संकटमोचक साबित हो रही हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन, जिन्हें दवा दी, उन्हें खतरा कम

कोरोना वायरस से बचने के लिए एचसीक्यू के इस्तेमाल को आईसीएमआर ने दी मंजूरी
इस दवा को देने के बाद संक्रमणकी संभावना काफी कम हो गई
विस्तार
भारतीय आयुर्विज्ञान शोध परिषद-आईसीएमआर द्वारा गठित नेशनल टास्क फोर्स ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) के इस्तेमाल को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।  इसमें कोरोना संक्रमण के कारण हाई रिस्क मरीजों के बचाव के लिए इस दवा के इस्तेमाल की स्वीकृति दी गई है, लेकिन लोगों को केवल आशंका के आधार पर इस दवा के इस्तेमाल से बचने के लिए कहा गया है। इसमें कहा गया है केवल डाक्टर पैरा मेडिकल स्टॉफ और जिन्हें में टेस्ट में इस संक्रमण की पुष्टि हुई है वे ही इसका इस्तेमाल करें।

आईसीएमआर ने कहा है कि उसके शोध में यह आया है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन लेने से कोरोना संक्रमण की संभावना कम हो जाती है।  यह रिसर्च इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में एक शोध में पाया गया था कि  इस दवाई का कोरोना के संक्रमण को रोकने में कोई कारगर प्रभाव नहीं है बल्कि इससे रोगियों में हार्टअटैक का खतरा बढ़ जाता है। आईसीएमआर ने अपने शोध के बाद इसके इस्तेमाल को और बढ़ाने का फैसला किया है। आईसीएमआर ने अमूमन मलेरिया के उपचार के दौरान इस्तेमाल में आने वाले हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) के प्रयोग के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
इसमें  बताया गया कि शोध संस्थान ने दिल्ली के तीन केंद्र सरकार के अधीन आने वाले अस्पतालों में इसके प्रयोग पर शोध किया है। इसमें जांच के दौरान  हेल्थ वर्कर, जो कि कोरोना संक्रमणवाले मरीजों की देखभाल कर रहे थे।  जिनकों बचाव के लिए एचसीक्यू दिया गया था।  उनमें कोरोना संक्रमण की संभावना काफी कम  रही।

वहीं एक और बड़ी जांच देश के सबसे बड़े अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान  संस्थान-एम्स के 334 स्वास्थकर्मियों पर की गई। इसमें पाया गया जिन स्वास्थकर्मियों ने औसतन छह सप्ताह तक  इस दवाई का सेवन प्रतिबंधक के तौर पर किया। उनमें संक्रमण की संभावनाएं दवा न लेने वालों की तुलना में काफी कम थी।

असिम्प्टोमेटिक स्वास्थकर्मियों पर  इस्तेमाल करने की सलाह
शोध के बाद आईसीएमआर ने इस दवाई को सभी असिम्प्टोमेटिक स्वास्थकर्मियों पर इस्तेमाल करने की सलाह दी है। असिम्प्टोमेटिक  कार्यकर्ताओं में कंटेनमेंट जोन में काम कर रहे सर्विलांस वर्कर्स, पैरामीलिट्री फोर्स और पुलिस कर्मी आते हैं जो कि अब इस दवा को बचाव के लिए ले सकेंगे।  इसकी मात्रा को लेकर पहले  के दिशा-निर्देशों के मुताबिक इसे आठ सप्ताह तक प्रयोग किया जा सकता है, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक इसे साप्ताहिक डोज के तौर पर लिया जा सकता है।  हांलाकि इसके लिए चिकित्सकों की रायऔर लगातार निगरानी जरुरी है।  साथ ही हृदय संबधी पैरामीटर की निगरानी के साथ ख्याल रखना होगा।

हालांकि आईसीएमआर ने पहले कहा था कि इस दवाई के सेवन से कुछ साइड इफेक्ट्स होंगे, जैसे पेट में दर्द, जी मिचलाना,  हार्टबीट के असमान्य होने की भी शिकायत हो सकती है। स्वास्थ संबंधी जानकारियों को देने में अहम स्थान रखने वाली पत्रिका ने द लैंसेट ने कहा था कि  मलेरिया के इलाज में काम आने वाली दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) का कोरोना संक्रमण के उपचार में फायदे के न कोई साक्ष्य है और न ही  जानकारी।  पत्रिका ने एक ताजा शोध का हवाला देते हुए कहा था कि  मार्कोलाइड के बिना या उसके साथ भी इन दोनों दवाइयों के इस्तेमाल  से कोरोना संक्रमणवाले मरीजों की मृत्यु दर बढ़ जाती है।  पत्रिका ने दावा किया था कि उसका शोध लगभग 15 हजार कोरोना संक्रमण के मरीजों के उपचार पर आधारित है।

अमेरिका के राष्ट्रपति ने भी कहा था कि  वह मलेरिया रोधी दवा का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनका कोरोना टेस्ट नेगेटिव आया है। जबकि उनके देश के विशेषज्ञ और नियामक इस दवा को कोरोना संक्रमण से लड़ने के उपयुक्त नहीं पाया था।  ट्रंप ने कहा वह जिंक के साथ डेढ़ हफ्ते से रोज एक गोली ले रहे हैं।  उनमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं है।

कागड़ा चाय भी प्रतिरक्षा बढ़ाने में काफी कारगर
कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए संशोधित प्रोटोकाल में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च -आईसईएमआर द्वारा प्रतिरोधक क्षमता में सुधार और उपचार के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के स्थान पर एचआईवी रोधी दवा के उपयोग की संभावना व्यक्त की जा रही है। वहीं  दूसरी ओर चाय  के रसायन खासतौर पर कागड़ा चाय जो कि परंपरागत चाय की तरह होती है लेकिन इसे ब्लैक और कागड़ा ग्रीन टी के नाम से जाना जाता है को भी प्रतिरक्षा बढ़ाने और कोरोना वायरस गतिविधि को रोकने में अधिक प्रभावी होने की संभावना जताई जा रही है।

हिमाचल प्रदेश के पालमपुर के हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योग्री संस्थान-आईएचबीटी के निदेशक डॉ संजय कुमार ने कहा कि कागड़ा चाय कोरोना संक्रमण से प्रतिरक्षण के लिए कारगर हथियार हो सकता है। चाय दिवस के मौके पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए डॉ कुमार ने कहा  कि चाय में ऐसे रसायनों का संयोजन होता है, जो कोरोना वायरस की रोकथाम में एचआईवी से बचाव  वाली दवाओं की तुलना में  अधिक प्रभावी हैं।

उन्होंने कहा संस्थान के वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर आधारित मॉडल का उपयोग करते हुए जैविक रुप से सक्त्रिस्य 65 रसायनों या चाय में मौजूद पॉलीफेनोल्स का परीक्षण किया है, जो विशिष्ट वायरल प्रोटीन को एचआईवी- रोधी दवाओं की तुलना में अधिक कुशलता से रोक सकता है।  यह रसायन इन वायरल प्रोटींस की गतिविधियों को रोक देता है जो मानव कोशिकाओं में वायरस को पनपने में मदद करता है।

 

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