लॉकडाउन ने झुका दी किसान की कमर, खेत से लेकर मंडी तक टूटा मुसीबतों का पहाड़

  • छोटे, मंझोले और बड़े, हर किसान की तकरीबन एक जैसी समस्याएं
  • बंगाल, बिहार, असम व उड़ीसा : मजदूर गायब, किसान सपरिवार खेत में
  • यूपी में गेहूं की सरकारी खरीद की गारंटी 50 लाख टन, बाकी का क्या होगा
  • राजस्थान : फसल कटाई में देरी, मंडी बंद, कंबाइन भी कम
  • महाराष्ट्र : घर में रखी कपास में कीड़े, खरबूजा फेंक रहे सड़क पर
  • कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लगे लॉकडाउन ने किसानों की कमर झुका दी है। खेत से लेकर मंडी तक किसान पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। फसल कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। अगर किसी तरह फसल कट गई तो उसे मंडी तक ले जाने का इंतजाम नहीं है।

    दोगुने दामों में कोई किसान मंडी तक जाने का जुगाड़ कर भी लेता है तो वहां खुले आसमान तले फसल रखकर खुद ही उसकी रखवाली करनी पड़ती है। आंधी बरसात आ जाए तो सब खत्म। लॉकडाउन में जब मजदूर नहीं है तो मशीन से गेहूं कटाना पड़ रहा है। मतलब, पशुओं के लिए चारा नहीं मिलेगा। टाई में देर हो रही है तो बुआई का सीजन भी गड़बड़ा जाएगा।

  • मजदूर दो दिन में करते थे,  उस काम को करने में लग रहे दस दिन

    लॉकडाउन के चलते किसान को अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। छोटे किसान, मंझोले और बड़े किसान, सभी की तकरीबन एक जैसी समस्याएं हैं। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के सदस्य अविक साहा पश्चिम बंगाल, बिहार, असम व उड़ीसा जैसे राज्यों में किसानों के हितों की लड़ाई लड़ते हैं।

    वे बताते हैं कि इन राज्यों के करीब अस्सी फीसदी हिस्से में हाथ से काम होता है। ऐसा नहीं है कि आसपास मजदूर नहीं हैं। वे हैं, मगर काम पर नहीं आ रहे। उन्हें डर है कि सोशल डिस्टेंसिंग खत्म हो जाएगी। उनका ध्यान सरकार या दूसरे संगठनों द्वारा दिए जा रहे राशन पर भी है। अब ऐसी स्थिति में किसान का परिवार खेत में उतर रहा है।

    मजदूर, जो काम दो दिन में कर देते थे, इन्हें दस दिन लग रहे हैं। सब्जी, फल और गेहूं की फसल खराब हो रही है। यहां सर्दी वाला धान अभी तैयार नहीं हो सका है। वजह, मजदूर नहीं हैं। उसे काटकर, झाड़कर और हांडी में उबालकर तैयार करना पड़ता है। अब, ये सब नहीं हो रहा है तो आगे का फसल चक्र बिगड़ गया है। हाट या मंडी तक जाने के लिए ट्रांसपोर्ट नहीं है।

    पैदा होगा 350 लाख टन गेहूं, सरकारी खरीद की गारंटी 50 लाख टन, बाकी का क्या?

    उत्तर प्रदेश, पंजाब, तेलंगाना और आंधप्रदेश के प्रभारी आशीष मित्तल बताते हैं कि लॉकडाउन ने किसान को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। उत्तरप्रदेश में करीब 350 लाख टन गेहूं का उत्पादन होता है। सरकार अभी 50 लाख टन गेहूं खरीदने की गारंटी दे रही है।

    बाकी गेहूं का भंडारण कहां पर होगा, कुछ नहीं मालूम। बड़े किसान कंबाइन से गेहूं कटा लेते हैं, लेकिन बाकी किसान तो मजदूरों पर निर्भर हैं। पशुओं के लिए चारा भी लेना है। वे कंबाइन से गेहूं कटाते हैं तो भूसा नहीं मिलता। भूसा नहीं है तो दूध कहां से आएगा… चुनौतियां कम नहीं हैं।

    राजस्थान : कटाई में देरी, मंडी बंद, कंबाइन भी कम

    राजस्थान में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के प्रभारी रामपाल जाट का कहना है कि फसल कटाई में देरी हो गई है। मंडी बंद हैं और सड़क पर ट्रांसपोर्ट नहीं है। सरकार कहती है कि किसान या उसकी मशीनरी को कोई नहीं रोकेगा।

    लेकिन, कंबाइन तक को राज्य की सीमा पर रोका जा रहा है। बहुत कम कंबाइन राजस्थान पहुंची हैं। किसी तरह सरसों कट तो गई लेकिन वह भी खेतों में ही पड़ी है। मंडी में अभी बिक्री शुरु नहीं हुई है। चना, जौं और गेहूं कटने को तैयार हैं, लेकिन अब मजदूर नहीं हैं।

    महाराष्ट्र : घर में रखी कपास में कीड़े, खरबूजा फेंक रहे सड़क पर

    महाराष्ट्र में किसान संगठन की सदस्य प्रतिभा सिंधे का कहना है कि आदिवासी किसानों की तेंदूपत्ता और महुआ की फसल तैयार है। ये लोग किसी तरह इस फसल को मंडी तक ले जाने का जुगाड़ करते हैं तो पुलिस इन्हें मुख्य सड़क से भगा देती है। खरबूजा तैयार है, भंडारण और बिक्री न होने के कारण उसे सड़क पर फेंकना पड़ रहा है। केले के दाम भी अच्छे नहीं मिले।

    मंडी में फसल ले जाओ तो व्यापारी मौके का फायदा उठाकर उसे सस्ते दाम पर खरीदता है। कपास घर में रखी है। उसमें कीड़ा लग गया है, मनेरगा में कृषि क्षेत्र के 36 काम शामिल किए हैं, लेकिन मजदूर यहां भी नहीं आ रहे। सभी मजदूर अपने घर में हैं। उन्हें लगता है कि बाहर कोरोना है, वे उसकी चपेट में आ सकते हैं। सरकार और गैर सरकारी संगठनों से अच्छा खासा राशन मिल रहा है।

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