भारत में इस शख्‍स पर होगा कोरोना वैक्सीन का मानव परीक्षण, जानिए इनके बारे में

नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग अब जल्द ही निष्कर्ष पर पहुंचने वाली है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो पीएम नरेंद्र मोदी 15 अगस्त को इसकी वैक्सीन लांच कर सकते हैं। इस वैक्सीन को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर और हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी मिलकर बना रही हैं। इसके लिए देशभर के 12 संस्थानों को चुना गया है।

इस बीच एक नाम है, जो आजकल खासा चर्चा में है, वो है चिरंजीत धीबर का। वैक्सीन के लिए मानव परीक्षण के क्रम में जिन लोगों पर ट्रायल होना है, उनमें से एक चिरंजीत धीबर है।, जिन्होंने खुद कोरोना वायरस के वैक्सीन के परीक्षण की स्वीकृति दी है।

उनका परीक्षण आईसीएमआर के भुवनेश्वर केंद्र पर होगा, लेकिन अभी तक उन्हें इसकी कोई निश्चित तारीख नहीं बताई गई है।
आइए जानते हैं आखिर कौन हैं चिरंजीत धीबर और इस वैक्सीन के मानव परीक्षण की प्रक्रिया क्या है?

पेशे से शिक्षक और आरएसएस से जुड़े हैं चिरंजीत

प्राप्त जानकारी के अनुसार चिरंजीत पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में एक स्कूल में टीचर हैं। इसके अलावा वह आरएसएस से भी जुड़े हुए हैं।

बातचीत में बताया कि ‘इसने मुझे तुरंत महसूस कराया कि देश के लिए कुछ करने का मौका है। यह खतरनाक बीमारी पूरे देश में फैल रही है और मुझे अब इसे खत्म करने में योगदान करने का मौका मिला है।’ हालांकि शुरुआत में उन्हें अपने माता-पिता से काफी विरोध का सामना करना पड़ा था, लेकिन बाद में उन्होंने उन्हें इसके लिए राजी कर लिया था।

इस ह्यूमन क्लीनिल ट्रायल (मानव परीक्षण) की सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वैक्सीन के टेस्ट के लिए सिर्फ उन्ही लोगों को चयनित किया जाएगा या चुना गया है, जो अपनी मनमर्जी से आगे आए हैं। उन्हें इसके बारे में पहले से ही सबकुछ बता दिया जाएगा और उनकी स्वीकृति के बाद ही उन्हें टेस्ट के लिए चुना जाएगा।

ये है प्रक्रिया?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मानव परीक्षण के लिए नागपुर स्थित गिल्लुर्कर मल्टी-स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टर चंद्रशेखर गिल्लुरकर को चुना गया है।

उन्होंने बताया किफर्स्ट फेज और सेकेण्ड फेज के परीक्षण के लिए 100 लोगों को सेलेक्ट किया जाएगा। शुरुआत में उन लोगों को वैक्सीन देने के बाद यह जांच की जाएगी कि उनलोगों पर उसका कोई दुष्प्रभाव तो नहीं हो रहा है।

डॉ. गिल्लुरकर ने बताया कि दूसरे चरण में लोगों को 14वें दिन वैक्सीन दिया जाएगा, यह देखने के लिए कि उन लोगों में कोई एंटीबॉडिज बन रही है या नहीं। साथ ही उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता की भी जांच की जाएगी। फिर 28वें और 50वें दिन दोबारा उनका टेस्ट होगा होगी।

किन लोगों पर होगा टेस्ट?

डॉ. गिल्लुरकर के मुताबिक, चुने गए व्यक्ति को दिल की कोई बीमारी नहीं है, किडनी की कोई समस्या नहीं है, लीवर या कोई और दूसरी बीमारी नहीं है।

पहले तो यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मानव परीक्षण के लिए चुने गए लोग स्वस्थ हों। सिर्फ 18 से 55 साल तक की उम्र के लोगों को ही टेस्ट के लिए चुना जाएगा। इस परीक्षण में वही लोग शामिल होंगे, जिनमें कोरोना वायरस का कोई सिम्पटम नहीं पाया जाएगा और जिनमें कोई कोरोना-एंटीबॉडीज नहीं होगी।

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