सत्येंद्र जैन पर चलेगा मनी लॉन्ड्रिंग का केस, राष्ट्रपति से मिली इजाजत

नई दिल्ली

 आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री सत्येंद्र जैन की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सत्येंद्र जैन पर मुकदमा चलाने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से जरूरी मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से सत्येंद्र जैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी देने का अनुरोध किया था। इस मामले की जांच ED कर रही है। जैन के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 218 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी गई थी। मंत्रालय ने पर्याप्त सबूतों के आधार पर मंजूरी देने का अनुरोध किया था।

क्या है पूरा मामला?

ईडी ने हवाला सौदों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सत्येंद्र जैन पर मामला दर्ज किया था और मई 2022 में उन्हें गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के दौरान जैन दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे। वह फिलहाल इस मामले में जमानत पर बाहर हैं। ईडी इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।

ईडी ने आरोप लगाया था कि इस पैसे का इस्तेमाल दिल्ली और उसके आसपास खेती की जमीन खरीदने में किया गया था। जैन को अक्टूबर, 2024 में अदालत ने जमानत दे दी थी।
 
मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला अगस्त, 2017 में जैन और अन्य के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के द्वारा कथित तौर पर आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में दर्ज की गई FIR के बाद सामने आया था। सीबीआई ने दिसंबर, 2018 में दायर चार्जशीट में कहा था कि जैन के पास 1.47 करोड़ रुपये की संपत्ति थी, जो 2015-17 के दौरान जैन की इनकम के मालूम स्रोतों से लगभग 217% अधिक थी।

तीन साल पहले हुए थे गिरफ्तार

जांच एजेंसियों ने सत्येंद्र जैन के खिलाफ हवाला कारोबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केस दर्ज किया है. मई 2022 में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. सत्येंद्र जैन को ईडी ने जब हिरासत में लिया था, तब उनके पास स्वास्थ्य, बिजली सहित कुछ दूसरे मंत्रालय भी थे. जैन फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. ईडी ने AAP नेता के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है.

217 फीसदी ज्यादा संपत्ति मिली

मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला अगस्त 2017 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने जैन और कुछ दूसरे आरोपियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में दर्ज किया गया था. सीबीआई ने दिसंबर 2018 में आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें कहा गया था कि कथित संपत्ति 1.47 करोड़ रुपये थी, जो 2015-17 के दौरान जैन की आय के ज्ञात स्रोतों से लगभग 217 प्रतिशत ज्यादा थी.

फर्जी कंपनियों से मिले 4.8 करोड़

ईडी ने पहले कहा था कि जांच में पाया गया कि 2015-16 के दौरान सत्येंद्र जैन एक लोक सेवक थे और 4 कंपनियों (जिनका स्वामित्व और नियंत्रण उनके पास था) को फर्जी कंपनियों से 4.81 करोड़ रुपये की आवास प्रविष्टियां (हवाला की रकम) मिली थीं. इसके बदले में हवाला के जरिए कोलकाता में स्थित एंट्री ऑपरेटरों को नकदी ट्रांसफर की गई थी.

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