नशे की प्रवृति को रोकने के लिए मानस अभियान, 1 लाख से अधिक जिलेवासियों ने ली ई-शपथ

हनुमानगढ़

हनुमानगढ़ जिला हरियाणा और पंजाब राज्य तथा पाकिस्तान का सीमावर्ती जिला है। कृषि प्रधान जिले में पंजाबी और हरियाणवी संस्कृति का मिश्रण है। घग्घर नदी के आस-पास का क्षेत्र होने से अधिकतर सिंचित कृषि भूनियां है। इंदिरा गांधी नहर परियोजना, भाखड़ा नहर ने क्षेत्र को और अधिक समृद्धशाली बना दिया है।

सीमावर्ती जिला होने, आय के बेहतर स्रोत होने और मिश्रित संस्कृति के कारण जिले में नशे की जड़े फैलती जा रही है। नशे की बढ़ती प्रवृति दीमक की तरह नासूर बनकर धीरे-धीरे घर परिवार और पीढ़ियों को खत्म कर रही है। समाचार पत्रों में केवल नशा और नशे से होने वाली अकाल मौतें ही हैडलाइन बनने लगी है। जिले में प्रशासनिक, पुलिस, चिकित्सा अधिकारियों के साथ-साथ आमजन ने भी नशा मुक्ति को लेकर भरसक प्रयास किए, लेकिन विस्तृत कार्ययोजना के अभाव में प्रयास धरातल पर उतर नहीं पाए।

इसी बीच जिला कलेक्टर काना राम की अगुवाई में जिला प्रशासन ने विस्तृत अध्ययन और उच्चस्तरीय मार्गदर्शन से कार्ययोजना तैयार की। एक-एक व्यक्ति की भूमिका तय करते हुए जनसहभागिता से मई, 2024 में नशे की प्रवृति को रोकने के लिए "मानस अभियान" की पहल हुई। जिला कलेक्टर ने प्रत्येक विभाग को जिम्मेदारियां सौंपते हुए सबसे पहले अपने-अपने विभागों को नशा मुक्त बनाने की मुहिम छेड़ी।

इसे सामूहिक प्रयासों का उत्साह ही कहे कि एक के बाद एक विभाग ने अपने कार्यालय कामकाज से लेकर दैनिक जीवन में नशा मुक्त मानस अभियान को संजो लिया। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, औषधि नियंत्रण, खेल, सूचना एवं जनसम्पर्क एवं शिक्षा सहित विभिन्न विभाग को मुख्य रूप से जिम्मेदारी सौंपी गई। विस्तृत कार्ययोजना तैयार होने के उपरान्त 26 जून, 2024 को इस कार्ययोजना को लागू किया गया। जिले के सभी विभागों और स्वयं सहायता समूहों को जिम्मेदारियां सौंपी गई। धीरे-धीरे कार्ययोजना अनुसार ब्लॉक और जिला स्तर पर कार्यक्रम आयोजित होने लगे।

नशा मुक्त हनुमानगढ़ के लिए 4 चरणों में कार्यवाही की योजना बनाई गई। पहले चरण में प्रशिक्षण एवं जागरूकता अभियान को रखा गया। इसके अनुसार प्रशिक्षण व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिले के विद्यालयों और महाविद्यायलयों में माह के अंतिम शनिवार को नशा मुक्त मानस अभियान के तहत विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें प्रत्येक संस्थान के प्रत्येक विद्यार्थी और शिक्षक की भागीदारी सुनिश्चित हुई।

जिले में हो रहे प्रत्येक कार्यक्रम में आमजन को नशा नहीं करने की शपथ दिलाना शुरू किया गया। इसी के परिणामस्वरूप ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से अभी तक एक लाख से भी अधिक जिलेवासियों ने ई-शपथ ली है, जो निरन्तर जारी है। यह आंकड़ा पुरे देश में किसी भी जिले में ऑनलाइन ली गई शपथ में सर्वाधिक है। दूसरे चरण उपचार एवं काउंसलिंग में नशे के आदी व्यक्तियों का सर्वे कर आंकड़े जुटाए गए। शिविरों के जरिए नशे के आदी व्यक्तियों की काउंसलिंग शुरू की गई। फॉलोअप शिविर लगाकर फॉलोअप किया गया।

