आम राय अब तक ये रही कि केसों के ऊंचे बोझ के बावजूद भारत में Covid-19 मौतों की संख्या कम है. इसलिए ज्यादा चिंता की बात नहीं. हालांकि, केसों की वृद्धि दर ने ऊंचा होना शुरू किया है और कुछ राज्य अन्य राज्यों की तुलना में अधिक दिक्कत में हैं.
दुनिया भर में अमेरिका में केसों और मौतों की संख्या सबसे ज्यादा है. हालांकि, टॉप 10 सर्वाधिक प्रभावित देशों में केस मृत्यु दर (Case Fatality Rate-CFR) सबसे अधिक फ्रांस में है. केस मृत्यु दर का मतलब कुल केसों में मृत्यु में खत्म होने वाले केसों का कितना हिस्सा है. फ्रांस में यह 15.55 प्रतिशत, इटली में 14.41 प्रतिशत और यूनाइटेड किंगडम में 14.2 प्रतिशत है. अगर भारत की बात की जाए तो भारत का केस मृत्यु दर 2.8 प्रतिशत है. यह टॉप 10 प्रभावित देशों में तीसरा सबसे कम CFR है. सिर्फ रूस और पेरू में उनकी आबादी के अनुपात में कम मौतें हुई हैं.
भारत में पहली Covid-19 मौत के बाद से ही CFR कम बना हुआ है. असल में ये अप्रैल के पहले हफ्ते से थोड़ा घटता रहा है. लेकिन मई के आखिरी हफ्ते से हर दिन दर्ज होने वाली मौतों की संख्या 200 से ऊपर चली गई है. साथ ही मौतों के आंकड़े को दोगुना होने में लगने वाला वक्त घटना शुरू हो गया है. भारत में अब हर 16 दिन में रजिस्टर्ड Covid-19 मौतों का आंकड़ा दोगुना हो रहा है.
भारत में हुई कुल मौतों में सबसे ज्यादा यानी 43 फीसदी मौतें अकेले महाराष्ट्र में हुई हैं. इसके बाद गुजरात (17.5 फीसदी) और दिल्ली (11 फीसदी) का नंबर है. तमिलनाडु हालांकि भारत में दूसरा सर्वाधिक केसों वाला राज्य है लेकिन मौतों के मामले में तमिलनाडु सातवें स्थान पर है.
ज्यों में, गुजरात में केस मृत्यु दर (CFR) लगातार ऊंचा बना हुआ है, हालांकि केसों की बढ़ोतरी दर कम होने के बावजूद 16 मई से हर दिन गुजरात में CFR बढ़ रहा है. 6.2 प्रतिशत के CFR के साथ संकेत मिलता है कि गुजरात केसों की संख्या में तेज वृद्धि को तो रोकने में कामयाब रहा है लेकिन ये उतनी सक्षमता से हर दिन मौत के आंकड़े को काबू में नहीं रख सका.