रायपुर। छत्तीसगढ़ में कुपोषण और एनीमिया का दंश झेल रहे बच्चों की थाली में परोसे गए मुनगा, लालभाजी, दलिया और अंडे उनके लिए संजीवनी साबित हुए हैं। गांव देहातों और दूरदराज में पाए जाने वाले पौष्टिक आहारों ने बीते चार माह में प्रदेश के 60 हजार से ज्यादा बच्चों को कुपोषण से मुक्त कर दिया है, जबकि स्थानीय व्यंजनों को पोषण आहारों में शामिल किए जाने की वजह से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के हितग्राहियों की संख्या में भी महज 15 दिनों में एक लाख की वृद्धि हुई है। सुखद आश्चर्य का विषय यह भी कि बलरामपुर जैसे दूरस्थ जिले ने सुपोषण अभियान में शानदार प्रदर्शन किया है। बलरामपुर जिले के 9 हजार से अधिक बच्चे बीते चार माह में न सिर्फ कुपोषण के दंश से बाहर आए हैं, बल्कि उनकी सेहत में भी सुधार हुआ है। कुपोषण के खिलाफ चार माह पहले दंतेवाड़ा से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत की गई थी। अभियान में अद्यतन पौष्टिक आहारों की तुलना में लोकल मेनू को महत्व दिया गया। इसके तहत लालभाजी, पालक भाजी, दलिया, मुनगा जैसी उन सब्जियों और व्यंजनों को भोजन में शामिल किया गया, जिसे बच्चे पसंद करें और उनकी सेहत पर भी लाभ हो। लोकल मेनू का यह फॉर्मूला रंग लाया और बेहद कम समय में ही प्रदेश के 59583 बच्चे कुपोषण से बाहर हो गए।
महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक चार माह पहले 2 अक्टूबर 2019 को जब सुपोषण अभियान की शुरुआत की गई, तब कुपोषित बच्चों की संख्या 432901 थी, जबकि चार माह बाद 11 फरवरी 2020 की स्थिति में यह संख्या घटकर 373318 हो गई। इस तरह महज चार माह में ही प्रदेश के 59583 बच्चे कुपोषण के कुचक्र से बाहर आ गए हैं। अंडे की डिमांड सबसे ज्यादा- सुपोषण अभियान के तहत अंडा परोसे जाने को लेकर जमकर सियासी बवाल हुआ। सरकार को आंगनबाड़ी और स्कूलों में देने की जगह बच्चों के घरों तक अंडा पहुंचाने की व्यवस्था करनी पड़ी, लेकिन अब इसका लाभ नजर आया है। बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने में अंडा फायदेमंद साबित हुआ है। खासकर बस्तर और सरगुजा संभाग के जिलों में अंडे की डिमांड आंगनबाड़ियों और स्कूलों में सबसे अधिक है। कुछ स्थानों पर डिमांड इतनी अधिक है कि उसकी पूर्ति नहीं हो पा रही। ऐसा रहा चार माह में परफॉर्मेंस – बीते चार माह में सरगुजा के 1227, सूरजपुर के 6674, बलरामपुर के 9885, कोरिया के 4353, जशपुर के 3645, बिलासपुर के 3952, कोरबा के 1443, जांजगीर के 4329, रायगढ़ के 3790, मुंगेली के 387, रायपुर के 1046, बलौदाबाजार के 1251, धमतरी के 404, गरियाबंद के 1288, महासमुंद के 425, दुर्ग के 2960, कबीरधाम के 842, राजनांदगांव के 2242, बालोद के 1291, बेमेतरा के 808, बस्तर के 1046, दंतेवाड़ा के 2017, कोंडागांव के 541, बीजापुर के 673, कांकेर के 1175, सुकमा के 1426, नारायणपुर के 463 बच्चे सुपोषित हुए हैं। इस तरह बलरामपुर जिला सबसे आगे और मुंगेली सबसे पीछे रहा है।
ऐसा रहा चार माह में परफॉर्मेंस – बीते चार माह में सरगुजा के 1227, सूरजपुर के 6674, बलरामपुर के 9885, कोरिया के 4353, जशपुर के 3645, बिलासपुर के 3952, कोरबा के 1443, जांजगीर के 4329, रायगढ़ के 3790, मुंगेली के 387, रायपुर के 1046, बलौदाबाजार के 1251, धमतरी के 404, गरियाबंद के 1288, महासमुंद के 425, दुर्ग के 2960, कबीरधाम के 842, राजनांदगांव के 2242, बालोद के 1291, बेमेतरा के 808, बस्तर के 1046, दंतेवाड़ा के 2017, कोंडागांव के 541, बीजापुर के 673, कांकेर के 1175, सुकमा के 1426, नारायणपुर के 463 बच्चे सुपोषित हुए हैं। इस तरह बलरामपुर जिला सबसे आगे और मुंगेली सबसे पीछे रहा है। 15 दिन में ऐसे बढ़े लोग – छत्तीसगढ़ में बीते 15 दिनों में एक लाख से ज्यादा हितग्राही गर्म भोजन की योजना के हितग्राही बने हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण मुख्यमंत्री से लेकर चीफ सेक्रेटरी और विभाग के आला अधिकारियों की लगातार मॉनीटरिंग को माना जा रहा है। विभाग मिशन मोड में नए-नए साग सब्जियों और दलिया, चना, गुड़ जैसे सामान को मेनू में शामिल कर रहा है। इस वजह से बच्चे और महिलाएं इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। लाभार्थी बढ़ाने के लिए आहार की गुणवत्ता पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है। 60 हजार बच्चे मुक्त – महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेसी कहते हैं कि मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत बीते चार माह में 60 हजार बच्चे कुपोषण मुक्त हुए हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह लगातार मॉनीटरिंग और बच्चों को उनकी रुचि के अनुरुप स्थानीय साग सब्जी और पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना रहा है।