सीहोर
जिले में रेत माफिया मनमाने तरीके से धंधा चला रहे हैं और खनिज विभाग के अधिकारी अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर बैठे हैं. जिले में जितने भी रेत नाके बनाए गए हैं, वहां डंपरों से रेत की कटिंग होती है. लेकिन खनिज विभाग के कोई भी कर्मचारी इन नाकों पर नहीं होता है. रेत ठेकेदार अपने कर्मचारी बैठा रखे हैं और जो रेत की कटाई होती है उसे अवैध तरीके से ठेकेदार के कर्मचारी बेच रहे हैं. फिर भी खनिज विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.
इतना ही नहीं इन नाकों पर अवैध वसूली भी की जा रही है. बुधनी के गडरिया नाले पर जो नाका बना हुआ है. वहां पर डंपरों से रेत की कटिंग की जाती है. उसे अवैध तरीके से भोपाल में बेची जा रही है. लेकिन जिले के खनिज अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं. वहीं नर्मदा नदी में अवैध तरीके से 20 से 25 पनडुब्बिया चल रही है. इनसे रेत निकली जा रही है. जैसे सातदेव, सीलकंठ, तीगाली, अंबा, डीमावार ,बाबरी और नाव से भी बड़ी मात्रा में रेत निकल जा रही है. फिर भी खनिज विभाग के इंस्पेक्टर और अधिकारी मौन बैठे हैं. रेत ठेकेदार ने अवैध तरीके से जहाजपुरा में रेत का अवैध स्टॉक कर रखा है. वहां पर नदी में पोकलेन और जेसीबी मशीन चल रही है.
हद तो तब हो गई, जब नर्मदा नदी से रेत निकालकर बेची जा रही है और रॉयल्टी दूसरे जिलों की काटी जा रही है. लेकिन जिम्मदार तो आंखों पर पट्टी बांधकर बैठे हैं. जितनी भी रॉयल्टी काटी जाती है उसका पूरा पेमेंट ऑनलाइन होना चाहिए. लेकिन रेत ठेकेदार पूरा पेमेंट कैश में लेते हैं. शासन की ओर से 250 रुपये घन मीटर रॉयल्टी है. लेकिन 900 रुपये घन मीटर में रॉयल्टी दी जा रही है. इस तरह राजस्व और सरकार को करोड़ों का चूना लगाया जा रहा है. जब कि पिछले साल जो टेंडर हुआ था. उससे कम दाम में इस साल टेंडर हुआ है.
इस पूरे मामले पर कलेक्टर बालागुरु.के ने बताया कि टीम बना दी गई है. लगातार टीम काम कर रही है. सभी बिंदुओं को लेकर जिला खनिज अधिकारी से चर्चा करके नियम अनुसार कार्रवाई की जाएगी. जहां अनियमित पाई गई वहां पर भी हम कार्रवाई करेंगे.