कोरोना काल के पांच माह पूरे, जानिए संपूर्ण लॉकडाउन से लेकर अब तक कैसे बदली देश की स्थिति

पूरी दुनिया पर कोरोना वायरस का संकट आज भी बरकरार है। भारत जैसा विकासशील देश भी इससे जूझ रहा है। देश में कोरोना संकट को लेकर 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया गया था। यह जनता के लिए जनता का कर्फ्यू था। हालांकि इसके बाद 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी। आज 24 अगस्त को कोरोना काल के पांच माह पूरे हो गए हैं। इस दौरान देश में संपूर्ण लॉकडाउन से लेकर अनलॉक होने तक कई तरह के बदलाव आए हैं। इन पांच महीनों के दौरान इस महामारी ने लोगों की जिंदगी से लेकर अर्थव्यवस्था तक को बुरी तरह से प्रभावित कर के रख दिया है।

बहरहाल, मौजूदा स्थिति की बात करें तो देश में कोरोना वायरस से संक्रमण के करीब 31 लाख मामले सामने आ चुके हैं। इस दौरान 57 हजार से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है। राहत की बात यह है कि करीब 23 लाख लोगों ने कोरोना को मात भी दी है।
केंद्र सरकार के अनुसार देशभर में अब तक कोरोना के कुल 3.52 करोड़ से ज्यादा टेस्ट हो चुके हैं। वहीं रिपोर्ट्स की मानें तो अगर सब कुछ ठीक रहा तो 73 दिन के अंदर भारत को पहली कोरोना वायरस की वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ भी मिल जाएगी।

देश में लगातार दूसरी बार 8 दिन में बढ़े 5 लाख कोरोना मरीज
देश में कोरोना के मामले 31 लाख के पार हो गए हैं। यह लगातार दूसरी बार है जब मात्र 8 दिन में 5 लाख कोविड-19 मरीज बढ़े हैं। 14 अगस्त को देश में 25 लाख कोरोना मरीज थे और 22 अगस्त को यह संख्या बढ़कर 30 लाख हो गई। इससे पहले 6 अगस्त को 20 लाख मरीज थे।

हालांकि देश में अब तक 22,80,567 लोग स्वस्थ भी हो चुके हैं और मरीजों  के ठीक होने की दर बढ़कर 74.90 फीसदी हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रविवार सुबह जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार,पिछले 24 घंटे के अंतराल में देश में संक्रमण के 69,239 नए मामले आने के साथ कोविड-19 के मामलों की कुल संख्या 30,44,940 तक पहुंच गई, जबकि संक्रमण के कारण 912 और लोगों की मौत होने के साथ मरने वालों की संख्या 56,706 हो गई।

देश में अब कोविड-19  के मामलों में मृत्यु दर घटकर 1.86 प्रतिशत रह गई है। आंकड़ों के अनुसार, देश में इस समय कोरोना वायरस के 7,07,668 मरीजों का इलाज चल रहा है, जो अब तक आए कुल मामलों का 23.24 प्रतिशत हैं। मंत्रालय के अनुसार, लगातार छठवें दिन भी आठ लाख से अधिक

सैंपल की जांच की गई। शनिवार को 8,01,147 सैंपल की जांच हुई। देश में कोविड-19 जांच का आंकड़ा बढ़कर 3,52,92,220 पहुंच गया  है। पिछले 24 घंटे में प्रति 10 लाख जनसंख्या पर जांच का आंकड़ा 25,574 पहुंच गया है। वहीं रोजाना पॉजिटिव मिलने वाले मरीजों की  औसत दर भी घटकर 7.67 फीसदी हो गई जोकि 3-9 अगस्त के दौरान 9.67 प्रतिशत थी।
कुल मामले तारीख दिन
01 लाख    18 मई   110
05 लाख    26 जून    39
10 लाख   16 जुलाई    20
15 लाख   28 जुलाई    12
20 लाख   06 अगस्त     08
25 लाख   14 अगस्त     08
30 लाख   22 अगस्त      08

कुछ इस तरह से बदल गई लोगों की जीवनशैली
बदले हुए लोग और बदला हुआ आचरण
सैनिटाइजर का प्रयोग बढ़ गया है, लोग पहले से कहीं ज्यादा घर की साफ-सफाई पर ध्यान दे रहे हैं
हर कोई महामारी विशेषज्ञ की भूमिका निभाने लगा है।
फ्लैटर्न दि कर्व, डबलिंग रेट, एन-95 मास्क, रेड जोन, कॉन्टैक्ट लेस सर्विस जैसे शब्द लोगों की जुबान पर चढ़ गए हैं। इसी के साथ बढ़ा है महामारी से बचने के उपायों का पालन।
कोरोना के नए-नए लक्षणों को लेकर बातचीत होने लगी है जैसे: सुगंध ना आना, पैर के अंगूठे का रंग बदल जाना।
कभी-कभी स्वस्थ लोगों को चिंता बढ़ने लगी है कि क्या वो एसिम्प्टोमैटिक हैं।
लोगों के मन में कई सवाल आने लगे हैं जैसे- छींक का सफर, नजदीकी अस्पताल की दूरी, वहां कोविड-19 के बिस्तर, इंश्योरेंस कवर।

