नई दिल्ली: सिर्फ अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ही चीन को लेकर आक्रामक नहीं हैं, बल्कि फ्रांस और ब्रिटेन जैसे मुल्क भी अब चीन को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। दिन-ब-दिन इन मुल्कों के तेवर सख्त होते जा रहे हैं और अगर अब चीन की तरफ से कोई भी गलत हरकत हुई तो उसका मतलब विश्वयुद्ध का आगाज हो सकता है।
जो मुल्क 2020 में विकास की नई उंचाईयों पर पहुंचने का सपना देख रहे थे, वो अब अपने नागरिकों की कब्रों के लिए खाइयां खुदवा रहे हैं। जाहिर है दुनिया इसके पीछे जिम्मेदार किसी भी मुल्क या शख्स को बर्दाश्त करने के मूड में तो नहीं ही होगी। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया साउथ चाइना सी में अपने आक्रामक तेवरों के साथ जंगी जहाज उतार चुके हैं तो वहीं फ्रांस और ब्रिटेन का लहजा भी लगातार चीन को लेकर सख्त होता जा रहा है।
दुनिया के बढ़ते दवाब के बाद हाल ही में चीन ने कोरोने से देश में हुई मौतों के आंकड़े को करीब 1200 बढ़ा दिया है। चीन ने कहा कि अब संशोधित आकंडे आए हैं और चीन में कोरोना से कुल 4 हजार 600 से ज्यादा मौतों की बात कही थी। इसके बाद दुनिया के देशों ने इस दांवे पर भी सवाल उठाए थे। ब्रिटेन पहले ही कोरोना वायरस को लेकर चीन की पारदर्शिता पर सवाल उठा चुका है।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमनिक राब ने कड़े शब्दों में कहा कि चीन को बताना होगा कि कोरोना महामारी कैसे फैली और उसे रोकने की क्या कोशिश हुई? फ्रांस भी चीन की चालाबाजियों से परेशान है। फ्रांस की सरकार लगातार चीन के गैर-जिम्मेदाराना रवैये पर नाराजगी जताती रही है। फ्रांस भी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की तरह चीन के ख़िलाफ़ कोरोना वायरस मामले में फ्रांस ने मोर्चा खोल दिया है। फ्रांस ने चीन से बैट मार्केट बंद करने को कहा। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युल मैक्रों ने चीन के दावों पर संदेह जताते हुए कहा कि चीन में कोरोना से निपटने में ऐसा बहुत कुछ हुआ है, जिसकी जानकारी किसी को नहीं है।
फ्रांस में चीन के राजदूत को पेरिस तलब कर लिया किया गया। दूतावास की वेबसाइट पर एक प्रकाशित लेख को लेकर नाराजगी जताई गई, जिसमें लिखा गया था कि यूरोप में बुजुर्गों को केयर होम में मरने के लिए छोड़ दिया गया है। राजदूत ने मामला बढ़ता देख गलती से लेख प्रकाशित होने की बात कहकर अपनी जान बचाई। जाहिर है अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश अगर चीन से इस हद नाराज हैं तो इससे दुनिया की सामरिक स्थिरता पर भी बड़ा खतरा है।