अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने एक्शन से टैरिफ वॉर शुरू करते दिख रहे हैं और इसने वर्ल्ड इकनॉमी में खलबली मचा दी है. अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद एक देशों से आयात पर टैरिफ (टैक्स) लगा रहे हैं और अब दूसरे देश जवाबी कदम उठा रहे हैं. मंगलवार, 4 मार्च को पहले कनाडा, मैक्सिको और चीन के खिलाफ ट्रंप के नए टैरिफ की घोषणा की और इसके लागू होते ही चीन और कनाडा ने जवाबी कार्रवाई का ऐलान कर दिया है.
यहां हम आपको बताएंगे कि अमेरिका ने किन देशों पर कितना टैरिफ लगाया है और उन देशों ने जवाब में क्या कदम उठाए हैं. फिर आपको आसान शब्दों में बताएंगे कि टैरिफ होता क्या है और ट्रंप इसका इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं.
अमेरिका ने किसपर कितना टैरिफ लगाया?
राष्ट्रपति ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको के खिलाफ 25% टैरिफ और चीन के खिलाफ 20% टैरिफ की घोषणा की है. चीन पर पिछले महीने जो 10% टैरिफ लगाया गया था, उसे अब दोगुना कर दिया गया है.
चीन की जवाबी कार्रवाई
बीजिंग के वित्त मंत्रालय ने चिकन, गेहूं, मक्का और कपास सहित कई अमेरिकी कृषि आयातों पर 15% टैरिफ की घोषणा की है. साथ ही सोयाबीन, पोर्क, बीफ, फल, सब्जियां और डेयरी उत्पादों जैसे अन्य उत्पादों पर 10% टैरिफ लगाया है. ये टैक्स 10 मार्च से लागू होंगे. साथ ही चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने 10 अमेरिकी कंपनियों को तथाकथित "अविश्वसनीय इकाई सूची" (unreliable entity list) में और 15 अमेरिकी संस्थाओं को निर्यात नियंत्रण सूची में जोड़ा है, जो आज से प्रभावी हो जाएगा.
जिन अमेरिकी संस्थाओं को चीन ने निशाना बनाया है, उनमें अमेरिकी बायोटेक फर्म इल्लुमिनिया (Illuminia) शामिल है. चीन ने इल्लुमिनिया पर आरोप लगाया है कि वह "चीनी कंपनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण कदम" उठाती है.
4 मार्च से इल्लुमिनिया को चीन में जीन अनुक्रमण यानी सिक्वेंसिंग की मशीनों के निर्यात पर बैन लगा दिया है. चीन की निर्यात नियंत्रण लिस्ट में जोड़ी गई 15 संस्थाओं में एविएशन, समुद्री इंजीनियरिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं.
कनाडा ने भी टैरिफ लादा
कनाडा ने घोषणा की है कि वह 4 मार्च से 107 बिलियन डॉलर (155 बिलियन कनाडाई डॉलर) के अमेरिकी सामानों पर 25% का जवाबी टैरिफ लगाएगा. रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, कनाडाई प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अमेरिका के टैरिफ को टालने के प्रयास में कहा कि अगर ट्रंप प्रशासन अपनी योजना पर अमल करता है तो कनाडा मंगलवार से अमेरिकी सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा.
मैक्सिको ने भी कर ली तैयारी
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार जहां एक तरफ कनाडा और चीन पहले ही जवाबी टैरिफ लगाने की कसम खा चुके हैं, वहीं मेक्सिको भी 24 घंटे के अंदर जवाबी टैरिफ लगा सकता है. मैक्सिको से होने वाले आयात पर अमेरिका के 25% टैरिफ लागू होने से पहले, मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम ने कहा कि उनके देश ने आकस्मिक योजनाएं बनाई हैं. उन्होंने कहा, “इस स्थिति में, हमें संयम, शांति और धैर्य की आवश्यकता है. हमारे पास प्लान ए, प्लान बी, प्लान सी और यहां तक कि प्लान डी भी है." शीनबाम ने कहा कि वह कनाडाई समयानुसार मंगलवार को मेक्सिको के जवाब के बारे में और बात करेंगी.
टैरिफ क्या होता है?
टैरिफ दूसरे देशों से आयात होने वाली वस्तुओं पर लगाया जाने वाला टैक्स है. जो कंपनियां विदेशी सामान देश में लाती हैं वे सरकार को टैक्स देती हैं. सरकार इस टैक्स को बढ़ाकर उस सामान की कीमत बढ़ा सकती है और टैक्स कम करके उसकी कीमत कम कर सकती है. यानी कुल मिलाकर सरकार टैरिफ के जरिए इस चीज को कंट्रोल करती है कि उसे देश में कौन सा विदेशी सामान चाहिए और कितना चाहिए.
आमतौर पर, टैरिफ किसी प्रोडक्ट के कीमत का एक खास प्रतिशत होता है. आपको उदाहरण से बताते हैं. जैसे ट्रंप ने चीन पर 20% टैरिफ लगाया है. अब इसका मतलब हुआ कि चीन से अगर 10 डॉलर का कोई सामान अमेरिका के अंदर आता है तो उसपर 2 डॉलर का अतिरिक्त टैक्स लगेगा. अब यह कंपनियों पर निर्भर करता है कि वो टैरिफ की कुछ या पूरी लागत अपनी ग्राहकों पर डालती है या नहीं.
अब अमेरिका में चीन, कनाडा और मेक्सिको से आने वाले सामान की कीमत अचानक से बढ़ सकती है.
ट्रंप टैरिफ क्यों लगा रहे हैं?
इसका आसान सा जवाब ट्रंप के चुनावी स्लोगन 'अमेरिका फर्स्ट' में छिपा है. ट्रंप संरक्षणवादी है यानी अमेरिका के अपने बिजनेस को तरजीह देते हैं. ऐसे में जो टैरिफ वाला हथकंडा है वो ट्रंप की आर्थिक योजनाओं का एक केंद्रीय हिस्सा है. उनका कहना है कि टैरिफ से अमेरिकी के अंदर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और नौकरियों की रक्षा होगी, साथ ही सरकार को मिलने वाला टैक्स बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी होगी.
ड्रग्स सप्लाई पर ऐक्शन
ट्रंप ने फरवरी में तीनों देशों पर टैरिफ जड़ने का ऐलान किया था। ट्रंप के मुतबिक कनाडा और मेक्सिको की सीमा से अवैध नशीले पदार्थों का कारोबार चल रहा है जिसकी रोकथाम के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। बाद में कनाडा और मेक्सिको की ओर से सीमा सुरक्षा को लेकर वादे करने पर उनके ऊपर 25% टैरिफ के फैसले को एक महीने के लिए स्थगित कर दिया था।
उनसे सोमवार को इस बारे में सवाल किया गया कि क्या अभी दोनों देशों से इसे लेकर कोई डील की जा सकती है तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया और दोहराया कि टैरिफ मंगलवार से लागू हो रहे हैं। ट्रंप ने 2 अप्रैल से जवाबी टैरिफ जड़ने का ऐलान भी किया है।
फरवरी अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर ट्रंप ने कहा था कि मेक्सिको और कनाडा से अभी भी बड़े और अस्वीकार्य स्तर पर ड्रग्स आ रहे हैं। ट्रंप के मुताबिक 1 लाख से ज्यादा लोगों की मौत इन ड्रग्स के कारण हुई है।
उन्होंने दावा किया था कि इनमें से ज्यादातर, जो फेंटनिल प्रकार के हैं, वे चीन से सप्लाई हो रहे हैं। अपने हालिया फैसले में ट्रंप ने चीन के ऊपर लगने वाली 10% ड्यूटी के ऊपर अतिरिक्त 10% ड्यूटी जड़ दी है। राष्ट्रपति का आरोप है कि चीन ने अवैध ड्रग्स के कारोबार को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए हैं।
टैरिफ से सहमा भारतीय बाजार
डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ से पहले ही भारतीय और ग्लोबल शेयर बाजार सहमा नजर आ रहा था. अब चीन कनाडा और मैक्सिको द्वारा टैरिफ लगाने के ऐलान के बाद दुनिया भर के शेयर बाजार में और गिरावट हो सकती है. भारतीय शेयर बाजार आज भी गिरावट पर कारोबार कर रहा है. सेंसेक्स करीब 200 अंक टूट चुका है, जबकि निफ्टी 60 अंक के करीब टूटा है. आगे यह बाजार और कितना गिरेगा, इसका अंदाजा लगा पाना अभी संभव नहीं है.
घरेलू ट्रेड को होगा फायदा
ट्रंप ने ड्रग्स और इमिग्रेंट्स के अमेरिकी सीमा में दाखिल होने को लेकर यह कड़ा कदम उठाने का ऐलान किया है। हालांकि, इसके अलावा माना जा रहा है कि राष्ट्रपति घरेलू व्यापार को बढ़ावा देने का भी लक्ष्य साध रहे हैं।
न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल पोस्ट पर अमेरिकी किसानों के लिए मेसेज लिखा है कि वे देश के अंदर कृषि उत्पाद बेचने के लिए तैयार रहें क्योंकि एक्सटर्नल प्रॉडक्ट्स पर 2 अप्रैल से टैरिफ लागू होने वाले हैं।
कनाडा लगाएगा जवाबी टैरिफ
कनाडा के राष्ट्रपति जस्टिन ट्रूडो का कहना है कि ट्रंप के टैरिफ को जस्टिफाई नहीं किया जा सकता है। उनका दावा है कि इनकी वजह से अमेरिकी लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
असोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रूड का कहना है कि टैरिफ के चलते अमेरिकी लोगों को राशन से लेकर गैस तक के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होंगी और उनकी नौकरियां भी जा सकती हैं।