महाकाल एक्सप्रेस के सभी कोचों में बजता है ऊं नम: शिवाय मंत्र, भगवान शिव के अन्य भजनों की बजती है धुन

वाराणसी से इंदौर के बीच चलने वाली आईआरसीटीसी की कॉरपोरेट ट्रेन काशी महाकाल एक्सप्रेस में भगवान शिव के लिए एक सीट रिजर्व रखी गई है। काशी महाकाल एक्सप्रेस रविवार को पहली बार कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर आई। ट्रेन में ऊं नम: शिवाय मंत्र की धुन बज रही थी। ट्रेन के कोच बी-5 में साइड अपर सीट में भगवान शिव का छोटा सा मंदिर भी बनाया गया यहां पर पूजा-अर्चना के बाद नारियल फोड़कर इसका स्वागत किया गया।

रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो ज्योतिर्लिंग को जोड़ने के लिए ट्रेन काशी-महाकाल एक्सप्रेस की शुरुआत की थी। मोदी ने वाराणसी कैंट स्टेशन पर वीडियो लिंक से वाराणसी से इंदौर के बीच चलने वाली इस गाड़ी को हरी झंडी दिखाई थी। भगवान शिव के तीन ज्योतिर्लिंगों ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर और काशी विश्वनाथ को जोड़ने वाली काशी महाकाल एक्सप्रेस सप्ताह में दो दिन वाराणसी से इंदौर के बीच चलेगी। महाकाल एक्सप्रेस में 12 कोच हैं। सभी एसी थ्री टियर कोच हैं। आईआरसीटीसी की ओर से कैटरिंग सेवाएं दी यात्रियों को जाएंगी। ट्रेन में सर्विस देने वाले कर्मियों का ड्रेस केसरिया है। इसका टिकट ऑनलाइन मिलेगा।

इस ट्रेन की खासियत यह है कि इसके एसी-3 श्रेणी के सभी कोच में हर समय ऊं नम: शिवाय मंत्र बजता रहता है। इस मंत्र समेत भगवान शिव के अन्य भजनों की धुन भी बजती रहती है।  इसमें बैठने पर एहसास होगा कि यह ट्रेन काशी विश्वनाथ से महाकालेश्वर के दर्शन कराने जा रही है। पहले दिन कोच बी-5 में साइड अपर सीट में भगवान शिव का छोटा सा मंदिर भी बनाया गया। इसमें भजन कीर्तन वाली टोली भी शामिल रही। इसके अलावा इसमें यात्रियों का स्वागत करने के लिए भगवा-पीले वस्त्र धारण किए पुरुष ट्रेन होस्ट मौजूद रहे। वहीं, तेजस एक्सप्रेस में महिला ट्रेन होस्टेस हैं।

वहीं, सोमवार सुबह ट्रेन में भगवान शिव के लिए सीट आरक्षित करने ने नए विचार के बाद रेलवे प्रशासन इस पर विचार कर रहा है कि ट्रेन में स्थायी तौर पर भगवान शिव के लिए एक सीट आरक्षित की जाए। उत्तर रेलवे के अनुसार काशी महाकाल एक्सप्रेस के कोच संख्या बी 5 की सीट संख्या 64 भगवान के लिए खाली की गई है। रेलवे के अनुसार ऐसा पहली बार हुआ है जब एक सीट भगवान शिव के लिए आरक्षित और खाली रखी गई है। सीट पर एक मंदिर भी बनाया गया है ताकि लोग इस बात से अवगत हों कि यह सीट मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकाल के लिए है। रेलवे ऐसा स्थायी तौर पर करने के लिए विचार कर रहा है।

ट्रेन के सभी एसी-थ्री कोच खूबसूरत होने के साथ ही सुविधाजनक हैं। इसमें सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सभी कोचों में सीसीटीवी कैमरे हैं।  निगरानी के लिए कोच अटेंडेंट की सीट के ऊपर एलसीडी डिस्प्ले लगा है। इसके माध्यम से अटेंडेंट सभी गतिविधियों की निगरानी करेगा। दिक्कत होने पर बिना बुलाए फौरन पहुंच भी जाएगा। हालांकि, ट्रेन एस्कॉर्ट में आईआरसीटीसी का अपना एस्कॉर्ट है।

इसमें जीआरपी-आरपीएफ नहीं चलेगी। टीटीई भी तेजस की तरह आईआरसीटीसी के होंगे। साइड लोवर सीट को मोड़ने के बजाय किनारे स्लाइडिंग से नीचे किया जा सकता है। अगले स्टेशन के बारे में बताने के लिए गेट के ऊपर डिस्प्ले लगे है। अन्य मामलों में इसके कोच किसी आम एक्सप्रेस ट्रेन के एसी-3 कोच की तरह हैं। तेजस एक्सप्रेस और वंदे भारत एक्सप्रेस ज्यादा हाईटेक हैं। इसमें ऑटोमैटिक खुलने, बंद होने वाले दरवाजे नहीं हैं और न ही ऑटोमैटिक खुलने-बंद होने वाले डस्टबिन हैं।

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