प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अयोध्या में मंदिर परिसर में पारिजात का पौधा भी लगाया। खास बात ये है कि प्रधानमंत्री ने इस पौधे को पारंपरिक ड्रिप इरिगेशन तकनीक से रोपा। इस पौधे को हिंदू पौराणिक कथाओं में काफी दिव्य माना जाता है।
क्या है पारिजात का महत्व
पारिजात का पेड़ बहुत ही खूबसूरत होता है। इस फूल को भगवान विष्णु के श्रृंगार और पूजन में प्रयोग किया जाता है। इसी कारण इसे हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में इस वृक्ष का बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि पारिजात को केवल छूने से व्यक्ति की थकाम मिट जाती है।
पारिजात वृक्ष की ऊंचाई दस से पच्चीस फीट तक होती है। इस वृक्ष की एक खास बात ये भी है कि इसमें काफी मात्रा में फूल लगते हैं। इससे एक दिन में कितने भी फूल तोड़े जाएं, अगले दिन इसमें बड़ी मात्रा में फूल खिल जाते हैं। यह वृक्ष खासतौर से मध्य भारत और हिमालय की नीची तराइयों में ज्यादा उगता है। ये फूल रात में खिलता है और सुबह होते ही इसके सारे फूल झड़ जाते हैं। इस कारण इसे रात की रानी भी कहा जाता है।
माना जाता है दिव्य वृक्ष
इससे पहले महंत राजकुमार दास ने कहा था, ‘पारिजात को एक दिव्य वृक्ष माना जाता है। यह बाराबंकी जिले में है और हजारों साल पुराना है। कई वैज्ञानिकों ने शोध किया है और इस बात पर सहमति व्यक्त की है कि इस तरह का कोई अन्य पेड़ नहीं है, लेकिन कुछ नर्सरी भी हैं, जिनमें इसके पौधे हैं। इसलिए इसे प्रधानमंत्री द्वारा लगाया जाएगा क्योंकि यह देव वृक्ष है।’
वृक्ष से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में बताते हुए दास ने कहा था, ‘महर्षि नारद ने स्वर्ग से द्वारिकाधीश को पारिजात का फूल भेंट किया था। इसे बाद में उन्होंने रुक्मणी को इसे उपहार में दिया था जिसके बाद सत्यभामा नाराज हो गई थीं। इसलिए, द्वारिकाधीश स्वर्ग गए और भगवान इंद्र से युद्ध किया और वृक्ष को द्वारिका वापस ले आए।’
दास ने आगे कहा था, ‘प्रधानमंत्री श्री राम जन्मभूमि जाएंगे जहां वह ‘भगवान श्री रामलला विराजमान’ की पूजा में हिस्सा लेंगे। वे वहां एक पारिजात का पौधा लगाएंगे और फिर भूमि पूजन करेंगे।’ भूमि पूजन से पहले प्रधानमंत्री हनुमान गढ़ी मंदिर में जाएंगे। जहां वे पूजा-अर्चना करेंगे। इसके बाद वे राम जन्मभूमि में भूमि पूजन करेंगे।