हापुड़
उत्तर प्रदेश के हापुड़ से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां एक 50 साल की मुस्लिम महिला ने 14वें बच्चे को जन्म दिया है. महिला के सबसे बड़े बेटे की उम्र 22 वर्ष है जबकि वहीं सबसे छोटे बच्चे की उम्र 3 साल है. 14वें बच्चे के जन्म की पूरे क्षेत्र में खूब चर्चा हो रही है. महिला के परिजनों ने बताया कि जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं.
हापुड़ के पिलखुवा कोतवाली इलाके के मोहल्ला बजरंगपुरी के रहने वाले इमामुद्दीन के घर एक बार फिर बच्चे की किलकारी गूंजी है. इमामुद्दीन की पत्नी गुड़िया ने 14वें बच्चे को जन्म दिया है.
इमामुद्दीन ने बताया कि गुरुवार को प्रसव पीड़ा के बाद उनकी पत्नी को पिलखुवा के सरकारी सीएचसी अस्पताल ले जाया गया था, जहां से गंभीर हालत को देखते हुए गुड़िया को हापुड के जिला अस्पताल रेफर कर दिया था. गुड़िया को एंबुलेंस से जिला अस्पताल ले जाया जा रहा था कि इस दौरान उसने अस्पताल के गेट पर ही सरकारी एंबुलेंस में एक लड़की को जन्म दिया है.
इसके बाद अस्पताल में मौजूद स्वास्थ्य कर्मचारियों और डॉक्टरों ने गुड़िया को स्ट्रेचर पर लेटाकर एंबुलेंस से उतारकर भर्ती कराया और उसका इलाज किया. इसके अलगे दिन जच्चा बच्चा दोनों को डॉक्टरों ने डिस्चार्ज कर दिया.
जिला अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. हेमलता ने बताया, "गर्भवती महिला को लेबर पेन के साथ एंबुलेंस में लाया गया था. बच्चा आधा बाहर आ चुका था. हमने तुरंत अस्पताल में डिलीवरी पूरी की. जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं और उन्हें घर भेज दिया गया है. यह उनकी 14वीं संतान है, जो एक लड़की है."
प्रसूता गुड़िया के 22 साल के सबसे बड़े बेटे ने बताया, "अब हम 11 भाई-बहन हैं. तीन बच्चों की पहले मृत्यु हो चुकी है. कुल 14 बच्चे हुए हैं. सबसे छोटे भाई की उम्र 3 साल है."
बेटे ने कहा कि डिलीवरी के दौरान वह अपनी मां के साथ अस्पताल में मौजूद था. गुड़िया के बच्चों की डिलीवरी में एक साल का अंतर भी नहीं है, जो इस मामले को और भी चर्चा का विषय बनाता है.
इस घटना की पूरे इलाके में जमकर चर्चा हो रही है. एक तरफ सरकार 'हम दो और हमारे दो' का नारा दे रही हैं. तो वहीं दूसरी ओर इस मामले ने लोगों को हैरानी में डाल दिया है. स्थानीय लोगों में इसे लेकर आश्चर्य और बहस छिड़ गई है. जिला प्रशासन ने अभी इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है.