क्या पिज्जा खाना सही रहेगा, इससे डिलिवरी बॉय की जिंदगी को तो खतरा नहीं होगा।
क्या दादा-दादी के घर जाने से उनमें संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
उन लोगों के साथ दोस्ती कैसे रखी जाए जिन्होंने घरेलू सहायकों को पैसा देना बंद कर दिया है।
इस दौरान दरवाजे और लिफ्ट का बटन ना छूने की पूरी कोशिश की है।
छह फीट या दो मीटर की सामाजिक दूरी बनाए रखने की पूरी कोशिश।
हाथों से बार-बार चेहरा ना छूना, कभी-कभी घर से निकलने के बाद मास्क पहनना भूल जाना।
किस पर वास्तव में भरोसा कर सकते हैं?

कोरोना के आने पर कहा गया कि ज्यादा ठंड होने की वजह से ज्यादा फैल रहा है।
फिर मार्च में कहा गया कि भारतीय दो हफ्ते में कोरोना के खिलाफ लड़ लेंगे।
इसके बाद फिर कहा गया कि गर्मी की तपन से कोरोना वायरस मर जाएगा।
इसी बीच तेजी से व्हाट्सएप मैसेज वायरल होने लगे, कितने झूठ, कितने सच, पता नही।
क्या मुंबई में सेना तैनात होगी, हल्दी से नहाने से मदद मिलेगी, कोरोना चीन का जैविक हथियार है जैसी अफवाहें फैलने लगी।
देश में वायरस से ज्यादा अफवाहों के फैलने का दौर शुरू हुआ।
कौन कोरोना पॉजिटिव है और क्यों है, ये समझना मुश्किल हो गया।

आरोग्य सेतु एप को लेकर सरकार ने कई बार सफाई दी कि डाटा कहीं नहीं जाएगा।
उचित दूरी के साथ सामाजिक मेल-जोल
महामारी की वजह से घर में बैठे दादी-दादी और माता-पिता ने वीडियो कॉलिंग, फेसबुक और नई तकनीकी सीखी।
ऑनलाइन गेम को लोकप्रियता ज्यादा मिलने लगी है, लूडो, ताश, मैच-3, क्विजर जैसे खेल ज्यादा खेले जाने लगे है।
लॉकडाउन में बिना केक और कैलोरीज के वीडियो कॉलिंग के जरिए बर्थ-डे और सालगिरह मनाई जाने लगीं हैं।
लोगों के मन में विचार आया कि इंटरनेट नहीं होता तो लॉकडाउन में समय बिताने के लिए क्या विकल्प होते।

लाइक, कॉमेंट और शेयर
दोस्तों ने एक साथ मिलकर कई सारे नए पॉडकास्ट शुरू किए।
इंस्टालाइव, टिक-टॉक डांस ऑफ, ट्विटर अंताक्श्री और वेबिनार मनोरंजन के नए माध्यम बन गए हैं।
लोगों ने ग्रुप चैट या वीडियो कॉल के दौरान बैठने और अच्छे दिखने के तरीके को सीख रहे हैं।
लॉकडाउन में खाली समय का सदुपयोग कर कई लोगों ने अपने यू-ट्यूब चैनल तक बना लिए हैं।
ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सेवा का लुफ्त

टेलीविजन पर रामायण ने दादा-दादी और माता-पिता के पुराने दिन याद दिला दिए।
ढेरों पुराने धारावाहिक दूरदर्शन सहित कई चैनलों पर पुन:प्रसारित होने लगे।
दर्शकों ने कई-कई वेब सीरिज एक ही बार में पूरी देख ली।
लॉकडाउन के दौरान ओटीटी एप्लीकेशंस पर एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्में और सीरीज देखी गईं।
वर्चुअल तरीके से दफ्तर का काम
जूम कॉल्स के माध्यम से दफ्तरों की बैठकें होने लगी हैं।

ई-मेल के जरिए नोटिफिकेशन जारी होने लगे और काम का दायरा बढ़ गया है।
घर में काम करने के दौरान काम का बोझ पहले से थोड़ा ज्यादा हो गया है।
दफ्तरों में कर्मचारी तय समय से ज्यादा काम करने लग गए हैं।
फॉर्मल कपड़े अलमारी में सिमट कर रह गए हैं।
कुछ लोगों ने वर्चुएल तरीके में भी ऑफिस में बेहतरीन काम करने के विकल्प खोज रहे हैं।

 

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