चार धाम यात्रा को हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना गया, जल्द होने वाला है चार धाम यात्रा का आरंभ

नई दिल्ली
चार धाम यात्रा को हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना गया है। हर सच्चे सनातनी का सपना होता है की वो अपने जीवनकाल में कम से कम 1 बार अवश्य चार धाम यात्रा पर जाए। चार धाम में बद्रीनाथ (उत्तराखंड), द्वारका (गुजरात), जगन्नाथ पुरी (ओडिशा), रामेश्वरम (तमिलनाडु) आते हैं। ये देश की चारों दिशाओं में स्थित हैं। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को छोटी चार धाम यात्रा कहा जाता है। ये उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में हैं। छोटी चार धाम की यात्रा 6 महीने तक चलती है, फिर सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इन चार धामों की यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक प्रकार से आत्मिक शांति और अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव भी प्रदान करती है। यात्रा की कठिनाइयां और चुनौतीपूर्ण रास्ते इन स्थलों की आध्यात्मिकता को और भी गहरा करते हैं, जिससे यहां की यात्रा न केवल एक तीर्थ यात्रा होती है, बल्कि एक जीवनभर का अनुभव भी बन जाती है।  आइए जानें, साल 2025 में छोटी चार धाम यात्रा कब से शुरू होगी और मंदिरों के कपाट कब खुलेंगे।
 
2025 में चार धाम यात्रा कब होगी शुरू ?
छोटी चार धाम यात्रा भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित 4 प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थलों का समूह है। ये चार स्थल हैं: बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री। इनकी यात्रा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि ये सभी स्थल भगवान विष्णु, भगवान शिव, गंगा और यमुना जी से जुड़े हुए हैं। वर्ष 2025 में चार धाम की यात्रा 30 अप्रैल 2025 से आरंभ होगी। इस रोज गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलेंगे। 2 मई 2025 को केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलेंगे। बद्रीनाथ के द्वार 4 मई 2025 को खुलेंगे।
 
यमुनोत्री:
इतिहास: यमुनोत्री को यमुना जी के मुख्य मंदिर के रूप में माना जाता है। यह स्थान यमुना जी को समर्पित है, जो सूर्य की पुत्री और भगवान श्री कृष्ण की पटरानी हैं।
रोचक तथ्य: यमुनोत्री के आसपास गर्म जल के झरने हैं, जिन्हें 'यमुनोत्री के ताप' कहा जाता है। इनका पानी सोने से भी अधिक गर्म होता है और श्रद्धालु यहां स्नान करते हैं।
स्थान का महत्व: यमुनोत्री एक अद्भुत प्राकृतिक स्थल है और यहां से यमुना जी का दर्शन करना किसी आशीर्वाद से कम नहीं माना जाता है।
Chardham Yatra

गंगोत्री:
इतिहास: गंगोत्री वह स्थान है जहां से गंगा नदी की उत्पत्ति मानी जाती है। यहां गंगा माता की पूजा के साथ-साथ उनकी पवित्रता को स्वीकारने का एक विशेष अवसर है। यह स्थल भी बहुत पुराना है और इसे एक तीर्थ स्थल के रूप में बहुत महत्व प्राप्त है।
रोचक तथ्य: गंगोत्री में मुख्य रूप से गंगा नदी की उत्पत्ति के स्थल को पवित्र माना जाता है। एक खास बात यह है कि गंगा माता का शिल्प रूप जो गंगोत्री मंदिर में रखा गया है, वह एक विशाल सफेद शिला है। स्थान का महत्व: गंगोत्री मंदिर के पास स्थित भागीरथी शिला पर भगवान शिव के साथ भागीरथ की तपस्या से गंगा का अवतरण हुआ था, जो आज भी धार्मिक दृष्टि से विशेष है।

केदारनाथ:
इतिहास: केदारनाथ भगवान शिव का प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर चार धाम यात्रा में सबसे ऊंचाई पर स्थित है (3583 मीटर) और इसे 8वीं शताब्दी के संत आदि शंकराचार्य द्वारा पुनर्निर्मित माना जाता है।
रोचक तथ्य: केदारनाथ का स्थान बर्फीले पहाड़ों के बीच है और बर्फबारी के कारण मंदिर की यात्रा केवल मई से अक्टूबर तक ही संभव है। सर्दियों में केदारनाथ मंदिर को बंद कर दिया जाता है और भगवान शिव की मूर्ति को गुप्तकाशी के उमा महेश्वर मंदिर में ले जाया जाता है।
स्थान का महत्व: यहां केदारनाथ में शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो भक्तों के लिए एक महान धार्मिक अनुभव है। इसके आसपास के क्षेत्र में अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और गहरी आध्यात्मिक शांति है।

बद्रीनाथ:
इतिहास: बद्रीनाथ का मंदिर भगवान विष्णु का प्रमुख मंदिर है और यह 'विष्णु के ध्यान स्थान' के रूप में प्रसिद्ध है। माना जाता है कि यहां भगवान विष्णु तपस्या करते थे।
रोचक तथ्य: बद्रीनाथ मंदिर का संचालन एक खास परंपरा के तहत होता है। हर साल सर्दियों के मौसम में मंदिर को बंद कर दिया जाता है और भगवान विष्णु की मूर्ति को जोशीमठ में ले जाया जाता है। यह विशेष प्रक्रिया 'बद्री-केदार' की पूजा में शामिल होती है।
जगह का महत्व: बद्रीनाथ को एक अद्भुत स्थान माना जाता है जहां साधना और तपस्या की विशेष ऊर्जा है। बहुत से संत और महात्मा यहां पर ध्यान लगाते हैं।

 

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