नो गैंगस्टर जोन…एनकाउंटर जैसे प्रयोग की जरुरत नहीं….छत्तीसगढ़ सेफ

रायपुर। उत्तरप्रदेश के कानपुर में गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस भी राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए मुस्तैदी दिखा रही है। कानपुर की घटना के बाद राज्य के गुंडे-बदमाशों की नई लिस्ट तैयार कर उन पर शिकंजा कसने कई प्रयोग किए जा रहे हैं। राज्य में अपराध रोकने के लिए पुलिस की सजगता के मद्देनजर स्थानीय लोगों मे यह जिज्ञासा है कि क्या राज्य में कोई ऐसा गैंग या गैंसस्टर सक्रिय है जिसका लोगों में आतंक हो, जिसकी राजनीतिक पहुंच और यूपी की ही तरह पुलिस अफसरों से भी सांठगांठ हो। राजधानी में यदा-कदा गैंगवार की खबरें सुनाई दे जाती हैं। गैंगवार में वर्चस्व के लिए गुटों में भिड़ंत और हत्या की भी कुछ घटनाएं बीते सालों में हुई हैं। ऐसी चंद वारदातों के अलावा राजधानी या प्रदेश के दीगर इलाकों में ऐसे किसी बड़े गैंग या गैगस्टर के सक्रियता की खबर नहीं हैं। पुलिस का भी यही कहना है कि राज्य में कुछ छिटपुट गैंग हैं जो छोटे स्तर पर ही सक्रिय हैं और सामान्य आपराधिक गिरोह की तरह हैं, लोग इनसे प्रभावित नहीं हैं। ऐसे गैंग में भी ज्यादातर बाहरी लोग हैं जो यहां अपना ठिकाना बना लिए हैं। पुलिस का मानना है कि छत्तीसगढ़ आम तौर पर शांत राज्य है और स्थानीय लोगों में अपराध के दम पर आतंक मचाने की प्रवृति नहीं है। राजनीति में भी किसी बाहुबली का हस्तक्षेप नहीं है जिससे राजनीतिक संरक्षण के आधार पर कोई अपना गैंग चलाए अथवा आतंक मचाए। रायपुर के एसएसपी अजय यादव का भी साफ कहना है कि राजधानी में कोई गैंग पनप नहीं सकता, अगर किसी ने आतंक मचाने की कोशिश भी की तो कानून अपना काम करेगा। छत्तीसगढ़ में यूपी-बिहार की तरह बाहुबली कल्चर नहीं है। यहां न कोई गैंग या गैगस्टर है और न ही एनकाउंटर जैसे प्रयोग की जरूरत है।

छग में चर्चित गैंग और कुछ मामले…

छत्तीसगढ़ में कुछ साल पहले दुर्ग में तपन सरकार का नेटवर्क काफी सक्रिय था लेकिन उसके जेल जाने के बाद उसका नेटवर्क कमजोर पड़ गया, हालाकि अब भी उसके जेल में रहकर अपना नेटवर्क चलाने की खबर है। फरवरी 2013 में जनशताव्दी टे्रेन को हाइजैक करने की घटना के बाद उपेन्द्र गैंग का नाम लोगों की जुबान पर आया था. इसके अलावा राजधानी मेें रक्सैल गैंग, ईरानी गैंग, तंजील गैंग आसिफ गैंग, बबलू गैंग, रवि साहू गैंग के सक्रिय होने की खबरें आती हैं। राजधानी में इनके अतिरिक्त एक राजनीतिक दल और सामाजिक संस्था से जुड़े कुछ तत्व भी धमकी-चमकी और वसूली के लिए चर्चित हैं, एक अधिवक्ता के हत्या मामले में इनकी संलिप्तता भी पाई गई थी। राज्य गठन के प्रारंभिक दिनों में एक राजनीतिक हत्या कांड ने हलचल मचा दी थी। इसमें कुछ राजनीतिज्ञों की भी संलिप्तता उजागर हुई थी। वहीं गुटीय लड़ाई का बड़ा उदाहरण देवेन्द्र हत्याकांड भी है जिसने शहर में दहशत फैला दिया था।

तपन सरकार का रहा खौफ

दुर्ग सेंट्रल जेल के बैरक नंबर 8 में बंद तपन सरकार अभी भी जरायम की दुनिया में उतना ही सक्रिय है, जितना 13 साल पहले था.

नई दिल्ली/छत्तीसगढ़. दुर्ग सेंट्रल जेल में बंद तपन सरकार अभी भी जरायम की दुनिया में उतना ही सक्रिय है, जितना 13 साल पहले था. पुलिस जांच में पता चला है कि वह बैरक से ही आपराधिक गतिविधियां में लिप्त है और अपने गैंग को चला रहा है. राज्य में उसके नाम की धमक आज भी है और जबरन वसूली से लेकर हत्या, हत्या के प्रयास, धोखाधड़ी और आपराधिक षडयंत्र के मामलों को अंजाम दे रहा है। तपन सरकार को लोग दादा के नाम से भी जानते हैं। साल 1986 में मात्र 16 साल की उम्र में उसने जरायम की दुनिया में कदम रखा था. इसके बाद से लगभग 20 साल तक वह राज्य में डर का पर्याय बना रहा। उसके गैंग का खौफ चारों तरफ था और वह पुलिस की पकड़ से दूर. इस बीच साल 2005 में पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली, जब एक हत्या के आरोप में तलाश कर रही पुलिस की पकड़ में वह आ गया. कोर्ट ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई और तब से वह जेल में बंद है।

पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, सरकार का जन्म तो कोलकाता में हुआ, लेकिन 9वीं तक की पढ़ाई वह डोंगरगड़ मं किया। वहां उसके रेलवे कर्मचारी पिता की तैनाती थी. पिता के रिटायरमेंट के बाद सरकार अपने पांच भाई-बहनों के साथ रायपुर से 40 किमी दूर दुर्ग में रहने लगा. वहां के एक लोकल कॉलेज में बीकॉम में उसका दाखिला हो गया. लेकिन, यहीं से उसका क्रिमिनल रिकॉर्ड बनना शुरू हो गया. उसका पहला केस 10वीं में ही सामने आ गया था और उसके ऊपर धारा 324, 506बी और 294 के तहत केस दर्ज हुआ था. रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1990 में उसे दुर्ग रेलवे स्टेशन के पास साइकिल-मोटरसाइकिल पार्किंग का स्टैंड मिल गया. इसके बाद ही वहां उसने अपना गैंग बना लिया. साल 2005 में गैंगस्टर महादेव महर की भिलाई में हत्या हो गई. इसके पांच महीने बाद ही पुलिस ने तपन और उसके 5 साथियों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. रिपोर्ट के मुताबिक, महर उसे शराब के कारोबार में चुनौती दे रहा था, जिसके बाद उसकी हत्या हुई. साल 2015 में इस मामले में तपन को आजीवन उम्रकैद की सजा सुनाई गई. लेकिन, उसकी कहानी यहीं खत्म नहीं होती. पांच महीने पहले जेल से बाहर आए कुछ लोगों ने खुलासा किया कि किस तरह वह जेल के अंदर से ही अपने नेटवर्क को चला रहा है. इसके बाद से ही वह पुलिस के रडार पर था. अब पुलिस ने उसपर कार्रवाई करते हुए उसे अंबिकापुर जेल में शिफ्ट कर दिया है. वहीं उसके दूसरे साथियों को राज्य के अलग-अलग जेलों में भेज दिया गया है।

पूरी ट्रेन कर ली थी हाईजैक

6 फरवरी 2013 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग में ट्रेन हाइजैक करने की पहली घटना घटी थी. इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. बदमाशों ने करीब डेढ़ किलोमीटर तक पूरी जनशताब्दी ट्रेन के ड्राइवर और ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों को बंधक बनाकर रखा था. जनशताब्दी एक्सप्रेस को हाईजैक करने वाले गिरोह के सरगना उप्रेंद्र समेत उसके आठ साथियों को छत्तीसगढ़ की एक निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. गैंगस्टर उपेंद्र समेत आठ बदमाशों को विशेष अदालत ने रेलवे एक्ट के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके अलावा 5 अलग-अलग धाराओं में सभी को सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है. यही नहीं, प्रत्येक दोषी को 9500 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. इस प्रकरण में पुलिस ने 11 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की थी. इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. बदमाशों ने करीब डेढ़ किलोमीटर तक पूरी जनशताब्दी ट्रेन के ड्राइवर और ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों को बंधक बनाकर रखा था. ड्राइवर और अन्य स्टॉफ को गिरोह ने बंदूक की नोक पर बंधक बना लिया था. बदमाश ड्राइवर पर ट्रेन को दूसरे स्टेशन पर ले जाने का दबाव बना रहे थे.

राजधानी में ये गैंगबाज सक्रिय,सालों से है टकराव

शहर में कानून एवं सुरक्षा व्यवस्था को ठेंगा दिखाकर सालों से सक्रिय रक्सेल गैंग, तंजिल गैंग, ईरानी गैंग, आसिफ गैंग, बबलू गैंग, रवि साहू, मुकेश गैंग के गुर्गे आतंक फैलाते आए हैं। सट्टा, जुआ, शराब समेत नशे के अन्य कारोबार में एक छत्र वर्चस्व जमाने के लिए गिरोहबाज आपस में टकराते रहे हैं। कुछ साल पहले तंजिल गैंग ने रक्सेल गैंग पर हमला बोला था। इस हमले में दो लोगों की मौत हो हुई थी। इनके गुर्गे एक दूसरे को आए दिन निपटाने के लिए धमकाते रहते हैं, इससे भविष्य में गैंगवार होने से इन्कार नहीं किया जा सकता।

राजधानी में कोई गैंग पनप नहीं सकता, अगर किसी ने आतंक मचाने की कोशिश भी की तो कानून अपना काम करेगा। छत्तीसगढ़ में यूपी-बिहार की तरह बाहुबली कल्चर नहीं है। यहां न कोई गैंग या गैगस्टर है और न ही एनकाउंटर जैसे प्रयोग की जरूरत है।
-अजय यादव, एसएसपी, रायपुर

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