जर्मनी में चुनाव नतीजे आ गए हैं और अब गठबंधन की सरकार बनने का रास्ता हुआ साफ, नए नेता ने ट्रंप को खूब सुनाया

बर्लिन
जर्मनी में चुनाव नतीजे आ गए हैं और अब गठबंधन की सरकार बनने का रास्ता साफ हुआ है। फ्रीडरिष मैर्त्स नए जर्मन चांसलर हो सकते हैं, जो ओलाश शोल्ज के मुकाबले कंजरवेटिव और राष्ट्रवादी नेता माने जाते हैं। यूरोप की एकता और जर्मनी को मजबूत करने पर बल देने वाले फ्रीडरिष मैर्त्स ने जीत के तुरंत बाद मीडिया से बात की तो डोनाल्ड ट्रंप को भी काफी कुछ सुना दिया। उन्होंने नाटो की मौजूदा स्थिति को लेकर भी बात की। डोनाल्ड ट्रंप ने नाटो को लेकर यूरोपीय देशों को पिछले दिनों सुनाया था। उन्होंने कहा था कि आखिर नाटो के नाम पर कब तक यूरोपीय देश अमेरिका पर निर्भर रहेंगे। उन्हें भी अपनी सुरक्षा को मजबूत करना चाहिए और इसके लिए बजट तय होना चाहिए। अब इस पर फ्रीडरिष मैर्त्स का कहना है कि य़ह बात हमारे लिए सोचने वाली है।

उन्होंने कहा, 'मैंने नहीं सोचा था कि कभी ऐसा कुछ टीवी शो में कहूंगा, लेकिन डॉनल्ड ट्रंप के पिछले हफ्ते के बयान के बाद…यह साफ है कि यह सरकार यूरोप के भविष्य के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करती।' मैर्त्स का कहना है कि इसका मतलब है कि जर्मनी को अमेरिका पर निर्भरता घटानी होगी, खास तौर से उनके परमाणु सुरक्षा बल पर। मैर्त्स ने यूरोपीय परमाणु शक्तियों फ्रांस और ब्रिटेन के साथ उनके परमाणु सुरक्षा के विस्तार पर बातचीत करने की भी पैरवी की है। मैर्त्स ट्रांस अटलांटिक संबंधों के प्रबल समर्थक रहे हैं। निवर्तमान जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्स के मुकाबले वह रूस के खिलाफ ज्यादा कठोरता की बात करते हैं। मैर्त्स के शासन में यूक्रेन को मध्यम दूरी की टॉरस मिसाइल देने की भी पहल हो सकती है। शॉल्स ने इसका हमेशा विरोध किया है।

दरअसल शॉल्स नहीं चाहते थे कि यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग में जर्मनी भी सक्रियता से हिस्सा ले। लेकिन मैर्त्स के विचार उनसे अलग हैं। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप के बयान को लेकर यूरोप में हलचल तेज है। उन्होंने कहा था कि आखिर अमेरिका कब तक दूसरे देशों की सुरक्षा का बोझ उठाता रहेगा। उन्होंने यूक्रेन मामले पर भी पुराने रुख से पलटी मार ली है। उनका कहना है कि इस जंग को यूक्रेन ने ही छेड़ा था और इसके लिए अमेरिकी फंड का इस्तेमाल किया। अमेरिका के इस रवैये पर यूरोप के देशों ने आपत्ति जताई है। फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन समेत कई देशों का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप का यह रुख चिंता बढ़ाने वाला है।

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