कोरोना के कहर से बचने आदिवासियों ने ढूंढा रास्ता……..

दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल जिले दंतेवाड़ा के ग्रामीणों ने कोराना वायरस के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए ऐहतियातन बैरियर लगा दिया है. इसके साथ ही कही सड़क को ही बंद कर दिया गया है जिससे अन्य राज्य व गांव से बाहर के लोग गांव के भीतर प्रवेश न कर सकें.

दंतेवाड़ा जिले के बालूद गांव में रहने वाले आदिवासी कोरोना को लेकर बेहद सतर्कता बरत रहे हैं. वे कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए अपने गांव को दूसरे गांव या राज्य से जोड़ने वाली सड़क को बंद कर दिया है. जिस पर बकायदा उसमें पोस्टर भी चिपकाया गया है कि ‘अन्य राज्य व गांव से आने वालों का प्रवेश 15 अप्रैल 2020 तक निषेध’. ऐसा ही कुछ चितालंका के रहने वाले ग्रामीणों ने भी किया है ग्रामीणों ने अन्य गांव को जोड़ने वाली सड़क पर बेरियर लगा दिया है. उस बेरियर में पोस्टर चिपका कर कहा गया है कि ‘कोरोना बचाव हेतु बाहर से आना-जाना मना है.’

रेंगानार गांव में नक्सलियों की तर्ज पर गांव के आसपासं दर्जनों पेड़ में मुर्गा बाजार बंद के पोस्टर लगा दिया है. पोस्टरों पर लिखा हुआ है कि ‘मुर्गा बाज़ार दिनांक 26/03/2020 से 03/04/2020 तक बंद रहेगा कोरोना वायरस के कारण.’ आपको बता दें बस्तर का मुर्गा बाजार देखने दूर-दूर से लोग आते हैं. इसकी वजह है यहां मुर्गों का मुकाबला कराया जाता है, मुर्गों को एक-दूसरे से लड़ाकर उस पर लोग जीत-हार का दांव लगाते हैं.

आपको बता दें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना के तेजी से बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर देश में 14 अप्रैल तक 21 दिनों का लॉक डाउन कर दिया है. लॉक डाउन में लोगों को निर्देश है कि वे अपने घर से बाहर न निकलें. इस लॉकडाउन में जरुरी सेवाओं को छोड़ सब कुछ बंद कर दिया गया है. बावजूद इसके कई लोग इसका उल्लंघन कर रहे थे तो ग्रामीणों ने इसके लिए यह तरकीब खोजी, जिससे कोरोना संक्रमित कोई व्यक्ति गांव में प्रवेश नहीं कर पाएगा और ग्रामीण इसके संक्रमण से बचे रहेंगे.

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