एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने रक्षा विनिर्माण के लिए स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने की वकालत की

नई दिल्ली
एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने रक्षा विनिर्माण के लिए स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि भारत में हर साल कम से कम 35-40 सैन्य विमानों के निर्माण की आवश्यकता है और इस लक्ष्य को पूरा करना असंभव नहीं है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारतीय वायुसेना स्वदेशी प्रणाली को प्राथमिकता देगी, भले ही वह थोड़ा कम प्रदर्शन करे। शुक्रवार को यहां 'भारत 2047: युद्ध में आत्मनिर्भर' विषय पर आयोजित चाणक्य डायलॉग्स कॉन्क्लेव में वायुसेना प्रमुख ने कहा कि वायुसेना की पहली प्राथमिकता ऐसे सैन्य विमानों का निर्माण करना है जो स्वदेशी हो।

स्वदेशी प्रणाली पर दें जोर
वायुसेना प्रमुख ने जोर देते हुए कहा कि इस बात को लेकर मेरा दृष्टिकोण पूरी तरह से स्पष्ट है और मैं बिल्कुल आश्वस्त हूं कि भले ही स्वदेशी प्रणाली का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कम हो। अगर यह विश्व बाजार में उपलब्ध प्रणाली का 90 प्रतिशत या 85 प्रतिशत हो तो भी हम स्वदेशी प्रणाली पर ही जोर देंगे। उन्होंने कहा कि इसकी वजह यह है कि केवल यही एकमात्र तरीका है जिससे हम अपनी रक्षा की दृष्टि से आत्मनिर्भर होने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। वायुसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि स्वदेशी प्रणाली रातोंरात विकसित नहीं की जा सकती है। इसमें समय लगेगा और इसे समर्थन की भी आवश्यकता होगी। इसके लिए भारतीय वायु सेना किसी भी अनुसंधान एवं विकास परियोजना के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

हर साल भारत को बनाने होंगे कम से कम 40 लड़ाकू विमान
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भारत को हर साल कम से कम 35- 40 लड़ाकू विमान बनाने की क्षमता विकसित करने की जरूरत है ताकि पुराने हो रहे बेड़े को बदलने की जरूरतें पूरी की जा सकें। मेरा मानना है कि ये क्षमताएं रातों-रात नहीं आ सकतीं। लेकिन, हमें खुद को इस दिशा में आगे बढ़ाना होगा। अब हल्के लड़ाकू विमान एमके1ए के निर्माण की तरह हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने वादा किया है कि अगले साल से हम हर साल 24 विमान बनाएंगे। साथ ही कुछ सुखोई या कुछ अन्य विमान का भी निर्माण किया जाएगा।

मेक इन इंडिया पर रहेगा जोर
उन्होंने कहा कि हम अकेले एचएएल द्वारा हर साल संभवत: 30 विमानों के निर्माण की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सैन्य विमान निर्माण के लिए अगर कोई निजी उद्योग 'मेक इन इंडिया' के तहत सामने आता है तो हम उनकी तरफ से भी हर साल शायद 12-18 विमान के निर्माण की उम्मीद कर सकते हैं। धीरे-धीरे हम उस संख्या तक पहुंच रहे हैं और इसे हासिल करना भी संभव है। उन्होंने लंबे युद्ध लड़ने के लिए घरेलू रक्षा उपकरणों के महत्व पर भी जोर दिया।एआइ जैसी तकनीकों के बारे में उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना स्वचालन (आटोमेशन) के साथ बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है। मुझे लगता है कि हम सभी एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग और स्वचालन जैसी तकनीकों की उपयोगिता से भलीभांति परिचित हैं। उन्होंने कहा कि आज दुनिया भर में इन तकनीकों की खूब चर्चा हो रही है। इसलिए हम भी सकारात्मक रूप से इस दिशा में काम कर रहे हैं। बहुत सारी प्रणालियां स्वचालित हो गई हैं। बहुत सारे पूर्वानुमान स्वचालित हो गए हैं। इनकी बदौलत न केवल हमारा कीमती समय बच रहा है, अपितु यह हमें कुशल समाधान भी दे रहा है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *