आज भी जीवित हैं परशुराम, इस पर्वत पर कर रहे हैं तपस्या

आप सभी को बता दें कि भगवान परशुराम कि जयंती इस साल 26 अप्रैल को मनाई जाने वाली है. वहीं कहा जाता है कि वह आज भी मंदरांचल पर्वत पर तपस्या में हैं परशुराम जी का जन्म पुर्नवसु नक्षत्र में रात्रि के प्रथम पहर में पुत्रेष्टि यज्ञ से हुआ था. जी हाँ, ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन दिये गए पुण्य का प्रभाव कभी समाप्त नहीं होता हैं. जी दरअसल मान्यताओं को माना जाए तो आज भी भगवान परशुराम मंदरांचल पर्वत पर तपस्या कर रहे हैं परशुराम ऋषि ऋचीक के पौत्र और जमदग्नि के पुत्र हैं इनकी माता का नाम रेणुका था.

अब आज हम आपको भगवान परशुराम जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं. जी दरअसल भगवान परशुराम शिव के परम भक्त हैं भगवान शिव ने ही परशुराम जी को एक अमोघ अस्त्र परशु प्रदान किया पृथ्वी को निक्षत्रिय करने के बाद परशुराम ने जब कुरुक्षेत्र में पिता की अन्त्येष्टि की तब वहां पितृगणों ने इन्हें आशीर्वाद दिया. उसके बाद में उन्हीं की आ

पुराणों में लिखा हुआ है कि भगवान परशुराम आज भी मंदरांचल पर्वत पर तपस्यारत हैं और भगवान परशुराम ने अपनी प्रभुता श्रेष्ठवीरता की अमिट छाप छोड़ी, शैव दर्शन में उनका अद्भुत उल्लेख हैं. इसी के साथ भारत वर्ष में अनेक स्थानों पर भगवान परशुराम के पिता जमदग्निजी के आश्रम हैं इतना ही माता रेणुका जी के भी मंदिर हैं. जी हाँ, इसी के साथ आपको यह भी बता दें कि भगवान परशुराम सीता स्वयंवर मे श्रीराम द्वारा शिव धनुष भंग किए जाने पर मंदरांचल पर्वत से शीघ्रतापूर्वक जनकपुर पहुंचे थे जिसके बारे में आपने पढ़ा ही होगा.

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