अल्मोड़ा. उत्तराखंड (Uttarakhand) का अल्मोड़ा (Almora) सांस्कृतिक नगरी ही नही ऐतिहासिक नगरी (Historical City) भी है. यहां छावनी परिषद में एक कंकर कोठी (Kankar Kothi) है. जिसमें डॉ. रोनाल्ड रॉस (Dr. Ronald Ross) का जन्म हुआ था. डॉ. रोनाल्ड रॉस वही शख्स हैं, जिन्होंने दवा हाईड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन (Hydroxy Chloroquine) की खोज की थी. इसी हाईड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन नामक दवा से मलेरिया (Malaria) का इलाज संभव हो सका था. आज यही दवा कोरोना महामारी (Corona Epidemic) से जूझ रही दुनिया के लिए संजीवनी साबित हो रही है.
इतिहास के पन्नों को पलटें तो मिलता है कि अल्मोड़ा में अंग्रेजों ने कमिश्नरी बनाकर अपनी सत्ता चलाई थी. उनके पिता का नाम सर कैम्पबैल क्लेब्रान्ट रॉस मां मलिदा चारलोटे एल्डरटन था. इनके पिता ब्रिटिश इंडियन आर्मी में ऊॅचे पद पर तैनात रहे. रोनाल्ड का जन्म 13 मई 1857 को अल्मोड़ा के ही कंकर कोठी में हुआ था. काफी समय तक रोनाल्ड ने यही पर शोध कार्य भी किया था, डॉ. रोनाल्ड ने दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन की खोज कर मानव जीवन को बचाया था.
डॉ. रास को मिला था नोबेल पुरस्कार
हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन के प्रमाणिक शोध के कारण ही 1902 में डॉ. रोनाल्ड रॉस को चिकित्सा क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. डॉ. रोनाल्ड रॉस का कंकर कोठी वाला घर आज एसएसपी आवास के तौर पर जाना जाता है. अल्मोड़ा के एसएसपी पीएन मीणा ने भी को बताया कि उनका सरकारी आवास में ऐसा इतिहास जुड़ा है, जिनसे उन्हें भी खुशी होती है. इसके साथ ही काम करने में नई ऊर्जा मिलती है. यह अल्मोड़ा पुलिस के लिए ही नहीं पूरे उत्तराखण्ड पुलिस के लिए भी गर्व की बात है.
30 देशों में है आज इस दवा की मांग
पूर्व स्वास्थ्य निदेशक डा. जेसी दुर्गापाल भी मानते है कि मलेरिया की दवाई के खोज के जनक डा. रोनाल्ड का जन्म अल्मोड़ा में ही होने की बात से वह गौरवान्वित है. आज इस दवाई को अमेरिका सहित दुनिया के 30 देश भारत से मांग रहे है. इस दवाई का उपयोग कोरोना संक्रमण में किया जा रहा है. आज भारत इस दवाई को दुनिया की जरुरत को पूरा कर रहा है. अल्मोड़ा नगर के साथ कई इतिहास जुड़े है. आज अल्मोड़ा की कंकर कोठी चर्चाओं में इसीलिए है कि यहां डा. रोनाल्ड रॉस का जन्म हुआ था, जिन्होंने मलेरिया परजिवी के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वाइन की खोज कर मानव जीवन को बचाया था.