जिला स्तर पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन स्तर पर हेल्पलाइन नंबर शुरू किए गए। यहां पहचान गोयनीय रखते हुए आमजन को नशा छोड़ने व चिकित्सा के लिए परामर्श दिया जा रहा है। अब तो नशे और अवैध गतिविधियों की सूचना भी आमजन हेल्पलाइन नंबर के जरिए दे रहे हैं। तीसरे चरण में नशा नियंत्रण की कार्यवाही शुरू की गई। इसमें औषधि नियंत्रण विभागीय टीम ने मेडिकल दवाओं की दुकानों पर निरीक्षण गतिविधियों को बढ़ाते हुए अवैध बिक्री पर लगाम लगाई। दवा विक्रेताओं पर ऑनलाइन निगरानी तक शुरू की गई, जिसके लिए 5 अक्टूबर, 2024 को मानस ई- आरोग्य पोर्टल की शुरुआत की।

वर्तमान में 20 क्लिनिक, 25 मनोचिकित्सक, लगभग 15 हजार मरीज इसे सक्रिय रूप से उपयोग में ले रहे हैं। जिससे नशे में उपयोग होने वाली दवाओं की बिक्री पर लगाम लगी है। नशे में उपयोग होने की आशंका वाली दवाओं को प्रतिबंधित श्रेणी में लाया गया। वहीं, पुलिस द्वारा नशा तस्करों पर बड़ी कार्रवाहियां की गई। नशा सामग्री से अर्जित अवैध सम्पतियों को फ्रीज और अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया गया। इसी कड़ी में अब पुलिस द्वारा अपने 16 थानों के तहत 16 गांवों को गोद लेते हुए उन्हें नशा मुक्त बनाने की अनूठी पहल की गई।

चौथे चरण में युवाओं को व्यस्त और स्वस्थ रखने के लिए "मानस खेल अभियान" का शुभारम्भ किया गया। गांवों में प्रतिदिन खेलों के आयोजन तथा प्रतिमाह जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं का आगाज हुआ। इसके जरिए युवाओं को नशे की लत से जुड़ने से रोका जा रहा है। खेलों के लिए खेल स्टेडियम विकसित करने के लिए 62 ग्राम पंचायतों में 729 लाख रूपए के कार्य स्वीकृत किए गए।

जिला कलेक्टर के नेतृत्व में कार्ययोजना के धरातल पर उतरते ही समाचार पत्रों की हैडलाइन और आमजन की मानसिकता दोनों में बदलाव आने लगा है। गांवों में स्काउट, पर्यावरण, खेलकूद की तरह नशा मुक्त क्लब बनने शुरू हो गए हैं, जो कि नशा मुक्ति अभियान में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। इन सभी सार्थक प्रयासों का ही सफल परिणाम है कि अब आमजन की मानसिकता बदली है। नशे के विरूद्ध लामबंद होने लगे हैं।

अब हनुमानगढ़ के समाचार पत्रों में नशे से मौत, बिखरते घर-परिवार और दुर्घटनाएं की सुर्खियां कम हो रही है। अब नशा मुक्त जिले की संकल्पना साकार करने के लिए आमजन की जागरूकता, संगोष्ठियों, चिकित्सकीय शिविर, प्रशासन की सख्त कार्यवाही, स्कूल-कॉलेजों में नशा विरोधी कार्यशालाओं-प्रतियोगिताओं की ही खबरें पढ़ी जा रही है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देशन में जिले में नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना की बजट घोषणा के बाद से जिला प्रशासन और आमजन के प्रयासों से नशा मुक्ति मुहिम जन आंदोलन का रूप ले चुकी है।

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