अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के सहयोग से “मोहन से महात्मा” कठपुतली नाटक का छत्तीसगढ़ में अब तक 60 कार्यक्रमों का आयोजन

रायपुर : महात्मा गाँधी के 150 वीं वर्षगांठ के अवसर पर देश और दुनिया में गाँधी जी और कस्तूरबा जी की 150 वीं वर्ष गाँठ मनाई जा रही है. इस अवसर पर सरकार से लेकर अलग अलग संस्थाएं बापू और बा की वर्ष गाँठ अपने अपने तरीके से मना रहे हैं. लेकिन अहिंसा और शांति के लिए कार्यरत एक शख्स ऐसे भी हैं जो 2006 से इस काम में लगे हैं और वह हैं रंगकर्मी मिथिलेश दूबे. एनएसडी यानि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्ली से पास आउट मिथिलेश जी कठपुतली नाटक के माध्यम से देशभर में गाँधी जी के जीवन के बारे में कठपुतली नाटक का प्रदर्शन कर रहे हैं.

मिथिलेश दुबे के नेतृत्व में उनका कठपुतली ग्रुप “ क्रिएटिव पपेट थिएटर (ट्रस्ट), वाराणसी इन दिनों छत्तीसगढ़ के प्रवास के आखरी चरण पर हैं. माता रुक्मणि देवी कन्या आश्रम और राजीव गाँधी फाउंडेशन के सहयोग से बस्तर के बस्तर, सुकमा, दंतेवाडा, बीजापुर, नारायणपुर और कांकेर जिले में पिछले 15 दिन में करीब 55 कार्यक्रमों का आयोजन कर चुके हैं. और अब पिछले 3 दिनों से यह टीम अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के सहयोग से धमतरी और रायपुर जिले के स्कूलों में कठपुतली नाटक का प्रदर्शन किया जा रहा है जिसे स्कूल के छात्र-छात्राएं और शिक्षक सराह रहे हैं और इसे काफी शिक्षाप्रद बता रहे हैं.

धमतरी में जहाँ अज़ीम प्रेमजी स्कूल, शासकीय प्राथमिक शाला, माध्यमिक शाला और उच्च माध्यमिक शाला, गोकुलपुर और शासकीय माध्यमिक बालक विद्यालय, बठेना में कठपुतली नाटक के प्रदर्शन के बाद आज आदिवासी कन्या आश्रम, रायपुर और मिनीमाता स्कूल, अभनपुर में किया गया. वहीँ यह नाटक कल यानी सोमवार को मायाराम सुरजन चौबे कॉलोनी माध्यमिक शाला में दिन को 10 बजे से 2 बजे के दौरान 2 कार्यक्रमों का आयोजन है और दोपहर 3 से 5 बजे तक सरस्वती हाई स्कूल, पुरानीबस्ती ( रायपुर ) में एक कार्यक्रम का आयोजन है ।

“मोहन से महात्मा” नामक इस कठपुतली नाटक का प्रदर्शन का उद्देश्य के बारे में जानकारी देते हुए मिथिलेश दुबे का कहना है,- “ इसका उद्देश्य है, समाज में इस कार्यक्रम के माध्यम से शांति एवं सद्भाव फैलाना, स्कूल, कालेज एवं गाँव में शांति संगठन करना एवं इसको प्रशिक्षित कर सक्रिय रूप से कार्यकरना. इसके माध्यम से लुप्त हो रही लोक कला को पुनर्जीवित करना, गाँधी जी के अनछुये पहलुओं को लोगों तक पहुँचाना. गाँधी जी के सन्देश को सरल एवं सरस तरीके से प्रस्तुत करना. गाँधी साहित्य को कार्यक्रम के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाना.

“मोहन से महात्मा” कठपुतली नाटक महात्मा गाँधी के बारे में है. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी आप जैसे ही बच्चे थे. पढाई में सामान्य, हस्तलिपि खास सुन्दर नहीं, शारीर की कद-काठी भी एकदम सामान्य, भाषण में सामान्य, फिर भी दुनिया भर में 20वीं शताब्दी के महान व्यक्तित्व कैसे बने ?
इसका एक ही जवाब है कि उन्होंने अपना जीवन मानवीय मूल्यों पर आधारित जिया. वे कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सत्य और अहिंसा के मार्ग से नहीं हटे. उन्हें कभी कोई प्रलोभन अपने पथ से भटका नहीं पाया.

उन्होंने पूरी दुनिया को वैकल्पिक दिशा भी दी. उनमें सामजिक, राजनैतिक, आर्थिक, शैक्षणिक, आध्यात्मिक और नैतिकता दिशा दी. उनकी दी हुई दिशा पर देश और दुनिया चलती तो आज जो गैरबराबरी, बेकारी, भ्रष्टाचार, जातिवाद और संकीर्ण साम्प्रदायिकता की समस्याएं हैं वो नहीं होती. आज जो आपा-धापी, सामाजिक अराजकता और अन्य समस्याएं उठ खड़ी हुई है उनके हल के लिए गाँधी जी द्वारा बताये रास्ते पर चलने के अलावा और कुछ नहीं बचा है. अर्थात आज के अन्धकार में में गाँधी जी ही उजाले के आस हैं.

गाँधी जी से हमें लेना है – दृढ संकल्प, मानवीय जीवन मूल्य, कथनी में भेद नहीं करना, तथा मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में भी कभी भी निराश नहीं होना. तो आइये गाँधी जी के जीवन पर आधारित “मोहन से महात्मा”, कठपुतली नाटक से शिक्षण लेकर अपने भविष्य के बारे में संकल्पित हों और मूल्य आधारित समाज निर्माण में अपनी भूमिका अदा करें. आइये हम सब मिलकर बापू के 150 वर्ष में शांति सद्भाव को मजबूत करें.

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