्रतिनिधि, ग्राम कोटवार, ग्राम पटेल व सामाजिक प्रमुखों की उपस्थिति में प्रत्येक दो माह में पालक-बालक सम्मेलन का आयोजन अनिवार्य रूप किया जाए।
शिक्षा गुणवत्ता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए विभागीय अधिकारियों के अतिरिक्त जिला कलेक्टर के स्तर से जिला अधिकारियों एवं अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) की ओर से अनुविभाग स्तरीय एवं विकासखण्ड स्तरीय अधिकारियों को अलग-अलग महीने में अलग-अलग क्षेत्रों के विद्यालयों, छात्रावास और आश्रमों का निरीक्षण करने का जिम्मा सौंपा जाए जो निरीक्षण रिर्पोट जिला कलेक्टर को प्रस्तुत करेंगे।
जिन विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है ऐसे विद्यालयों में ग्राम पंचायत के सहयोग या जनसहभागिता से शिक्षकों की प्रतिपूर्ति के विषय में उस गांव में या आस-पास के गांवों में शिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियों का चिन्हाकन कर शिक्षण कार्य हेतु ग्राम पंचायत या ग्राम सभा से अनुमोदन कराकर तथा उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण देकर विद्यालयों में जनभागीदारी शिक्षक के रूप में कार्य हेतु लगाया जाए। इसके अतिरिक्त शासकीय अधिकारियों-कर्मचारियों में अच्छे जानकार व जिन्हें अध्यापन कार्य का अनुभव है, ऐसे लोक सेवकों को उनसे सहमति लेकर व उनके विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेकर उन्हें उनके मुख्यालय के आस-पास के विद्यालयों में उनके विभागीय कार्य के अतिरिक्त अतिथि शिक्षक के रूप में भी उनकी सेवाएं ली जा सकती है।
गांव व शहरों के शिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियों के द्वारा प्रत्येक शाम दो घंटे विद्यार्थियों के ट्यूशन विशेषकर अंग्रेजी, गणित, विज्ञान विषयों में कराया जाए। यह व्यवस्था जन सहयोग से किया जाए जिसका मुख्य कार्य विद्यार्थियों के होमवर्क करने में सहयोग देना व कमजोर विद्यार्थियों को उपरोक्त विषय में गाईड करना हो। स्कूलों में स्थापित शौचालय परिसर की साफ-सफाई बेहतर रखने का रखने का विशेष रूप से किया जाए। विद्यालय परिसर में इस बार वन महोत्सव कार्यक्रम के तहत फलदार पौधे, वनौषधि, पुष्पपत्र या सौंदर्य बढ़ाने वाले पौधे, अशोक, मुनगा, पपीता आदि पौधे का रोपण अभियान चलाया जाए। विद्यालयों, आश्रम छात्रावासों में कोई भी विद्यार्थी, स्टाफ, शिक्षकगण कोई भी चीज का नशापान नहीं करें इन विषयों में संकल्प कराया जाए। विद्यालय परिसर में कोई अतिक्रमण न रहे इस हल्का पटवारी से नाप-जोख व सीमांकन करवाकर उसे अभियान में हटाए जाने विभाग की ओर से विशेष पहल किया जाए।