राजस्थान
राजस्थान में किसानों ने इंदिरा गांधी नहर से अतिरिक्त सिंचाई पानी की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजमार्गों पर चक्का जाम करने का फैसला किया है। बीकानेर जिले के लूणकरणसर, घड़साना, अनूपगढ़, खाजूवाला और रावला क्षेत्र के किसान अपनी रबी फसल को बचाने के लिए अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रशासन से वार्ता विफल होने के बाद किसानों ने बीकानेर-श्रीगंगानगर राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम करने की घोषणा की है।
श्रीगंगानगर और बीकानेर संभाग के किसान इंदिरा गांधी नहर से पर्याप्त पानी न मिलने के कारण परेशान हैं। उनका कहना है कि अगर उन्हें जल्द अतिरिक्त सिंचाई पानी नहीं मिला, तो उनकी फसलें पूरी तरह से सूख जाएंगी।
किसानों का आरोप है कि सरकार पानी की आपूर्ति रोक रही है, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। कई किसान बैंकों और साहूकारों से कर्ज लेकर खेती कर रहे हैं, और अगर फसल नष्ट हो गई तो उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो जाएगी।
विधायक का समर्थन, लेकिन समाधान नहीं
किसानों के समर्थन में अनूपगढ़ विधायक शिमला देवी भी आगे आई हैं। उन्होंने कहा:
“मैंने विधानसभा में किसानों की समस्या उठाई, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। हम लगातार जल संसाधन मंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।”
बीबीएमबी से राजस्थान बाहर, किसानों के लिए चिंता का विषय
विधायक ने यह भी कहा कि राजस्थान को भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) में सदस्यता नहीं दी गई है, जबकि यह बोर्ड पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और चंडीगढ़ को पानी की आपूर्ति नियंत्रित करता है। यह राजस्थान के किसानों के लिए न्याय की लड़ाई का मुद्दा बन चुका है।
किसानों की स्थिति गंभीर
श्रीगंगानगर जिले के किसान सुभाष बिश्नोई ने कहा अगर हमें अतिरिक्त पानी मिल जाए, तो हमारी मेहनत बच सकती है, लेकिन सरकार ने पानी रोक दिया है। हमारी फसलें सूखने की कगार पर हैं। कई खेतों में खड़ी फसलें सूख रही हैं। किसानों ने बैंक और साहूकारों से कर्ज लिया है। अब अगर पानी नहीं मिला, तो उनकी मेहनत और पैसा दोनों बर्बाद हो जाएंगे।
किसानों की चेतावनी, सरकार नहीं सुनेगी तो आंदोलन होगा तेज़
किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे आंदोलन और तेज़ करेंगे। राजमार्गों पर चक्का जाम के बाद वे अन्य बड़े विरोध प्रदर्शन की योजना बना सकते हैं।
अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार किसानों की इस मांग पर क्या रुख अपनाती है और क्या राजस्थान के किसान अपनी सूखती फसल को बचाने में सफल हो पाते हैं या नहीं।