भोपाल एम्स में पहली बार होगा ‘बाल किडनी ट्रांसप्लांट’, 3 बच्चे चिन्हित

भोपाल
एम्स में हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद जल्द मध्यप्रदेश का पहला बाल किडनी ट्रांसप्लांट होने जा रहा है। इसके लिए तीन बच्चों को चिन्हित किया गया है। बच्चों का उनके परिजनों के साथ मैचिंग टेस्ट किया जा रहा है। हाल ही में एम्स को बाल किडनी रोग देखभाल के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रियर पुरस्कार मिला है।

 यह इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी ने बाल किडनी रोग देखभाल में 2018 से 2024 तक कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी के साथ सफल साझेदारी के लिए दिया है। जिसे एस भोपाल की ओर से डॉ. गिरीश भट्ट ने विश्व नेफ्रोलॉजी कांग्रेस 2025 में प्राप्त किया।

यह इसलिए है अहम पुरस्कार
पुरस्कार डॉ. रॉबर्ट डब्ल्यू श्रियर के नाम पर दिया जाता है, जो गुर्दा शोध और वैश्विक नेफ्रोलॉजी शिक्षा में उत्कृष्ट योगदान के लिए जाने जाते हैं। यह समान उन संस्थानों को दिया जाता है। एस भोपाल अब विश्व के उन 57 आइएसएन सिस्टर रीनल सेंटर में से एक है, जिन्हें यह मान्यता मिली है।

आइएसएन क्षेत्रीय उत्कृष्टता केंद्र के रूप में मिली मान्यता से एस की प्रतिष्ठा को बढ़ाएगी। भारत और अन्य देशों में विभिन्न चिकित्सा केंद्रों को सहयोग प्रदान करने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।- डॉ. अजय सिंह, निदेशक, एम्स

एक साल में हुए 1000 डायलिसिस
सत्र बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. शिखा मलिक ने बताया कि डायलिसिस यूनिट ने पिछले साल एक हजार से अधिक डायलिसिस सत्र और 150 प्लाज्मा एक्सचेंज सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। इससे इन बच्चों की जान बचाई गई है। बाल किडनी रोग देखभाल को और बेहतर बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाल नेफ्रोलॉजी संघ फैलोशिप और बाल रोग नेफ्रोलॉजी में डीएम कार्यक्रम शुरू किए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *