अम्बिकापुर 21 जुलाई 2020
जरकेला के लिए सिंचाई नाली बनी गंगा सदैव प्रवाहमान गंगा अपने तट के उर्वरा भूमि को सिंचित कर मानव जीवन को पुष्पित पल्लवित करती है और समृद्ध बनाती है। उसके तट पर हर मौसम में फसलें लहलाती है क्योंकि पानी की कमी नही होती। ठीक इसी प्रकार ग्राम जरकेला में किसानों के खेत के नजदीक तक सिंचाई नाली बन जाने से सिंचाई की समस्या दूर हो गई और बारहो माह फसल लहलहाने लगी। अब किसान धान के अलावा मसूर,चना,मटर सब्जी की खेती करने लगे हैं जिससे उनके स्थिति मजबूत हुई है।
जिला मुख्यालय अम्बिकापुर से 50 किलोमीटर की दूरी पर सरगुजा एवं जशपुर जिले के सीमा पर स्थित ग्राम जराकेला, लुण्ड्रा विकासखण्ड अंतर्गत आता है। यह ग्राम चारों ओर से जंगलो एवं पहाड़ी से घिरा हुआ है जिसकी वजह से बारिश के पानी का ठहराव नहीं होने के कारण बह कर नालों के माध्यम से अन्य गांवों के नदी एवं बांध में संचित हो जाता था। इससे जल स्रोतों के भू-जल स्तर में कमी आ जाती है ऐसे में गर्मी के मौसम में खेतों तक पानी मिलना और लगी फसलों, साग-सब्जियों को बचाना मुश्किल हो जाता था। जराकेला का क्षेत्रफल लगभग 100 एकड़ है तथा गांव की आबादी 2 हजार 500 और महात्मा गांधी नरेगा के जॉब कार्ड धारी परिवारों की संख्या 264 हैं। गांव में खेती-किसानी का रकबा काफी होने के बाद भी पानी की कमी के कारण किसान पर्याप्त फसल नहीं ले पाते थे। ग्राम सभा में सबके सामने सिंचाई नाली निर्माण के फायदे और ग्राम पंचायत कार्यालय में किसानों की भ्रांतियों को दूर करने को लेकर की गई कोशिशों का नतीजा था कि ग्राम में सिंचाई नाली निर्माण को लेकर आगे आये। ग्राम पंचायत के प्रस्ताव के आधार पर ग्राम के किसानों को ग्राम पंचायत में सिंचाई नाली निर्माण की प्रशासकीय स्वीकृति 07 जून 2018 को दी गई। प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त होते ही ग्राम पंचायत ने 15 फरवरी 2019 को ग्राम पंचायत सरपंच एवं सचिव और ग्रामीणों की उपस्थिति में सिंचाई नाली निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया। महात्मा गांधी नरेगा से एक सिंचाई नाली निर्माण हुआ। अब उनके पास अपनी फसलों को सुखने से बचाने के लिए खुद का पानी का संसाधन है। सिंचाई नाली होने से अब वे बाड़ी से अपने परिवार का गुजर-बसर कर पा रहे है।